Haryana : 71 प्रतिशत स्वास्थ्य कर्मचारी मानते हैं लॉकडाउन ठीक फैसला, 46 प्रतिशत का मानना कोरोना जैविक हथियार

Haryana :  71 प्रतिशत स्वास्थ्य कर्मचारी मानते हैं लॉकडाउन ठीक फैसला, 46 प्रतिशत का मानना कोरोना जैविक हथियार
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हेल्थ केयर प्रोवाइडर ने एक ऑनलाइन सर्वे में चौकाने वाले जवाब दिए हैं। 382 हेल्थ केयर प्रोवाइडर में से 71 प्रतिशत का मानना है कि लॉकडाउन चलना चाहिए, जबकि 29 प्रतिशत मानते हैं कि इसका कोई खास फायदा नहीं।

मनोज वर्मा : रोहतक

डॉक्टर, नर्स, फार्मासिस्ट, मेडिकल स्टूडेंट और डेंटिस्ट यानी हमारे हेल्थ केयर प्रोवाइडर ने एक ऑनलाइन सर्वे में चौकाने वाले जवाब दिए हैं। 382 हेल्थ केयर प्रोवाइडर में से 71 प्रतिशत का मानना है कि लॉकडाउन चलना चाहिए, जबकि 29 प्रतिशत मानते हैं कि इसका कोई खास फायदा नहीं। पीजीआई के कम्यूनिटी मेडिसन विभाग से एमबीबीएस, एमडी और रैपिड रिस्पोंस टीम की सदस्य डॉ. शीबा सेठी ने ऑनलाइन सर्वे में पीजीआई, स्वास्थ्य विभाग और प्राइवेट हेल्थ केयर प्रोवाइडर को शामिल किया।

इतने प्रतिशत ने माना हथियार

सर्वे में शामिल स्वास्थ्य कर्मियों में 46.80 प्रतिशत ने माना है कि कोरोना वायरस एक जैविक हथियार है, जबकि 22.20 प्रतिशत ने ये जवाब दिया कि हो सकता है जैविक हथियार हो। वहीं 16 प्रतिशत ने कहा कि ऐसा नहीं है। इसके अलावा कोरोना वायरस की नॉलेज, मास्क पहनना आदि पर भी सवाल पूछे गए। खास बात ये है कि इस सर्वे को इंटरनेशनल जरनल ऑफ साइंटिफिक रिसर्च में मंजूरी मिल गई है, यानी इसे प्रकाशित किया जाएगा।

1 अप्रैल से 7 मई तक सर्वे, 15 सवाल पूछे

डॉ. शीबा सेठी ने एक अप्रैल से 7 मई तक ऑनलाइन सर्वे किया। इसका उद्देश्य था कि हमारे हेल्थ केयर प्रोवाइडर को कोरोना वायरस के बारे में कितनी जानकारी है। इनमें कुछ ऐसे भी हैं, जिनकी ड्यूटी कोविड में लगी हुई है। सर्वे के लिए मोबाइल पर एक प्रोफॉर्मा भेजा गया, जिसमें 15 तरह के सवाल थे।

500 में से 382 ने जवाब दिया

प्रोफॉर्मा 500 हेल्थ केयर प्रोवाइडर को मोबाइल पर भेजा गया, जिनमें से 382 ने ही जवाब दिए। इनमें 184 डॉक्टर, 165 मेडिकल स्टूडेंट, 23 नर्स, 7 डेंटिस्ट और 3 फार्मासिस्ट शामिल हैं।

69 प्रतिशत ने कहा मास्क जरूरी: सर्वे में मास्क पहनने को लेकर भी सवाल पूछा गया। इस सवाल के जवाब में 69 प्रतिशत हेल्थ केयर प्रोवाइडर ने कहा कि मास्क सभी के लिए जरूरी है और घर से बाहर भी नहीं निकलना चाहिए। जबकि 31 प्रतिशत इससे असहमत हैं।

74 प्रतिशत ने माना भीड़ नहीं होनी चाहिए

सर्वे में शामिल 382 हेल्थ केयर प्रोवाइडर में से 74 प्रतिशत ने माना कि कोरोना महामारी के इस दौर में भीड़ इकट्ठी नहीं होनी चाहिए। जबकि 26 प्रतिशत इससे भी असहमत नजर आए। सर्वे में कोरोना वायरस से संक्रमण के बाद लक्षणों पर भी सवाल किया गया। सभी को यह पता है कि बुखार और सांस लेने में परेशानी संक्रमित होने के लक्षण हैं। लेकिन किसी ने यह नहीं बताया कि नाक से खून आना भी लक्षण में शामिल है। 92 को पता है कि गले में खराब संक्रमण के लक्षण हैं। 34 ने डायरिया, 39 ने कब्ज, 2 ने त्वचा पर लाल चकते और 97 ने कफ को कोरोना वायरस के लक्षण बताया।

सेंट्रलाइज नहीं है स्टडी

मैंने जो सर्वे किया है वह सेंट्रलाइज नहीं है, यानी सभी डॉक्टर्स, नर्स, फार्मासिस्ट और मेडिकल स्टूडेंट इसमें शामिल नहीं हैं। इसलिए इसे सेंट्रलाइज नहीं किया जा सकता। वायरस के बारे में जानकारी, लक्षणों की जानकारी के बारे में जो जवाब मिले हैं, उसमें एक तथ्य ये भी है कि डब्ल्यूएचओ हर कुछ दिनों के बाद लक्षणों और जानकारी के बारे में बदलाव कर रहा है। मेरा यही मानना है कि हेल्थ केयर प्रोवाइडर को डब्ल्यूएचओ पर अपडेट रहना चाहिए।

-डॉ. शीबा सेठी, एमबीबीएस, एमडी, कम्युनिटी मेडिसन विभाग, सदस्य, रैपिड रिस्पोंस टीम, कोविड-19, रोहतक

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