Exclusive-: दोस्ती के नाते इनेलो को दी थी एकजुट रहने की सलाह, नहीं मानी और दो फाड़ हो गई: मनोहर लाल

हरियाणा में राज की बात की जाती है कि हमारा राज आए। जिसका राजा आ जाता है वो आशीर्वाद देता है। ये पहली बार हो रहा है जब खुद राजा आशीर्वाद लेने जा रहा है। इसकी नौबत क्यों आ गई?
देखिए नौबत का विषय नहीं है। हम लोगों को पुराना अभ्यास है। सत्ता में हों या विपक्ष में, हम हर चुनाव के वक्त जन संपर्क के लिए जाते हैं। जन संपर्क के लिए अक्सर लोगों के बीच विपक्ष जाता है लेकिन हम सत्ता में होते हुए भी जाते हैं। जनता से कह रहे हैं कि आपको पिछले पांच साल का काम काज का तरीका पसंद आया या नहीं आया। यदि पसंद आया है तो आशीर्वाद दीजिए।
पिछली बार का चुनाव था जो कि सामूहिक नेतृत्व का चुनाव था। भाजपा के पास कोई चेहरा नहीं था। लेकिन इस बार चेहरा है मनोहर लाल है। पिछले चुनाव और इस चुनाव में क्या अंतर महसूस कर रहे हैं?
पिछले चुनाव में प्रदेश में भाजपा को शासन का कोई अनुभव नहीं था। ऐसे में हमारे शासन, अनुभव-उपलब्धि से जुड़ी बातें बताने वाली कोई बात नहीं थी। इसके कारण भविष्य की योजनाओं को लेकर उस वक्त घोषणाएं की गईं थीं। इसलिए उस वक्त जनता के सामने पार्टी के एजेंडे की बात सामने रखी। पार्टी की घोषणा, कार्य की नीति बतायी। जिसके बाद लोगों ने भरोसा कर उस वक्त हमें राज दिया। आज हमने पांच साल का कार्यकाल पूरा कर दिखाया है। पांच साल का परिवर्तन है उपलब्धियों को बता रहे हैं। केंद्रीय नेतृत्व ने भरोसा कर जनता हित में मुख्यमंत्री के नेतृत्व में चुनाव लड़ने का फैसला लिया। ये केंद्र के नेतृत्व का फैसला है।
पिछले चुनाव में कई नेता अपने क्षेत्र में मुख्यमंत्री का चेहरा बनाकर लड़ रहे थे। अब उन चेहरों का लाभ नहीं रहेगा। क्या इससे चुनौती नहीं बढ़ जाएगी?
ऐसा नहीं है। पिछली बार किसी के पास मुख्यमंत्री का अनुभव या उपलब्धि नहीं थी। सब अपने-अपने एजेंडे के हिसाब से प्रचार कर रहे थे। लेकिन इस बार उपलब्धियां काफी हैं। उपलब्धियों को जब हम बताएंगे तो उसका लाभ किसी एक के बजाए सभी को मिलेगा। पार्टी के चिन्ह पर लड़ने वाले सभी को इसका लाभ मिलने वाला है।
आप बार-बार कह रहे हैं कि उपलब्धियों का लाभ मिलेगा। ऐसी कौनसी उपलब्धियों हैं जिनके ऊपर मनोहर लाल को भरोसा है?
मुझे भरोसा है ऐसा नहीं है, जनता को भरोसा है। अगर जनता को भरोसा नहीं होता तो क्या इतने लोग आ सकते थे। यदि उपलब्धियां और भरोसा नहीं होता तो इतने लोग नहीं आते। हमने कहा कि ये हमारी उपलब्धियां है यदि आप आशीर्वाद देना चाहते हैं तो हम आशीर्वाद मांगने आए हैं।
वो उपलब्धियां कौनसी हैं जो कार्य सरकार पांच साल में कर पायी?
कार्य की बात की जाती है तो हम भूल जाते हैं, कि कार्य एक तरफ होते हैं और भावना एक तरफ होती है। विकास के कार्य कई किए गए। सड़कें, बजट, राष्ट्रीय राजमार्ग, अंडरपास-फ्लाइओवर, महिला थाने, महिला कालेज, खेतों तक पानी सहित कई कार्य किए गए। कार्य इतने हैं कि हम उन्हें गिनेंगे और जनता से वोट मांगेंगे तो वो एक छोटा सा हिस्सा होगा। एक बड़ा हिस्सा है जो हमने सरकार का राजकाज करने का सिस्टम बदला है। उससे लोगों को सरकारी कार्य कराना आसान हो गया। दफ्तरों के चक्कर नहीं काटने पड़ते। कोई भी कार्य कराना हो तो आसानी से हो जाता है। ई गर्वनेंस के माध्यम से ईज आफ लिविंग किया है।
आपने राजनीति का तरीका बदला है। इनेलो के 19 विधायक जीते थे अब 3 बचे हैं। मनोहर लाल खट्टर सबका भाजपाई करण करते जा रहे हैं। आप क्या चाह रहे हैं?
मैंने किसी को मजबूर नहीं किया है। दूसरे विधायकों की इच्छा हुई कि भाजपा को ज्वाइन करना है। इसके पीछे भाजपा के राज करने का कारण है। इसके अलावा कई विधायक हारने की संभावना के चलते भाजपा में आ रहे हैं। मैंने क्षेत्रीय दलों से कहा कि अच्छा नहीं है आप लोग आपस में मिलकर चलो। भले विपक्ष में हैं लेकिन हम नहीं चाहते किसी पार्टी में दो फाड़ हों और इतनी कमजोर हो जाए। दोस्ती के नाते सलाह दी गई थी। लेकिन नहीं मानी और अपने कारण दो फाड़ हो गई। कांग्रेस में महत्वकांक्षी लोगों की दिक्कत है। हमने तो कुछ नहीं किया फिर भी दिक्कत चल रही है।
आपने कहा कि इनेलो को दोस्ती भरी सलाह दी। तो क्या हुड्डा जी ने जो कदम वापस लिए हैं वो भी तो कहीं मनोहर जी की नसीहत का नतीजा तो नहीं है?
देखिए, इस दौरान मेरा न कोई संबंध है और न कोई लिंक है। अखबारों-चैनल से सूचना मिलती है। जनता में बहुत चर्चायें थी कि 18 अगस्त को ये होगा। हम सोच रहे थे कि शायद कुछ हो लेकिन लेकिन खोदा पहाड़ निकली चूहिया।
आपने लक्ष्य तय किया है 75 पार। 90 सीटें हैं 46 सरकार चलाने के लिए पर्याप्त हैं। 75 का आंकड़ा कहां से ढूंढ़कर लाए हैं?
जनता ने जिस तरह का प्यार दिया। पिछले परिणामों के साथ जनता के उत्साह को देखकर ये तय किया है। जनता के उत्साह को देखते हुए ये लगता है कि 75 का लक्ष्य आसान है। इस लक्ष्य से आगे जनता आगे बढ़ना चाहे तो बढ़े। हमने इसके कारण ही 75 प्लस की बात कही है। इससे पहले भी इस तरह के लक्ष्य पूरे हुए हैं। जब चौधरी देवीलाल के साथ हमारा गठबंधन था तब 80 सीटें आयी थी। जिनमें पांच सीटें निर्दलीय प्रत्याशियों की थीं।
आपने जो लक्ष्य तय किया है उसमें जो 15 सीटें छोड़ रहे हैं, वो किनके लिए छोड़ रहे हैं। किसके साथ मुकाबले की संभावना है?
राजनीति में इसका सीधा गणित नहीं होता है। ये सब ज्यादातर संभावनाएं होती हैं। किसी-किसी क्षेत्र में पार्टियों की कुछ मजबूत सीटें होती हैं। कुछ सीटों पर विपक्ष आता है तो ये अच्छी बात है। बिल्कुल विपक्ष न हो तो ये लोकतंत्र में अच्छा नहीं है। ये मैं इसके कारण कह रहा हूं कि क्योंकि जनसंघ के समय से लेकर अभी तक विपक्ष का काम ही हमने किया है। सत्ता दल मनमानी न करे इसके हमारे अनुभव हैं। इसलिए हम भी मनमानी न करें इसके लिए विपक्ष जरुरी है।
आपकी बातों में थोड़ा विरोधभास लग रहा है। मुख्यमंत्री 15 में विपक्ष को समेटना चाहते हैं और उनके अंदर का आरएसएस प्रचारक मजबूत विपक्ष चाहता है। दोनों चीजें कैसे संभव है?
मजबूत विपक्ष की बात हम पहले कहा करते थे जब सत्ता के नजदीक भी नहीं होते थे। जब जो सत्ता के नजदीक न हो और वो कहे कि सत्ता लेकर आऊंगा तो लोग भरोसा नहीं करते। आज कोई दूसरा दल ये कहे कि हम सत्ता लेकर आएंगे तो प्रदेश की जनता भरोसा नहीं करेगी। हां यदि कोई ये कहे कि हम विपक्ष के नाते से मजबूत विपक्ष लाना चाहते हैं, चाहे सरकार भाजपा की आए। मजबूत विपक्ष लाकर जनता की सेवा करेंगे। ऐसे में जनता उनकी बात का विश्वास करेगी। मैं तो विपक्ष की ही बात कह रहा हूं।
पार्टी के स्तर पर तय हो गया है कि जनता ने बहुमत दिया तो मनोहर लाल मुख्यमंत्री होंगे। लेकिन खट्टर जी कहां से विधायक होंगे?
ये बिल्कुल स्पष्ट है। मैंने कभी नहीं कहा कि कहीं और से चुनाव लड़ूंगा। करनाल की जनता ने पहली बार में ही चुनाव में मुझे बहुत प्यार दिया।
टिकट 90 लोगों को मिलना है। इसके मुकाबले विधायक की हैसियत वाले 900 लोग पार्टी जाइन कर चुके हैं। आखिर क्या करना चाह रहे हैं?
हमारे यहां बहुत लोग हैं जिनकी हैसियत विधायक बनने की है। चुनाव तो 90 ही लड़ेंगे लेकिन भाजपा के 30 हजार सक्रिय सदस्य हैं। जिला स्तर-प्रदेश स्तर के पदाधिकारियों को मिलायें तो एक जिले में 30-40 लोग होते हैं। ऐसे में पूरे राज्य में देखें तो 800-900 पदाधिकारी पहले से हैं जो चुनाव लड़ने की क्षमता रखते हैं। यदि जिला स्तर पर 10-20 और आकर मिल जाते हैं तो कोई भटकाव नहीं होता। जो आकर मिल रहे हैं उनकी कोई शर्त नहीं मानी है कि आप आएंगे तो चुनाव लड़वाएंगे। ये भाजपा की रीति-नीति के चलते आ रहे हैं।
भाजपा एंटी इनकंबेंसी रोकने के लिए पुराने विधायक-मंत्रियों के टिकट काटती है। हरियाणा के संदर्भ में क्या रणनीति है?
इसका कोई फार्मूला नहीं होता। व्यक्ति के आधार पर आंकलन किया जाता है। हम और संबंधित व्यक्ति खुद आंकलन करता है। आंकलन में जो निकल कर आता है उस हिसाब से निर्णय किया जाता है।
मुख्यमंत्री की हसरत पालने वाले कई हैं। क्या ऐसा नहीं लगता कि जिनकी मुख्यमंत्री बनने की हसरत है ऐसे लोग विपक्ष की भूमिका निभाएंगे?
हमारी पार्टी एकजुट है, परिवार की तरह कार्य किया है। पार्टी का जो निर्णय होता है वो सभी लोग अपना मानकर कार्य करते हैं। कभी भाजपा में पार्टी विरोधी बात नहीं होती है।
सेंधमारी की कोई आंशका?
ऐसा कोई विषय नहीं है।
हरियाणा में पूर्ववर्ती सरकार का भ्रष्टाचार एक बड़ा विषय था। भाजपा का वादा था कि भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ेंगे। जो दोषी हैं उन्हें हवालात में भेजेंगे। पांच साल में भ्रष्टाचार को लेकर क्या उपलब्धि है?
भ्रष्टाचार की लड़ाई जारी है जो आगे भी जारी रहेगी। पहली प्राथमिकता थी कि भाजपा सरकार में भ्रष्टाचार न हो। हमने नेताओं से एक प्रकार का संकल्प कराया कि भ्रष्टाचार कोई नहीं करेगा। भ्रष्टाचार को अलग-अलग विभागों में पकड़ा। अधिकारियों को भी भ्रष्टाचार नहीं करने का कड़ा संदेश दिया। ये मेरा दावा नहीं कि भ्रष्टाचार पूरी तरह से खत्म हो गया। आज भी बहुत शिकायतें मिलती हैं, हम उनके ऊपर कार्रवाई करते हैं। जब दोषी पाए जाएंगे तो सजा मिलेगी। ढ़ींगरा कमिशन की रिपोर्ट कांग्रेस के लोगों ने कोर्ट में अटका दी है। जिससे स्पष्ट है कि दाल में कुछ काला है।
विपक्ष किलोमीटर स्कीम में घोटाले का आरोप लगा रहा है?
बेबुनियाद है। उसके दो भाग है। एक तो किलोमीटर स्कीम को लागू करेंगे। हरियाणा को छोड़कर अधिकांश राज्यों में लागू है। दूसरा है टेंडर। विजिलेंस ने गड़बड़ी को पकड़ा है। उसको लेकर एफआईआर हो चुकी है। जो भी शामिल होगा उनके ऊपर कार्रवाई होगी। तीन जिलों में विजिलेंस ने स्कालरशिप स्कीम में गड़बड़ी पकड़ी है। जिसकी जांच चल रही है। जांच का कार्य लंबा है उसमें हम जल्दबाजी नहीं कर सकते।
हरियाणा की राजनीति में परिवारवाद काफी हावी रहा है। इनमें भजनलाल, देवीलाल जी, भूपेंद्र हुडा जी का परिवार शामिल है। इनका राजनीतिक भविष्य बतौर राजनीतिज्ञ कैसे देखते हैं?
हमारी पार्टी परिवाद से भिन्न विचार रखती है। जिन्होंने रखा उन्होंने जनता का भला नहीं किया। जनता खुद ऐसे लोगों को सबक सिखाती है। परिवारवाद को लेकर चलने वाली क्षेत्रीय पार्टी एक-दो पीढ़ी के बाद समाप्त हो जाती हैं। हरियाणा में भी परिवार वाद ज्यादा पनपेगा नहीं।
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