हरियाणा में अभी नहीं खुलेंगे शिक्षण संस्थान

चंडीगढ़। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सिरदर्द बनी कोरोना वायरस संक्रमण की समस्या के कारण हरियाणा में बाकी कार्य के साथ-साथ शिक्षण संस्थानों पर भी प्रतिकूल प्रभाव हुआ है। प्राथमिक शिक्षा से लेकर हायर एजूकेशन (उच्च शिक्षा) तक पर प्रतिकूल प्रभाव हुआ है लेकिन प्रदेश के शिक्षा मंत्री ने साफ कर दिया है कि अभी लाक डाउन के दौरान शिक्षण संस्थाओं को खोलने का कोई इरादा नहीं है क्योंकि इसमें ज्यादा जोखिम उठाना पड़ेगा।
प्रदेश के शिक्षा मंत्री कंवरपाल सिंह का कहना है कि केंद्रीय एडवाइजरी और प्रदेश में लाक डाउन के फैसले का शिक्षा विभाग भी पूरी तरह से पालन कर रहा है। शिक्षा मंत्री का कहना है कि राज्य के अंदर कोरोना संक्रमण को देखते हुए फिलहाल स्कूल, कॉलेज, शिक्षण संस्थान खोलने का कोई विचार हमने नहीं बनाया है, बल्कि इस बारे में साफ फैसला है कि जिस समय तक विशेषज्ञ इस संबंध में कोई फैसला नहीं देगे, स्कूल नहीं खोले जाएंगे। एजूकेशन में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं हो सकता, इस तरह के फैसले में शिक्षकों व बच्चों के जीवन के साथ में खिलवाड़ वाली बात होगी।
ऑनलाइन माध्यमों से विद्यार्थियों को पढ़ाई करा रहे
शिक्षा मंत्री ने कहा कि हमारे शिक्षक दिन रात मेहनत कर रहे हैं और एजूसेट, टीवी ,केबल, ऑनलाइन माध्यमों से विद्यार्थियों को पढ़ाई करा रहे हैं। प्रदेश में स्वयंप्रभा के माध्यम से कक्षाएं ली जा रही हैं, स्वयंप्रभा के चार चैनल है जिनके जरिए बच्चों को पढ़ाया जा रहा है। इतना ही नहीं राज्य में सरकार की तरफ से भी हेल्पलाइन नंबर जारी किया गया है। इस तरह से बच्चों का सिलेबस कवर कराने की कोशिश की जा रही है इन सभी माध्यम से एजूसेट के माध्यम से एक माह का पाठ्यक्रम बच्चों को पढ़ाया जा रहा है। शिक्षा मंत्री ने यह भी कहा कि राज्य के प्राइवेट स्कूल भी ऑनलाइन माध्यम से बच्चों को पढ़ाई करा रहे हैं। प्रदेश के बच्चे व अभिभावक हालात को अच्छी तरह से समझते हैं, इसीलिए राज्य के अंदर लाक डाउन का पूरा पालन किया जा रहा है। लाक डाउन के बावजूद विद्यार्थी अपने सिलेबस को पूरा करने के लिए रात दिन लगे हुए हैं।
भविष्य में छुट्टियों में कटौती की तैयारी में शिक्षा विभाग
राज्य के शिक्षा मंत्री कंवरपाल सिंह ने यह भी साफ कर दिया है कि आने वाले वक्त में अवकाश में कटौती की जाएगी। उन्होंने कहा कि बच्चों के भविष्य का सवाल है, उनका सिलेबस भी पूरा कराना है, अथवा निर्धारित सिलेबस के आाधार पर ही परीक्षा होगी। उन्होंने बताया कि एक साल में 234 पीरियड लगते हैं। अगर आने वाले वक्त में माहौल ठीक होता है औऱ एक जून से कक्षाएं शुरू होती हैं, तो गर्मी और सर्दी की 15-15 दिन की छुट्टियां नहीं की जाएगी और इसी तरह से माह के दूसरे शनिवार की भी छुट्टी नहीं की जाएगी। इन छुट्टियों को रद करके लाक डाउन के दिनों की भरपाई की जाएगी। अगर कक्षाएं लगाने की जुलाई से शुरुआत होती है, तो एक घंटा अतिरिक्त क्लास बढ़ा दी जाएगी।
दसवीं का रिजल्ट निकालने को हरियाणा शिक्षा बोर्ड ने की तैयारी
शिक्षा मंत्री ने कहा कि हम समय समय पर राज्य शिक्षा विभाग के आला अफसरों के साथ में बैठक कर चुके हैं। इसके अलावा केंद्रीय मंत्री के साथ में भी हमारी वीसी के जरिए मीटिंग हुई है। जिसमें अहम विषयों पर विचार विमर्श हो रहा है, इसी क्रम में हमने सिलेबस को कवर करने के लिए शिक्षा विभाग के अधिकारियों के साथ में विचार विमर्श कर पूरी योजना तैयार कर ली है। इसी तरह से यूजीसी की तरफ से भी गाइडलाइन जारी की गई हैं। 30% सिलेबस में छूट मिले और 50 अंक का ही पेपर लिया जाए। औसत के आधार पर दसवीं का रिजल्ट निकालने की हरियाणा शिक्षा बोर्ड ने तैयारी कर ली है। हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड का दसवीं का रिजल्ट 20 मई तक आउट कर दिया जाएगा और औसतन अंकों के आधार पर रिजल्ट निकाला जाएगा। इसके साथ ही विद्यार्थी 11वीं में प्रोविजनल (अस्थायी) दाखिला लेने का विकल्प दिया गया है। इसके बाद में रिजल्ट आउट करना ही है।
12वीं के रिजल्ट पर अभी कोई विचार नहीं किया गया
शिक्षा मंत्री ने एक प्रश्न के उत्तर में कहा कि हरियाणा विघालय शिक्षा बोर्ड के 12वीं के रिजल्ट पर अभी कोई विचार नहीं किया गया है। इस पर बाद में विचार होगा। 12 वीं के (पेपरों की मार्किंग) मूल्यांकन का काम चल रहा है। लेकिन रिजल्ट आउट करने को लेकर अभी सहमति नहीं बनी है। केंद्रीय मंत्री के सामने भी यह मुद्दा रखा है।
कालेज और यूनिवर्सिटी की परीक्षा अभी नहीं
प्रदेश में कॉलेज और यूनिवर्सिटी की परीक्षा अभी नहीं होगी, इस संबंध में फैसला ले लिया गाय है। कॉलेज और यूनिवर्सिटी की परीक्षा को लेकर आने वाले वक्त में कोई फैसला करने के बाद ही यह साफ कर दिया जाएगा।
स्कूल फीस के विवाद पर साफ आदेश
प्रदेश के शिक्षा मंत्री का कहना है कि स्कूलों में फीस को लेकर कोई विवाद नहीं हैं, इस संबंध में साफ साफ आदेश जारी कर दिए गए हैं। प्राइवेट स्कूल स्कूल के स्टाफ को सैलरी दे रहे हैं और समाज को भी इसमें सहयोग करना चाहिए जिससे स्कूलों की भी व्यवस्था ठीक रहे। वहां मौजूद स्टाफ को सैलरी मिल सके सभी को सहयोग करना चाहिए। इस पूरे मामले में शिक्षा मंत्री ने कहा कि अभिभावकों को ही विकल्प दिया है कि आप आर्थिक तौर पर सक्षम हैं, तो आपको फीस देनी चाहिए। उन्होंने कहा कि फीस माफी का सरकार का कोई निर्णय नहीं है। साफ करते हुए शिक्षा मंत्री ने कहा कि एक माह की ट्यूशन फीस स्कूल ले सकते हैं औऱ किसी भी अभिभावक को परेशान करने की शिकायत मिली, तो कार्रवाई होगी। स्कूलों की बसें नहीं चली तो ट्रांसपोर्ट फीस नहीं ले सकते। लेकिन शिक्षा मंत्री ने स्वीकार किया कि उनके पास में काफी अभिभावक मिल रहे हैं, जिनका कहना है कि पैसा देना अभिभावकों के लिए संभव नहीं है कि हमारे बच्चे पढ़े नहीं तो हम फीस किस बात की जमा करें।
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