भूपेंद्र सिंह हुड्डा बोले दाना-दाना खरीदने के साथ दाना-दाना बचाना भी सरकार की जिम्मेदारी

पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने बिगड़ते मौसम और अनाज मंडियों में चरमराई सरकारी व्यवस्था पर गहरी चिंता ज़ाहिर की है। उन्होंने कहा कि रूक-रूक कर हो रही बारिश के बाद पूरे प्रदेश से अनाज बर्बादी की हैरान करने वाली तस्वीरें सामने आई हैं। मंडी और ख़रीद केंद्रों पर सरकारी व्यवस्था की कमी के चलते गेहूं बारिश के पानी में बह रहा है और ख़रीद में देरी की वजह से खेतों में गेहूं भीग रहा है। बार-बार विपक्ष की तरफ से चेताने और गुहार लगाने के बावजूद किसान के ख़ून-पसीने से उगाई गई फसल बर्बाद हो रही है।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान विपक्ष और सरकार का कई बार संवाद हुआ। हमारी तरफ से सबसे बड़ी मांग किसानों के बारे में ही रखी गई। सरकार से गुहार लगाई गई कि सरसों और गेहूं की ख़रीद के लिए तमाम बंदोबस्त समय रहते कर लिए जाएं। सरकार की तरफ से भी हमें आश्वासन दिया गया है कि किसानों को कोई परेशानी नहीं होगी। लेकिन, जैसे ही ख़रीद शुरू हुई, सरकार के आश्वासन की पोल खुलनी भी शुरू हो गई। पहले सरसों न्यूनतम समर्थन मूल्य 4425 रुपये से कम 3800 रुपये में बिकी और अब गेहूं बर्बाद हो रहा है। न पूरी ख़रीद हो पा रही है और न ही उठान। न अनाज रखने के लिए ज़रूरत के मुताबिक बारदाना है और न उसे ढकने के लिये तिरपाल। उन्होंने एक बार फिर सरकार से आग्रह किया कि खुले आसमान की बजाय सरकारी स्कूल आदि में भण्डारण की व्यवस्था हो। ताकि किसान का दाना-दाना ख़रीदने के साथ सरकार दाना-दाना बचाने की भी व्यवस्था कर सके।
हुड्डा ने कहा कि अभी भी व्यवस्था को दुरुस्त करने का समय है, क्योंकि अनुमानित पैदावार के मुक़ाबले अभी लगभग 15% ही ख़रीद हो पाई है। मंडी और ख़रीद केंद्रों पर गेहूं की आवक ज़ोरों पर है। सरकार अपने लापरवाह रवैये को छोड़कर अब भी अन्नदाता को परेशान होने से बचा सकती है। सरकार को इसके लिए सुनिश्चित करना होगा कि ख़रीद, उठान और उचित भण्डारण व्यवस्था में किसी तरह की देरी ना हो। एक किसान की एक ही बार में पूरी फसल ख़रीदकर उसे फारिग किया जाए। गैर-पंजीकृत किसानों का भी मौक़े पर पंजीकरण करके तत्काल उनकी फसल ख़रीदी जाए।
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