Bahadurgarh : कांग्रेस को लगा बड़ा झटका, नीना व सतपाल ने छोड़ा हाथ का साथ

Bahadurgarh : कांग्रेस को लगा बड़ा झटका, नीना व सतपाल ने छोड़ा हाथ का साथ
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महिला कांग्रेस की वरिष्ठ उपाध्यक्ष रही डॉ. नीना राठी और किसान कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष रहे उनके पति सतपाल राठी ने करीब 20 वर्ष बाद हाथ का साथ छोड़ दिया है। राठी दम्पति ने कांग्रेस को परिवारवाद व चापलूसों की पार्टी करार दिया और कहा कि इसमें काम करने वालों को सम्मान नहीं।

बहादुरगढ़। हरियाणा कांग्रेस( Haryana Congress) को बहादुरगढ़ में बड़ा झटका लगा है। महिला कांग्रेस की वरिष्ठ उपाध्यक्ष रही डॉ. नीना राठी (Dr. Nina Rathi) और किसान कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष रहे उनके पति सतपाल राठी (Satpal Rathi) ने करीब 20 वर्ष बाद हाथ का साथ छोड़ दिया है। राठी दम्पति ने कांग्रेस को परिवारवाद व चापलूसों की पार्टी करार दिया और कहा कि इसमें काम करने वालों को सम्मान नहीं। कांग्रेस छोड़ दी है, किसी दूसरे राजनीतिक दल में शामिल होने की घोषणा जल्द की जाएगी।

शुक्रवार को आयोजित प्रेस वार्ता में डॉ. नीना राठी ने कहा कि वे करीब 20 साल से कांग्रेस से जुड़े रहे। दो बार नगर परिषद का चुनाव लड़ा। पार्टी के लिए पूरी मेहनत व निष्ठा से कार्य किया। लेकिन पार्टी ने पूरी तरह से उपेक्षा की। जनता की सेवा का उद्देश्य लेकर राजनीति शुरू की। जनता के आशीर्वाद से चुनाव भी जीती, लेकिन पिछले चार साल से चेयरपर्सन की ओर से मेरे वार्ड को पूरी तरह से उपेक्षित रखा गया। मेरे वार्ड में कोई काम नहीं होने दिया गया। स्टेट पर पार्टी के लिए खूब मेहनत की। जब चुनाव आते तो बड़े नेता हमें अपना बताते, लेकिन उसके बाद किनारा कर लेते। कांग्रेस की कथनी और करनी में फर्क है। यह चापलूसों की पार्टी है, काम करने वालों की इसमें कोई कद्र नहीं। किसी नेता से नाराजगी के सवाल पर नीना ने कहा कि किसी व्यक्ति विशेष से कोई नाराजगी नहीं। नाराजगी पार्टी की नीतियों से है। वह महिला कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए डिजर्व करती है। खुद बड़े नेता भी यह बात मानते हैं, लेकिन फिर भी अनदेखी की गई। इसी ना उम्मीदी और निराशा से यह फैसला लेना पड़ा है। अभी मन आहत है, इसलिए किसी दूसरी पार्टी में जाने का फैसला नहीं लिया है। जल्द ही अच्छा निर्णय लेंगे।

सम्मान के लिए ही दीपेंद्र हुड्डा से मतभेद हुआ

उधर, सतपाल राठी ने कहा कि किसी भी पार्टी के लिए लगातार 20 साल मेहनत करना बड़ी बात है। काम के वक्त तो वर्कर याद आते हैं, लेकिन बाद में नजरंदाज किया जाता है। सम्मान के लिए ही दीपेंद्र हुड्डा से मतभेद हुआ। जब हुड्डा परिवार को काम की जरूरत पड़ी तो हमें परिवार का हिस्सा बना लिया, जब हमारे सम्मान की बात आई तो हाथ सिकोड़ लिए। पार्टी परिवारवाद में सिमट कर रह गई है। इसी वजह से कांग्रेस का स्तर लगातार गिरता जा रहा है। जहां सरकार बनती है, वहां गिर जाती है। हमसे कुछ राजनीतिक संगठन सम्पर्क कर रहे हैं। सोच समझ कर सही निर्णय लेंगे।


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