वैज्ञानिकों ने तैयार की गेहूं की 15 विशेष किस्म, अब हर मौसम किसानों को मिलेगा लाभ

वैज्ञानिकों ने तैयार की गेहूं की 15 विशेष किस्म, अब हर मौसम किसानों को मिलेगा लाभ
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भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान करनाल के निदेशक डॉ. जीपी सिंह के अनुसार गेहूं की दो किस्मों को क्षेत्र में बढ़ाया जाएगा। पूर्वी क्षेत्रों में एचडी-3086 और पश्चिमी क्षेत्रों के लिए डीबीडब्ल्यू-187 को बढ़ावा देने के लिए चुना गया है। जीपी सिंह ने बताया कि इन दोनों किस्मों में रोग प्रतिरोधक क्षमता जबरदस्त है। साथ ही सीमित सिंचाई संसाधनों में ही ये किसानों को ज्यादा फायदा पहुंचाएंगे।

देश में तकनीक लगातार आगे की ओर बढ़ रही है, न सिर्फ टेक्नोलॉजी में बल्कि पारंपरिक खेती में भी तकनीक ने खास जगह बनाई है, हरियाणा के करनाल में वैज्ञानिकों ने गेहूं की 15 ऐसी प्रजातियां तैयार की हैं जो अब किसी भी मौसम में उगाई जा सकती है। जल्द ही ये सारी प्रजातियां किसानों के लिए उपलब्ध हो जाएगी।

गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान (Indian Wheat and Barley Research Institute) के अलावा 29 और सहयोगी संस्थाओं ने मिलकर काम किया और खूबियों से भरी गेहूं की किस्में रिलीज करने में सफल रहे। वैज्ञानिकों का दावा है कि ये किस्में जब किसानों के हाथ लगेगीं तो पूरी तरह से छा जाएंगी।

वैज्ञानिकों और किसानों के बीच इसे पहुंचने में अभी कृषि मंत्रालय की रिलीजिंग कमेटी (Ministry of Agriculture Releasing Committee) से गुजरना होगा। जहां इसे मंजूरी मिलेगी उसके बाद ही यह किसानों के लिए उपलब्ध होगी। एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक इस साल के आखिर में ये किस्म लोगों तक पहुंच जाएगी।


भारत के कई राज्यों में खेती करने के दौरान सिंचाई को लेकर विशेष दिक्कतें आती हैं। हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के कई हिस्सों में पानी को लेकर हमेशा से समस्या बनी रही है। इसके लिए एनआईएडब्ल्यू-3170 किस्म को तैयार किया गया है।

वहीं जिन राज्यों में पानी की सुलभता है वहां डीबीडब्ल्यू-222 की किस्म को तैयार करवाया गया है। बंगाल, बिहार और झारखंड में समय से सिंचाई और बिजाई के लिए एचडी-3249 किस्म को बनाया गया है।

भारतीय गेहूं और जौ अनुसंधान संस्थान करनाल के निदेशक डॉ. जीपी सिंह (Dr. JP Singh) के अनुसार गेहूं की दो किस्मों को क्षेत्र में बढ़ाया जाएगा। पूर्वी क्षेत्रों में एचडी-3086 और पश्चिमी क्षेत्रों के लिए डीबीडब्ल्यू-187 को बढ़ावा देने के लिए चुना गया है। जीपी सिंह ने बताया कि इन दोनों किस्मों में रोग प्रतिरोधक क्षमता जबरदस्त है। साथ ही सीमित सिंचाई संसाधनों में ही ये किसानों को ज्यादा फायदा पहुंचाएंगे।

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