अदालत ने नेटफ्लिक्स सीरिज 'हंसमुख' के प्रसारण पर अंतरिम रोक लगाने से किया इनकार

अदालत ने नेटफ्लिक्स सीरिज हंसमुख के प्रसारण पर अंतरिम रोक लगाने से किया इनकार
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अदालत ने कहा कि दलीलें अंतरिम रोक लगाने के पक्ष में नहीं हैं, इसलिए याचिका खारिज की जाती है। सीरीज के प्रसारण पर पूर्ण रोक की मांग वाली याचिका पर जुलाई में सुनवाई होगी।

नयी दिल्ली. दिल्ली उच्च न्यायालय ने अभिनेता वीर दास की नेटफ्लिक्स सीरीज 'हंसमुख' के प्रसारण पर अंतरिम रोक लगाने से मंगलवार को इनकार करते हुए कहा कि ऐसा कोई भी आदेश संविधान के अधीन दी गई अभिव्यक्ति की आजादी के अधिकार में हस्तक्षेप होगा।

न्यायमूर्ति संजीव सचदेव ने वकील आशुतोष दुबे की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें इस सीरीज में वकीलों की छवि धूमिल करने का दावा किया गया था।

सचदेव ने पाया कि यह सीरिज एक '' गंभीर व्यंग्यात्मक कॉमेडी के जरिए विभिन्न पेशों की कमी उजागर'' करने का एक प्रयास है और व्यंग्यात्मकता का एक प्रकार किसी विषय या किरदार की आलोचना करना है। इसे सामान्य से अधिक बढ़ा-चढ़ाकर पेश किए जाने पर ही इसकी खामियां दिखाई देती हैं।

अदालत ने कहा, ''लोकतंत्र का मूलतत्व यह है कि किसी भी कलाकार को समाज की तस्वीर को अपने दृष्टिकोण के अनुरूप प्रस्तुत करने की स्वतंत्रता हो। समाज की कमियां दिखाने का सबसे प्रमुख तरीका व्यंग्यात्मक रूप से उसकी एक तस्वीर पेश करना है।''

नेटफ्लिक्स का पक्ष यहां वरिष्ठ वकील अमित सिब्बल और वकील साई कृष्णा राजागोपाल ने रखा। उन्होंने दलील दी कि ऐसे कई फैसले सुनाए गए हैं जिनमें कहा गया है कि एक वर्ग के रूप में वकीलों की मानहानि नहीं की जा सकती।



साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि सीरिज की थीम में ही उसकी मूल भावना को स्पष्ट कर दिया गया है कि इसका लक्ष्य किसी विशेष पेशे की मानहानि करना नहीं है लेकिन यह गंभीर व्यंग्यात्मक कॉमेडी के जरिए विभिन्न क्षेत्रों की कमियों को उजागर करना और उसके समाज पर पड़ने वाले प्रभाव को दिखाना चाहता है।

अदालत ने कहा कि दलीलें अंतरिम रोक लगाने के पक्ष में नहीं हैं, इसलिए याचिका खारिज की जाती है। सीरीज के प्रसारण पर पूर्ण रोक की मांग वाली याचिका पर जुलाई में सुनवाई होगी।


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