इंसानियत शर्मसार: एंबुलेंस के बजाय रेहड़ी से अस्पताल लाया गया शव

मनीष कुमार। बहादुरगढ़। शहर में गुरुवार की सुबह इंसानियत को शर्मसार करती एक घटना हुई। यहां फंदा लगाकर जान देने वाले दिल्ली निवासी एक बुजुर्ग के शव को एंबुलेंस के बजाय रेहड़ी में रखकर अस्पताल ले जाया गया। यहां तक की शव को ढकने को चार मीटर कपड़ा भी नहीं था। जिससे फंदा लगा उसी कपड़े को ढकने में इस्तेमाल किया गया। इस बारे में जहां पुलिस गोलमोल रवैया अपना रही है, वहीं स्वास्थ्य कर्मी भी कुछ नहीं बोल रहे।
घटना रोहतक-दिल्ली रोड स्थित गोरैया पर्यटन केंद्र के पास की है। दरअसल, यहां सड़क किनारे खड़ी एक प्राइवेट बस की पिछली तरफ लगी सीढ़ियों पर एक बुजुर्ग का शव लटका हुआ था। सुबह किसी युवक की नजर पड़ी तो उसने 100 नंबर पर कॉल कर दी। सूचना मिलते ही करीब साढ़े छह बजे सेक्टर-6 थाना पुलिस मौके पर पहुंची और आवश्यक कार्रवाई शुरू की। मौके पर एफएसएल टीम को भी बुलाया गया। इस पूरी कार्रवाई में करीब तीन घंटे का समय लग गया। इसके बाद जब शव को अस्पताल तक ले जाने की बात आई तो हैरानी भरा नजारा देखने को मिला। शव को ले जाने के लिए किसी एंबुलेंस की नहीं बल्कि एक रेहड़ी की व्यवस्था की गई थी। अस्पताल तक शव ले जाने के लिए तीन प्रवासी लोगों को पकड़ा गया। ये ही शव वाहन बनी रेहड़ी को अस्पताल तक लेकर पहुंचे।
इंसानियत तो तब और शर्मसार हो गई जब शव को ढकने के लिए चंद मीटर कपड़े की भी व्यवस्था नहीं हुई। आखिरकार जिस कपड़े से फंदा लगाया गया था, उसी को शव ढकने में इस्तेमाल किया गया। मुख्य मार्ग से जब रेहड़ी से शव ले जाया जा रहा था तो देखकर लोग भी हैरान थे। बहुत से लोगों ने इसे निंदनीय घटना करार दिया। खास बात ये कि घटना स्थल से महज 500 मीटर की दूरी पर ही यह नागरिक अस्पताल है। चलो अस्पताल में एंबुलेंस उपलब्ध न होती, तो बात कुछ अलग थी, लेकिन परिसर में शव लाने के दौरान तीन एंबुलेंस खड़ी हुई थी। इसके बावजूद एंबुलेंस घटनास्थल तक नहीं पहुंची, ये समझ से परे है। अस्पताल में पहुंच पुलिस कर्मियों से इस बारे में बात की गई तो उन्होंने भी कोई खास जवाब नहीं दिया। बस यही बोले कि शव को अस्पताल तक तो पहुंचा दिया।
इस संबंध में जानकारी लेने के लिए जब एंबुलेंस कंट्रोल रूम में फोन किया गया तो कॉल रिसीव करने वाले शख्स ने कहा कि एंबुलेंस में बॉडी नहीं लाई जाती। हालांकि वीरवार की सुबह ऐसी कोई भी कंट्रोल रूम में नहीं आई है।
तर्क था कि सभी एंबुलेंस व्यस्त हैं
कॉल करके एंबुलेंस बुलाई गई थी। जब नहीं आई तो पुलिसकर्मी को स्पेशल अस्पताल भेजा गया। स्वास्थ्य कर्मियों का तर्क था कि सभी एंबुलेंस व्यस्त हैं। एंबुलेंस क्यों नहीं आई, इसके बारे में तो स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी ही स्पष्ट बता सकते हैं। - मनोज कुमार, एसएचओ, सेक्टर-6 थाना
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