Mulayam Singh Yadav: मुलायम सिंह यादव का राजनीतिक सफरनामा, आज भी याद किये जाते हैं ये रोचक किस्सें

Mulayam Singh Yadav Political Career: समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) को लेकर आज सुबह जो खबर सामने आई, उसने सभी को दुखी कर दिया। पिछले कई दिनों से मुलायम सिंह यादव काफी ज्यादा बीमार चल रहे थे। सोमवार को उन्होंने गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में अंतिम सांस लीं। मुलायम सिंह यादव का झुकाव राजनीति की ओर जवानी से ही रहा था। इस रिपोर्ट में मुलायम सिंह यादव के राजनीतिक करियर का पूरा सफर बता रहे हैं।
उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के छोटे से गांव सैफई में उनका जन्म साल 1939 में हुआ। जवानी के दिनों में उन्हें पहलवानी का शौक था और राजनीति में आने से पहले वो एक शिक्षक हुआ करते थे। मुलायम के राजनीतिक करियर की शुरुआत 1967 में सोशलिस्ट पार्टी की टिकट से चुनाव लड़कर विधायक बनने से शुरू हुई। इसके बाद उनके राजनीतिक सफर में उतार-चढ़ाव का दौर जारी रहा। हालांकि राजनीतिक पुरोधा के रूप में उनका नाम लगातार मजबूत होता रहा।
समाजवादी पार्टी की स्थापना का किस्सा
रिपोर्ट के अनुसार, मुलायम के करियर में एक समय ऐसा भी आया था, जब उन्होंने साइकिल पर घूमकर अपने लिए चुनाव प्रचार भी किया। साल 1992 में उन्होंने अपनी राजनीतिक पार्टी बनाई तो उसका चुनाव चिन्ह साइकिल मिला। वही राजनीतिक करियर में नेता जी का कद लगातार बढ़ता रहा। मुलायम सिंह यादव राम मनोहर लोहिया और चौधरी चरण सिंह को अपना राजनीतिक गुरू मानते थे।
सीएम बनने की कुछ रोचक बातें
साल 1989 का वो किस्सा आज भी सभी को याद होगा, जब विधानसभा चुनाव में जनता दल की जीत के बाद अजित सिंह का नाम मुख्यमंत्री पद के लिए घोषित किया जा चुका था, लेकिन मुलायम ने अपने राजनीतिक कौशल से ऐसे दांव चलाए कि अजित सिंह सीएम बनने का सपना ही देखते रह गए और मुलायम सिंह यादव उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बन गए। प्रदेश में इसके बाद उनकी राजनीतिक जड़े इतनी ज्यादा मजबूत हो गई कि वह तीन बार यूपी के सीएम बने थे। साल 1993 से 1995 तक वह दूसरी बार सीएम बने। इसके बाद तीसरी बार साल 2003 में उन्हें मुख्यमंत्री बनने का मौका मिला। इसके अलाव उनके बेटे अखिलेश यादव भी बाद में मुख्यमंत्री बने।
देश की राजनीति में भी सक्रिय हुए थे मुलायम
मुलायम सिंह यादव ने खुद को यूपी की राजनीति तक ही सीमित रखा था। वहीं चंद्रशेखर 90 के दशक में उन्हें गृहमंत्री के तौर पर देश की राजनीति में लाना चाहते थे। लेकिन धाकड़ नेता की छवी वाले मुलायम ने उस समय कह दिया था कि मूंगफली बेच लेंगे, मगर दिल्ली की सियासत में नहीं जाएंगे। हालांकि, सपा-बसपा के गठबंधन के टूटने के बाद उन्होंने देश की राजनीति में अपना लक अजमाया। वहीं साल 1996 में केंद्र में संयुक्त मोर्चे की सरकार बनी तो मुलायम को रक्षा मंत्री बने। इस प्रकार मुलायम देश की राजनीति में पहली बार मंत्री बने और अपने साथ कुछ अन्य सपा पार्टी के नेताओं को भी मंत्री बनवाया था।
मुलायम यादव की राजनीतिक यात्रा
मुलायम सिंह साल 1967 में उत्तर प्रदेश विधान सभा के सदस्य चुने गए।
साल 1977 में वह प्रथम बार उत्तर प्रदेश के राज्य मंत्री बने।
दिग्गज राजनेता मुलायम साल 1980 में लोक दल पार्टी के अध्यक्ष बने।
1982 से 1985 तक मुलायम सिंह यादव ने उत्तर प्रदेश विधान परिषद में विपक्ष के नेता के रूप में पद संभाला।
वे 5 दिसंबर 1989 से 24 जनवरी 1991 तक, 5 दिसंबर 1993 से 3 जून 1996 तक और 29 अगस्त 2003 से 11 मई 2007 तक उत्तर प्रदेश के तीन बार मुख्यमंत्री रहे।
राजनीतिक यात्रा का दूसरा पढ़ाव उनके सफर में तब आया। जब वो 1990 में चंद्रशेखर की पार्टी जनता दल (समाजवादी) में शामिल हुए।
साल 1992 मुलायम सिंह के राजनीतिक करियर के लिए बेहद खास रहा, जब उन्होंने समाजवादी पार्टी की स्थापना की।
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