Prabhas Interview : प्रभास ने कहा श्रद्धा बहुत ही डाउन टू अर्थ एक्ट्रेस हैं

Prabhas Interview : प्रभास ने कहा श्रद्धा बहुत ही डाउन टू अर्थ एक्ट्रेस हैं
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फिल्म बाहुबली फेम प्रभास एक बार फिर अपकमिंग फिल्म साहो को लेकर खूब चर्चा में हैं। उम्मीद की जा रही है कि इस बार भी वह बाहुबली की तरह अपना जलवा बिखेरेंगे और खास बात यह है कि साहो में उन्होंने अपने डायलॉग हिंदी में बोले हैं, डब नहीं किए गए हैं, प्रभास इस फिल्म से हिंदी फिल्मों में अपनी शुरुआत मान रहे हैं, लेकिन क्या वह साउथ के अन्य हीरोज की तरह एकाध फिल्म करके वापस साउथ तो नहीं चले जाएंगे, फिल्म साहो और करियर से जुड़े अहम सवालों पर प्रभास से खास बातचीत।

साउथ के सुपरस्टार प्रभास ने मेगा बजट वाली फिल्म 'बाहुबली' में अपनी बेहतरीन परफॉर्मेंस देकर दर्शकों के दिलों में एक पहचान बना ली है। इस फिल्म की अपार सफलता के बाद प्रभास सिर्फ साउथ इंडस्ट्री में ही नहीं, हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में भी बहुत ज्यादा पॉपुलर हो गए हैं। यही वजह है कि उनकी शीघ्र ही रिलीज होने वाली फिल्म 'साहो' की रिलीज से पहले ही प्रभास के फैंस ने तहलका मचा रखा है। हाल ही में 'साहो' का ट्रेलर रिलीज हुआ। यह एक्शन, थ्रिलर और रोमांटिक बिग बजट फिल्म 30 अगस्त को रिलीज होगी। इस फिल्म में प्रभास के साथ बॉलीवुड की खूबसूरत अदाकार श्रद्धा कपूर भी नजर आएंगी। प्रभास 'साहो' की रिलीज को लेकर बेहद एक्साइटेड हैं। बातचीत प्रभास से।

30 अगस्त को आपकी ब्लॉकबस्टर फिल्म 'साहो' रिलीज होने जा रही है। इस फिल्म की रिलीज को लेकर आप कितना एक्साइटेड हैं?

बहुत ज्यादा एक्साइटेड हूं, साथ ही नर्वस भी हूं, क्योंकि हिंदी फिल्मों में मेरी यह शुरुआत है। सो मुझे नहीं पता कि दर्शक मुझे कितना पसंद करेंगे।

लेकिन 'बाहुबली' की रिलीज के बाद से दर्शक आपके जबरदस्त फैन हो गए हैं। हिंदी ऑडियंस आपको 'साहो' में देखने के लिए बेताब हैं। आप खुद हिंदी फिल्म में काम करके कितना उत्साहित हैं?

बहुत ही उत्साहित हूं। मुझे हिंदी फिल्में देखना अच्छा लगता है। मैंने कई हिंदी फिल्में देखी हैं, जैसे राजू हिरानी डायरेक्टेट 'पीके', 'मुन्ना भाई एमबीबीएस' और 'थ्री इडियट्स'। मैं हिंदी फिल्मों में 'साहो' से अपनी नई शुरुआत करने जा रहा हूं, इसलिए मैंने पहली बार इस फिल्म में खुद से हिंदी डायलॉग बोले हैं, डब नहीं किया है।

बतौर साउथ एक्टर हिंदी बोलना आपके लिए कितना आसान, कितना मुश्किल रहा?

मुश्किल तो था, क्योंकि मुझे हिंदी पढ़नी आती है और समझ में भी आती है, लेकिन ठीक से बोलनी नहीं आती। लिहाजा मैंने फिल्म 'साहो' में पूरी कोशिश की है कि मैं अच्छी हिंदी बोलूं। हिंदी बोलने के मामले में श्रद्धा कपूर ने भी मेरी बहुत मदद की। मुझे खुशी है कि हिंदी दर्शक मुझे पसंद कर रहे हैं। 'साहो' के बाद मुझें यहां और दो हिंदी फिल्में करने का मौका मिला है।

साउथ के एक्टर्स को हिंदी दर्शकों ने हमेशा सराहा है, आपको भी हिंदी दर्शक बेहद प्यार करते हैं, लेकिन ज्यादातर साउथ के हीरोज एक-दो फिल्में करके वापस साउथ में चले जाते हैं फिर चाहे वो कमल हसन हों या रजनीकांत। आपका क्या इरादा है?

यह तो हिंदी दर्शकों के प्यार पर निर्भर करेगा कि मैं यहां पर टिक कर काम करूं या वापस साउथ चला जाऊं। अगर हिंदी दर्शक मेरे काम को पसंद करेंगे तो मैं जरूर हिंदी फिल्में करता रहूंगा।

'साहो' में श्रद्धा कपूर के साथ एक्सपीरियंस कैसा रहा?

बहुत ही अच्छा। श्रद्धा बहुत ही डाउन टू अर्थ एक्ट्रेस हैं, उनका स्वभाव भी बेहद मिलनसार है। वो बहुत स्वीट हैं। हम अच्छे दोस्त बन गए हैं।

आपने 'साहो' में काफी खतरनाक एक्शन शॉट दिए हैं। इन्हें करने के दौरान आपको कोई प्रॉब्लम नहीं हुई?

नहीं, क्योंकि फिल्म के डायरेक्टर ने इस बात का खास ख्याल रखा कि एक्शन शॉट के दौरान कोई हादसा न हो जाए। लिहाजा हर शॉट के दौरान काफी सतर्कता बरती जाती थी, सो कोई इंजरी नहीं हुई।

फिल्म की रिलीज डेट तीन बार आगे की गई, इसके पीछे 'बाटला हाउस' और 'मिशन मंगल' की रिलीज के साथ क्लैश होने की बात थी या कोई और बात थी?

'सोहा' चूंकि बिग बजट फिल्म है, इसलिए हमारे डायरेक्टर कोई चांस नहीं ले रहे हैं कि फिल्म में कोई कमी रह जाए। लिहाजा पोस्ट प्रोडक्शन के काम में काफी वक्त लग गया।

आप इस फिल्म में किस तरह का किरदार निभा रहे हैं?

मैं इस फिल्म में पुलिस ऑफिसर का किरदार निभा रहा हूं, जिसके साथ काफी कुछ घट जाता है, उसकी लाइफ काफी मुश्किल में आ जाती है। फिल्म की कहानी आपको नहीं बता सकता। लेकिन इतना बोल सकता हूं कि 'साहो' की कहानी काफी दिलचस्प है। आप जब फिल्म देखेंगी तो आपको खुद यकीन हो जाएगा।

आप जब कोई फिल्म साइन करते हैं तो आपकी क्या सोच रहती है?

मैं जब भी कोई फिल्म साइन करता हूं, सबसे ज्यादा स्क्रिप्ट पर ध्यान देता हूं, क्योंकि अगर कहानी अच्छी नहीं होगी तो हम कलाकार भी कुछ नहीं कर सकेंगे।

'साहो' की तुलना बॉलीवुड फिल्म 'धूम' की सीरीज से हो रही है। क्या 'साहो' में 'धूम' जैसी कोई बात है?

नहीं, 'साहो' और 'धूम' की कोई तुलना नहीं है। दोनों ही अलग तरह की फिल्में हैं। तुलना शायद इसलिए हो रही है, क्योंकि दोनों ही फिल्मों में मोटरबाइक का इस्तेमाल है, बाइक के स्टंट हैं।

आपकी पिछली फिल्म 'बाहुबली' सुपर-डूपर हिट थी, क्या 'साहो' से भी ऐसी ही उम्मीद कर सकते हैं?

'बाहुबली' और 'साहो' की तुलना करना गलत होगा। दोनों की ऑडियंस अलग है, मेकिंग अलग है और सब्जेक्ट भी अलग है। 'बाहुबली' के फैंस अलग हैं। लिहाजा दोनों की तुलना करना सही नहीं है। 'साहो' भी हिट हो सकती है, अगर दर्शकों का प्यार मिला तो।

'साहो' के डायरेक्टर सुजीत काफी कम उम्र के हैं महज 27 साल के। ऐसे में 'साहो' जैसी बड़ी फिल्म में उनके निर्देशन में काम करने का एक्सपीरियंस कैसा रहा?

सुजीत बहुत ही अच्छे डायरेक्टर हैं। उनका पेपर वर्क इतना स्ट्रॉन्ग रहता है कि हमें कुछ सोचना ही नहीं पड़ता है। फिल्म 'साहो' की शूटिंग शुरू होने से पहले सुजीत दो साल तक इसकी स्क्रिप्ट पर काम कर रहे थे। यही वजह है कि 'साहो' के डायरेक्शन में आपको कहीं कोई कमी नजर नहीं आएगी। उनका डायरेक्शन टू द प्वाइंट है।

लेखिका आरती सक्सेना

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