सीमा लांघ नारनौल से रेवाड़ी पहुंचा वृद्ध नेत्रहीन

हरिभूमि न्यूज। रेवाड़ी। स्टे एड होम यानी सोशल डिस्टेसिंग और लॉकडाउन, कोरोना महामारी से बचाव का यही एकमात्र उपाय है। गांव में ठीकरी पहरे, चौक-चौराहों पर पुलिस बेरीकेड्स और सीमाएं सील। पीएम से सीएम व डीसी से सीएमओ और गलियों में घूमने वाली डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन की गाड़ियों से बस यही सुनने को मिल रहा है। इस सब होने के बावजूद एक नेत्रहीन वृद्ध का नारनौल से चलकर रेवाड़ी पहुंचने की घटना ने सिस्टम की हकीकत को आइना दिखा दिया।
नारनौल से रेवाड़ी पहुंचते हुए न तो कोई पुलिस नाका नेत्रहीन बुजुर्ग की राह रोक पाया तथा ना ही सूचना के बावजूद स्वास्थ्य विभाग का साथ मिल पाया। अव्यवस्थाओं के गड्ढों में फंसी एंबुलेंस कंट्रोल रूम से एसडीएम तक सूचना देने के बावजूद दो घंटे से अधिक समय तक एक किलोमीटर का सफर तय नहीं कर पाई। एंबुलेंस के इंतजार में पुलिस पीसीआर भी एक घंटे तक वृृद्ध के पास ही डटी रही। खुद का नाम हीरालाल बताते हुए परिवार पर निकालने का आरोप लगाते हुए जोनावास में विवाहिता अपनी बेटी के पास जाने की बात बताई। एंबुलेंस नहीं आने पर बाद में वृद्ध को एक अन्य कर्मी के साथ बिठाकर अस्पताल पहुंचाया गया।
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