‘किस्सा कुर्सी का’ इंदिरा गांधी के आदेश पर बैन हुई थी ये फिल्म, इन पर भी चला था सरकारी हंटर

आज से करीब 48 साल पहले तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी (Ex PM Indira Gandhi) ने देश में आपातकाल (Emergency) लगाया था। उस दौर को भारतीय लोकतंत्र के इतिहास का काला अध्याय माना जाता है। उस वक्त आम आदमी के अधिकारों से लेकर प्रेस की सेंसरशिप (Censorship of the press) और नसबंदी (Vasectomy) जैसे कई कठोर निर्णय लिए गए थे। यहां तक कि उस वक्त की तत्कालीन सरकार ने बॉलीवुड (Bollywood) पर भी अपना नियंत्रण रखा था और सेंसर बोर्ड इंदिरा सरकार की हिदायतों के हिसाब से काम कर रहा था। आज हम आपको कुछ ऐसी फिल्मों के बारे में बताएंगे, जिन पर आपातकाल का काफी प्रभाव पड़ा था।
हिंदी सिनेमा (Hindi Cinema) जगत की सुपरहिट फिल्म ‘शोले’ को इमरजेंसी की वजह से काफी नुकसान झेलना पड़ा था। दरअसल, फिल्म के अंत में ये दिखाया जाता है कि ठाकुर बालदेव सिंह गब्बर को मारने वाले होते हैं, तभी पुलिस वहां आ जाती है और उन्हें याद दिलाती है कि वो कभी एक पुलिस अधिकारी थे। इसलिए उन्हें कानून का सम्मान करना चाहिए। इसके बाद ठाकुर गब्बर को पुलिस के हवाले कर देते हैं। फिल्म के डायरेक्टर रमेश सिप्पी ऐसा नहीं चाहते थे। असल में उन्होंने फिल्म में पहले ये दिखाया था कि ठाकुर गब्बर को मार देते हैं। लेकिन सेंसर बोर्ड ने क्लाइमेक्स में बदलाव करवा दिया था।
फिल्म ‘किस्सा कुर्सी का’ के सारे प्रिंट जब्त कर लिए थे
कुछ इसी तरह अभिनेता संजीव कुमार और अभिनेत्री सुचित्रा सेन अभिनीत फिल्म ‘आंधी’ के साथ भी हुआ था, जिसे इमरजेंसी के दौरान बैन कर दिया गया था। दरअसल, ये फिल्म इंदिरा गांधी के जीवन, उनके पति के साथ अलगाव और उनके संबंधों को दिखाते थे। लेकिन जब फिल्म को बैन किया गया तो दर्शकों में इसे देखने की उत्सुकता और ज्यादा बढ़ गई। साल 1977 में कांग्रेस की हार के बाद जनता पार्टी सरकार ने इस फिल्म के रिलीज की मंजूरी दे दी और सरकारी टेलीविजन चैनल पर इसका प्रीमियर कराया गया। फिल्म ‘किस्सा कुर्सी का’ की कहानी इमरजेंसी पर आधारित थी, जो निदेर्शक अमृत नाहटा ने 1974 में बनाई थी। तत्कालीन सरकार ने इस फिल्म पर 1975 में इस पर प्रतिबंध लगा दिया था। इसके अलावा सरकार ने इस फिल्म के सारे प्रिंट भी जब्त कर लिए थे।
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प्रतिबंध के बावजूद ‘नसबंदी’ ने लोकप्रियता हासिल की
1978 में आई फिल्म ‘नसबंदी’ में आपातकाल के दौरान हुई ज्यादतियों को दिखाया गया था। आईएस जौहर द्वारा निर्देशित इस फिल्म में उस समय के सभी लोकप्रिय नायकों के डुप्लिकेट ने काम किया था। फिल्म की रिलीज के बाद उस समय की तत्कालीन सरकार की छवि खराब दिखाने का आरोप लगाकर बैन किया गया था। इसके बावजूद फिल्म ने सैटेलाइट प्रसारण के माध्यम से जमकर लोकप्रियता हासिल की थी।
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