राजीव गांधी के निर्देश पर बना था 'रामायण', शो को सेक्यूलर बनाना चाहता था ये शख्स

इस कहानी को दैनिक जागरण के एडिट पेज प्रकाशित एक आलेख में लेखक अनंत विजय ने लिखा है। लेख के अनुसार पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी अपने कार्यकाल के दौरान दिनभर का कामकाज निपटाकर शाम को टीवी देखने बैठे। इस दौरान उन्हें टीवी के कार्यक्रम देखकर बड़ी निराशा हुई तो उन्होंने अपने सूचना एवं प्रसारण मंत्री बीएन गडगिल को फोन लगाया और उनसे शिकायती लहजे में टीवी पर कुछ अच्छा ना आने के बारे में कहा। इस पर मंत्री ने उनसे ही कुछ अच्छा को लेकर सुझाव मांग लिया। इस पर राजीव गांधी ने कुछ पौराणिक कथाओं और दर्शन आधारित शो बनाने कहा।
लेकिन इतने पर भी जब मंत्री साहब नहीं समझे तो राजीव गांधी ने खुलकर उन्हें रामायण और महाभारत जैसी कथओं पर शो बनवाने के निर्देश दिए। अब पीएम की बात भला गडगिल कैसे टालते उन्होंने सूचना व प्रसारण सचिव एसएस गिल को ये जिम्मेदारी सौंपी की वो जल्द से जल्द कुछ करें। पहले तो दूरदर्शन ने खुद इसे बनाने की सोची लेकिन तब पहले से ही उनकी व्यस्तताएं थीं।
इसके बाद प्राइवेट प्रोड्यूसर्स ढूंढ़ने की कवायद शुरू हुई और अपनी ओर से रामानंद सागर को यह शो बनाने का प्रस्ताव दिया गया। उनसे कहा गया कि वो पहले कुछ एपिसोड बनाकर लाएं ताकि इसे आगे दिखाया जा सके और इसपर अंतिम फैसला किया जा सके। जब वे कुछ एपिसोड की शूटिंग कर लाते इस पर कोई फैसला नहीं लिया गया।
असल तब दूरदर्शन के महानिदेशक भास्कर घोष थे। उनका मंतव्य था कि रामायण से 'हिन्दू एलिमेंट' कम किया जाए। इसी बीच शो का कुछ हिस्सा सचिव एसएस गिल अपने घर ले और उन्होंने अपनी मां को देखने के लिए दिया। उनकी मां को यह इतना पसंद आया कि उन्होंने रामायण के प्रसारण को तत्काल कराने के लिए कहा। लेकिन रामायण अभी सरकारी तंत्र में अटका पड़ा था। कुछ दिन बाद एसएस गिल की मां ने कह दिया कि जब तक रामायण का प्रसारण शुरू नहीं होता वो अन्न-जल सब छोड़ देंगी। मां की इस जिद के आगे एसएस गिल हार गए और रामायण का प्रसारण शुरू हो गया।
हालांकि दूसरी ओर दूरदर्शन के महानिदेशक भास्कर घोष लगातर इस बात के अड़े रहे कि रामायण में 'हिन्दू एलिमेंट' है। भरसक सेक्यूलर बनाने की कोशिश की जानी चाहिए। बल्कि उन्होंने एक निश्चित समय सीमा के बाद जब रामायण के एपिसोड को एक्सटेंट करने की बारी आती मना भी कर दिया। तब रामानंद सागर ने काफी मेहनत कर के शो के लिए आगे समय मांगा था।
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