भगवान शिव से है ग्यारहमुखी हनुमान का संबंध, कहानी आएगी एंड टीवी पर

एंड टीवी का शो कहत हनुमान जय श्री राम जल्द ही नए एपिसोड्स के साथ वापसी कर रहा है। भगवान विष्णु के पृथ्वी पर भगवान राम का अवतार पर भगवान शिव ने भी दुष्ट रावण को पराजित करने के वास्ते राम की मदद के लिए हनुमान का रूप धारण किया था। भगवान हनुमान भगवान शिव का 11वां रुद्र अवतार हैं। नई कड़ियों में ग्यारहमुखी हनुमान की कहानी दिखाई जाएगी। अंजनी माता बाल हनुमान को यह कहानी सुनाएंगी ताकि वह अपनी शक्तियों का सही उपयोग करके और भगवान शिव के हर अवतार से विभिन्न सीख कर अपने उद्देश्य को पूरा कर सकें। कहत हनुमान जय श्री राम' के नए एपिसोड 13 जुलाई से रात 9.30 बजे प्रसारित होंगे। आईए, जानते हैं कौन से ग्यारहमुखी हनुमान के रूप और उनकी कहानियां…
नंदी अवतारः इन्हें पवित्रता, ज्ञान और बुद्धिमता का प्रतीक माना जाता है। नंदी हर किसी की इच्छाओं को सुनते और भगवान शिव तक पहुंचाते हैं। शिलाद नाम के एक ब्रह्मचारी ऋषि थे। उन्होंने भगवान शिव से ऐसे पुत्र की कामना की जिसकी कभी मृत्यु न हो। एक दिन जब शिलाद भूमि खोद रहे थे तो वहां उन्हें एक बच्चा मिला जिनका नाम उन्होंने नंदी रखा। शिलाद उससे इतना प्यार करते थे कि उसके साथ अधिक समय बिताने के लिए अपना ध्यान भी छोड़ देते थे। नंदी महादेव की पूजा करते थे। उनके भक्तिभाव को देखकर भगवान शिव उनके सामने प्रकट हुए और उन्हें वरदान दिया कि जब तक कोई अपनी प्रार्थना नंदी के कानों में नही कहेगा तब तक उसकी प्रार्थना भगवान शिव तक नहीं पहुंचेगी।
शरभ अवतारः हिरण्यकश्यप की मृत्यु के बाद भगवान विष्णु के गुस्सैल अवतार नरसिंह के गुस्से को शांत करने के लिए भगवान शिव ने शरभ का अवतार धारण किया था। हिरण्यकश्यप को मारने के बाद भी विष्णु का क्रोध शांत नहीं हो रहा था, तब देवताओं ने शिव की आराधना की। शिव ने शरभ का रूप धारण किया और नरसिंह को अपनी पूंछ में लपेटा तथा उनके क्रोध को शांत करने के लिए वहां से ले गए।
गृहपति अवतारः शिव पुराण के अनुसार, नर्मदा के तट पर धरमपुर शहर में विश्वनार नाम के एक ऋषि और उनकी अर्धांगिनी सुचिस्मति रहते थे। वह भगवान से शिव की तरह ही एक पुत्र चाहते थे। तब विश्वनार काशी गए और वहां पूर्ण भक्ति के साथ विश्वेश्वर लिंग की पूजा की। शिव प्रकट हुए। जब विश्वनार ने अपनी इच्छा जाहिर की तो भगवान शिव एक अंश रूप में उनके पुत्र के रूप में जन्म लेने के लिए तैयार हो गए। बच्चे का नाम गृहपति रखा गया। जब बच्चे को पता लगा कि उसे आग और वज्र से खतरा है, तो उसने भगवान शिव की भक्ति शुरू कर दी। इंद्र ने उनकी काशी की यात्रा में विघ्न डाला, लेकिन भगवान शिव उसकी रक्षा के लिए आगे आए और उन्होंने गृहपति को आशीर्वाद दिया। जिस शिवलिंग की गृहपति ने भक्ति की वह आगे चलकर अग्निश्वर लिंग के नाम से प्रसिद्ध हुआ। भगवान शिव ने गृहपति को सभी दिशाओं का स्वामी बना दिया।
यतिनाथ अवतारः आहुक नाम का एक आदिवासी था। वह और उसकी पत्नी भगवान शिव के भक्त थे। उनकी भक्ति की परीक्षा लेने लिए एक दिन भगवान उनके घर यतिनाथ का रूप धारण पहुंचे। दोनों ने उनका पूरा ध्यान रखा और उन्हें रात में रुकने के लिए आश्रय दिया। झोपड़ी छोटी थी तो मेहमान को अंदर सुलाकर आहुक बाहर सोया। दुर्भाग्यवश उसे जंगली जानवर ने मारा दिया। तब उसकी पत्नी ने उसके साथ ही प्राण त्यागने का प्रण लिया। तब भगवान ने उन्हें अपना असली रूप दिखाया और आशीर्वाद दिया कि आहुक और उसकी पत्नी अगले जन्म में राजा नल और रानी दमयंती के रूप में जन्म लेंगे।
दुर्वासा अवतारः दुर्वासा एक महान ऋषि थे, जो अपने क्रोध के लिए पहचाने जाते हैं। शिवपुराण में लिखा है कि ऋषि अत्रि की पत्नी देवी अनुसूया को एक संतान की इच्छा थी और उन्होंने अपने पति से त्रिदेव (ब्रह्मा, विष्णु और शिव) की अराधाना करने की आज्ञा मांगी। कई सालों के बाद उन्हें तीन पुत्रों का वरदान मिला, जिसमें से प्रत्येक देव उनके पुत्र के रूप में अवतार लेंगे। ब्रह्मा ने सोमा के रूप में अवतार लिया, विष्णु ने दत्तात्रेय के रूप में अवतार लिया और शिव ने दुर्वासा का अवतार लिया। इस तरह दुर्वासा शिव का रूद्र रूप हैं।
वीरभद्र अवतारः यह अवतार महादेव की जटा से तब उत्पन्न हुआ जब देवी सती ने अपने पिता राजा दक्ष द्वारा नियोजित एक यज्ञ में अपने शरीर को त्याग दिया। क्रोधित भगवान शिव ने अपनी जटाओं से वीरभद्र की उत्पत्ति की और उसने दक्ष का सिर धड़ से अलग कर दिया। बाद में महादेव ने दक्ष ने धड़ पर बकरे का सिर जोड़ दिया ताकि वह उन्हें उनका जीवन वापस दे सकें।
पिप्लाद अवतारः एक समय था जब भगवान शनि छोटे बच्चों पर भी अपनी नजरें गड़ाए रहते थे और उन्हें गलतियों के लिए दंडित करते थे। मगर भगवान ने ऋषि पुत्र दधिची के घर जन्म लिया और शनि को इस बात के लिए राजी किया कि वे 16 वर्ष से कम आयु के बच्चों पर अपनी दृष्टि नहीं डालेंगे।
कृष्णदर्शन अवतारः महादेव ने एक व्यक्ति के जीवन में यज्ञ और अनुष्ठानों के महत्व को समझाने के लिए कृष्णदर्शन अवतार को धारण किया।
ब्रह्मचारी अवतारः सती का अगला जन्म पार्वती के रूप में हुआ था। लेकिन महादेव को पाने के लिए पार्वती को कठोर तपस्या करनी पड़ी। महादेव ने पार्वती की परीक्षा लेने के ब्रह्मचारी अवतार लिया था। इसके बाद दोनों का विवाह हुआ।
अवधूत अवतारः अमृत पीने के बाद, देवराज इंद्र अभिमानी और लापरवाह हो गए। तब उनके अहंकार और घमंड को तोड़ने के लिए शिव ने अवधूत अवतार लिया।
हनुमान अवतारः भगवान हनुमान भगवान शिव के ग्याहरवें रूद्र अवतार थे और उनके सबसे उत्साही भक्त थे। भगवान हनुमान ने दुष्ट रावण को मारने के उद्देश्य को पूरा करने में भगवान राम की सेवा करने के लिए जन्म लिया था।
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