KBC 11 : राजस्थान के श्याम सुंदर पालीवाल बने 'कर्मवीर', इनके कारनामों से बदली राजस्थान की तस्वीर

KBC 11 : राजस्थान के श्याम सुंदर पालीवाल बने कर्मवीर, इनके कारनामों से बदली राजस्थान की तस्वीर
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KBC 11 कौन बनेगा करोड़पति के कर्मवीर स्पेशल एपिसोड में इस बार राजस्थान के श्याम सुंदर पालीवाल हॉट सीट पर बैठेंगे। आपको बता दें कि श्याम सुंदर पालीवाल ने अपने सरपंच के कार्यकाल में पिपलांत्री गांव की तस्वीरें ही बदल दी थी। उनके कामों की तारीफें न सिर्फ प्रदेश बल्कि पूरे देश में होती है।

'कौन बनेगा करोड़पति 11' (Kaun Banega Crorepati 11) के कर्मवीर स्पेशल एपिसोड में इस बार राजस्थान राजसमंद जिले के पिपलांत्री ग्राम पंचायत के पूर्व सरपंच श्याम सुंदर पालीवाल हॉट सीट पर बैठेंगे। इस खेल में उनका साथ देने टीवी एक्ट्रेस साक्षी तंवर भी नजर आएंगे। ये एपिसोड 8 अक्टूबर को प्रसारित किया जाएगा। श्याम सुंदर पालीवाल ने गांव को अलग ही रूप देने का काम किया है। उन्होंने बेटी बचाओ समेत वन्य जीवों जैसे कई मुद्दों को लेकर काम किया। सरपंच बनने के बाद श्याम सुंदर पालीवाल ने अपनी बेटी किरण के नाम पर एक योजना शुरु की, जिसका नाम है 'किरण निधि योजना'..



'किरण निधि योजना' योजना के तहत, बेटी के जन्म लेने पर उसके नाम के 111 पेड़ लगाए जाते है। यही नहीं, उसके बेहतर भविष्य के लिए 21 हजार रुपए भी खाते में जमा कराए जाते है। इसके अलावा, उसके घर से एक फॉर्म भरवाया जाता है, जिसमें वचन लिया जाता है कि वो 20 साल से पहले लड़की की शादी नहीं करेंगे और बेटो की पढ़ायेंगे। आपको बता दें कि बेटी के जन्म पर लगाए गए पेड़ों की देखरेख परिवार ही करता है। जब तक लडकी की शादी की उम्र होती है तो ये पेड़ हरे भरे और विशाल हो जाते है। बेटी की शादी होने पर परिवार इन पेड़ों की बिक्री कर उन पैसों से लड़की की शादी करता है। पेड़ों को बचाने के लिए लड़कियां यहां हर साल रक्षाबंधन के त्योहार पर पेड़ों को राखी बांधती है। जब गांव में किसी का निधन हो जाता है, तो उसकी याद में भी एक पेड़ लगाया जाता है।



श्याम सुंदर पालीवाल जब सरपंच बने थे तब खनन की वजह से दूर दूर तक हरियाली नहीं दिखाई देती थी। एक तरह से मानो जंगल गायब ही हो गए थे.. वहीं जलस्तर भी काफी कम था.. जिसके बाद लोगों को खेती और पेड़ लगाने के प्रति जागरुक किया गया। खेतों की सिंचाई के लिए 4500 चेक डेम बनाए गए.. सरकारी जमीनों को भू-माफियाओं से छुड़वाया गया.. तब जाकर गांव में हरियाली वापस लौटी.. वर्ना गांव वाले पलायन करने का पूरा मन बना चुके थे। गांववालों को श्याम सुंदर पालीवाल ने एलोवीरा और आंवला की फसल का सुझाव दिया।


जिसके बाद गांव की सैकड़ों बीघा जमीन पर एलोवीरा और आंवला की फसल तैयार होती है। गांव में प्लांट भी है, जिसमें एलोवीरा और आंवला का जूस, क्रीम बनाई जाती है, जिन्हें बाजारों में बेचा जाता है। आज गांव में न तो कोई बेरोजगार है और न ही कोई बेटियों को बोझ समझता है। श्याम सुंदर पालीवाल का कार्यकाल बेशक साल 2010 में खत्म हो गया हो, लेकिन बेटी होने पर पेड़ लगाने की परंपरा आज भी जारी है।

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