अस्पताल से घर लौट रहीं थी आशा वर्कर, पुलिस कर्मियों ने पीटा

नागरिक अस्पताल से लौट रहीं दो आशा वर्करों की पुलिस कर्मचारियों ने लॉकडाउन का उल्लंघन करने की बात कह कर पिटाई कर दी। दोनों आशा वर्करों को डंडे मारे गए। घटना की वीडियो क्लिप सोशल मीडिया पर वायरल भी हो गई। इस घटना पर नागरिक अस्पताल के एसएमओ डॉ. कर्मबीर सिंह ने कड़ा एतराज जताया।
एसएमओ ने कहा कि जब आशा वर्करों ने अपना परिचय दे दिया, तब पुलिस कर्मचारियों ने उनसे कम से कम पूछताछ करनी चाहिए थी। अगर आशा वर्कर नहीं मिलतीं तब बेशक उन पर पुलिस कोई कार्रवाई करती। उधर पुलिस का कहना है कि आशा वर्करों के पास कोई पहचान पत्र नहीं था।
कोरोरा से निपटने के लिए स्वास्थ्य कर्मचारियों की पुलिस कर्मचारियों की तरह चौबीस घंटे की ड्यूटी है। स्वास्थ्य कर्मचारियों व आशा वर्करों को अधिकारियों ने निर्देश दिए हैं कि वे घर-घर जाकर लोगों के स्वास्थ्य की जांच करें और लोगों से कोरोना से बचने के लिए जागरूक करें।
सोमवार को नागरिक अस्पताल में कुछ आशा वर्करों बुलाया गया था। कुछ आशा वर्कर मास्क लेने भी गई थीं। दो आशा वर्कर जब अस्पताल से कुछ ही दूरी पर पहुंची तो पुलिस की टीम गश्त करते हुए आई।
टीम में एक महिला पुलिस कर्मी भी थीं। टीम ने जीप रोक ली। दूर से ही आशा वर्करों ने अपना परिचय भी दे दिया। पुलिस कर्मचारियों ने उनसे पहचान पत्र मांगें, लेकिन वे पेश नहीं कर पाईं। इस पर एक अधिकारी के कहने पर महिला पुलिसकर्मी ने दोनों आशा वर्करों की डंडे से पिटाई शुरू कर दी।
इस मामले में नागरिक अस्पताल के एसएमओ डॉ. कर्मबीर सिंह ने कड़ा एतराज जताया और पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों से भी बातचीत की। डॉ. सिंह ने कहा कि सरकार ने स्वास्थ्य कर्मचारियों की ड्यूटी लगा रखी है। कर्मचारियों को पहचान पत्र भी जारी किए गए हैं।
उन्होंने कहा कि जब आशा वर्कर अपना परिचय दे रही थीं तो कम से कम पुलिस कर्मचारी उन्हें हिरासत में लेकर अस्पताल लाकर ही पूछताछ कर सकते थे। उधर पुलिस अधिकारियों का कहना है कि दोनों महिलाओं के पास पहचान पत्र नहीं थे।
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