अशोक तंवर ने कहा पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र की हत्या, 36 बिरादरी की पार्टी बन गई है एक जाति की पार्टी, पढ़िए चार पेज के इस्तीफे में उनका दर्द

अशोक तंवर ने कहा पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र की हत्या, 36 बिरादरी की पार्टी बन गई है एक जाति की पार्टी, पढ़िए चार पेज के इस्तीफे में उनका दर्द
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हरियाणा विधानसभा चुनाव 2019 के मतदान से ठीक पहले अशोक तंवर ने चार पेज का पत्र लिखकर प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। अशोक तंवर ने कहा है कि राहुल गांधी के विरोध के बावजूद बाप-बेटे को लोकसभा में टिकट दिया गया। जींद उप चुनाव में जहां पार्टी सीट जीत सकती थी। वहां पर कुछ अपने नेताओं ने ही लोगों ने 36 बिरादरी की कही जाने वाली पार्टी को एक जाति की पार्टी बना दिया।

हरियाणा विधानसभा चुनाव 2019 से ठीक पहले प्रदेश कांग्रेस पूर्व अध्यक्ष अशोक तंवर ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को चार पेज का पत्र भेजकर प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दिया है। जिसमें आरोप लगाते हुए कहा है कि पार्टी लोकतंत्र विरोधी हो गई है। यहां अंत में प्रेशर और ब्लैकमेल करने वालों की चलती है। कांग्रेस पूरी तरह से अब अपने सिद्धांत और विचारों से भटक गई है। पढ़िए पेज वाइज इस्तीफे में क्या-क्या आरोप अशोक तंवर ने कांग्रेस के उपर लगाए।

पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र की हत्या




हरियाणा कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अशोक तंवर ने इस्तीफे के पहले पेज में कहा है कि कांग्रेस इस समय बड़े संकट से जूझ रही है। इसका कारण राजनीतिक विरोधी नहीं बल्कि आतंरिक मतभेद हैं। कठिन परिश्रम करने वाले कांग्रेसियों की कोई इज्जत नहीं है। अंत में प्रेशर, पैसा और ब्लैकमेल करने वालों की ही चलती है। पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र की निजी लालच के लिए हत्या की जा चुकी है। मेरे जैसे पूर्ण समर्पण से कार्य करने वाले लोगों को स्वतंत्रता से कार्य करने का मौका नहीं दिया जाता है। इस संदर्भ में सिर्फ मैं ही अकेला पीड़ित नहीं हूं जिसे निशाना बनाया गया है। मेरी तरह लाखों युवा हैं जिन्होंने खून-पसीना देकर महात्मा गांधी, पंड़ित जवाहर लाल नेहरू, बाबासाहब अंबेडकर, सरदार पटेल, मौलाना आजाद की पार्टी के लिए कार्य किया। लेकिन उन्हें भी साजिश का शिकार बनाया गया।

उन्होंने कहा कि पार्टी के लिए उनकी तरह समर्पित कार्यकर्ताओं को कार्य करने नहीं दिया जाता। इसकी ताकत ऐसे लोगों को उच्च पदों पर बैठे हुए लोगों से ही मिलती है। जिससे साबित करते हैं कि पार्टी सिर्फ पैसे वाले और शक्तिशाली लोगों की पार्टी है। मेरा विश्वास है कि इस तरह की परिस्थितियों में किसी के लिए भी सम्मान के साथ कार्य करना संभव नहीं है।

राहुल गांधी से जुड़े लोगों को शिकार बनाया



अशोक तंवर ने दूसरे पेज में कहा है कि पिछले कुछ वर्षों में युवा नेताओं को हटाने के लिए षडयंत्र रचे गए। पिछले डेढ़ दशक में राहुल गांदी ने जिन्हें तैयार कर आगे बढ़ाया था उनके खिलाफ षडयंत्र रचकर हटाया गया। इनमें से अधिकांश लोगों में षडयंत्र का सामने खड़े रहने का साहस नहीं था। लेकिन मैंने नैतिक और राजनीतिक जिम्मेदारी समझते हुए इसका विरोध करने और ऐसे लोगों को उजागर करने का फैसला किया।

हरियाणा में कांग्रेस को नष्ट करने की साजिश प्रमुख नेताओं की ओर से रची गई। जिसकी शुरुआत पांच साल तक जिला और ब्लॉक कमेटियां गठित नहीं करने के फैसले से की गई। कांग्रेस 36 बिरादरियों की पार्टी मानी जाती है। लेकिन सोशल इंजीनियरिंग के जरिए कुछ प्रभावशाली लोगों ने प्रयास कर इसे एक बिरादरी की पार्टी बना दिया। जिससे पार्टी ने सभी समुदायों में अपनी साख खो दी। पार्टी के लोगों को क्षेत्र के हिसाब से रंगों में बांट दिया। इसके बावजूद वरिष्ठ नेताओं से लेकर पत्रकार भी कहते थे कि अगली सरकार कांग्रेस की बनेगी।

इसके बाद सबसे बड़ा झटका तब लगा जब पार्टी ने निगम चुनावों में नहीं उतरने का फैसला लिया। राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ चुनाव जीतने के महज तीन दिन बाद यह फैसला लिया गया। जबकि प्रत्येक निगम में 3 से 5 लाख वोट थे। जबकि मैं चाहता था कि पार्टी के सिंबल पर निगम चुनाव लड़े जाएं। जबकि विरोधियों ने राहुल गांधी के सामने पार्टी सिंबल पर चुनाव नहीं लड़ने का दवाब डाला। जिसके लिए आखिर में राहुल गांधी तैयार हो गए। इससे प्रदेश में भाजपा को दौड़ने के लिए खुला मैदान मिल गया।

राहुल गांधी के विरोध के बावजूद बाप-बेटे को टिकट





अशोक तंवर ने इस्तीफे के तीसरे पेज में कहा है कि जींद उप चुनाव अंतिम उम्मीद के तौर पर कांग्रेस के लिए लिए थे। जिसके जरिए 36 बिरादरी को प्रभावित किया जा सकता था। लेकिन इन लॉबिस्ट ने निजी हितों के लिए इन लोगों ने सामूहिक प्रयास नहीं किया। लोकसभा चुनावों में भी अंतिम मौका था लेकिन राहुल गांधी के विरोध के बावजूद बाप-बेटे को टिकट दे दिया गया। जिससे एक परिवार की पार्टी होने के आरोप लगे। लोग कहने लगे कि दस में से दो सीटें एक परिवार को दे दीं। जिसके कारण कई स्थानों पर लोगों ने कांग्रेस को नकार दिया।

अशोक तंवर ने कहा कि अनुशासनहीनता की हद तब हो गई जब हरियाणा कांग्रेस कमेटी से जुड़े लोगों के साथ अभ्रद्रता और मारपीट की गई। मेरे खिलाफ अप्रैल 2015 और सितंबर 2017 में रामलीला मैदान में कांग्रेस की रैलियों में हूटिंग की गई। इसके अलावा राहुल गांधी की देवरिया से दिल्ली के भैरव मंदिर तक यात्रा निकाली गई। इस दौरान मैं भी सैकड़ों समर्थकों के साथ शामिल हुआ। इसमें पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा के पीएसओ ने हमलावरों के साथ लाठी डंडों से हमला कर दिया। जिससे कांग्रेस के सच्चे सिपाहियों को चोटें आयीं। कांग्रेस ने इसकी जांच के लिए शिंदे कमेटी गठित की। लेकिन किसी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस हाइकमान में निर्णय करने वाले लोग एक चुनाव में भी प्रदेश में नहीं जीत सकते हैं। क्योंकि जमीन पर कार्य करने वाले कार्यकर्ताओं के संदेशों को नकार दिया जाता है। हरियाणा के पूर्व महा सचिव प्रबारी कमल नाथ का एटीट्यूट बेहद ही निराशाजनक था। उन्हें हरियाणा की परवाह नहीं थी। जबकि गुलाम नबी आजाद एक तरह का गंदा खेला। उन्होंने हाई कमान से मिली जिम्मेदारियों को दोस्तों के लिए बेच दिया।

कांग्रेसियों की अपेक्षा कर दलबदलुओं को दिया टिकट

हरियाणा कांग्रेस पूर्व अध्यक्ष अशोक तंवर ने इस्तीफे के अंतिम पेज पर लिखा है कि वरिष्ठ नेताओं का सहयोग मिले बिना कार्यकर्ताओं के बल पर लोकसभा चुनाव 2019 में 6 फीसदी मत प्रतिशत बढ़ा। जबकि विधानसभा चुनाव 2014 के मुकाबले 8.5 फीसदी बढ़ा है। जब इन लोगों की तरफ से बार-बार दिक्कत खड़ी की जा रही थी। तब मैंने इस्तीफा देने की पेशकश की थी। लेकिन हाई कमान ने कार्य करने के निर्देश दिए थे।
उन्होंने कहा कि ठीक एक माह पहले तत्कालीन सीएलपी लीडर किरण चौधरी और उन्हें हटा दिया गया बिना किसी कारण बताए। उनके पांच साल 8 महीने के संघर्ष को भी ध्यान नहीं रखा गया। जिसके बाद एक माह तक इंतजार किया निष्पक्ष टिकट वितरण के लिए। ताकि जिन्होंने वाकई पांच साल मेहनत की है उन्हें टिकट दिलाया जा सके। लेकिन भूपेंद्र सिंह हुड्डा, गुलाम नबी आजाद और अन्य ने निजी लोगों को टिकट दे दिए। कैप्टन अजय यादव ने इसका विरोध करते हुए बाहरी और दलबदलुओं को टिकट नहीं देने के लिए कहा।

अंत में उन्होंने कहा कि 26 साल के ईमानदारी भरे कार्यकाल के बाद राष्ट्र और समाज हित में प्राथमिक सदस्यता से भी इस्तीफा दे रहा हूं। मेरी लड़ाई किसी से निजी तौर पर नहीं है। बल्कि एक ऐसे सिस्टम के खिलाफ थी जो कि सबसे पुरानी पार्टी को बर्बाद कर रहा है।







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