Bhajan Lal: 'आया राम गया राम' की राजनीति के जनक जिनकी तीन दशकों तक रही हरियाणा में धाक

Bhajan Lal: आया राम गया राम की राजनीति के जनक जिनकी तीन दशकों तक रही हरियाणा में धाक
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हरियाणा राजनीति (Haryana Assembly Election) में तीन दशकों तक अपनी धाक रखने वाले आया राम गया राम राजनीति के जनक भजन लाल (Bhajan Lal) का 6 अक्टूबर को जयंती मनाई जा रही है। इस मौके पर जानते हैं उनसे जुड़े कुछ राजनीतिक तथ्य।

हरियाणा की राजनीति भजनलाल के जिक्र के बिना आज भी अधूरी है, करीब 3 दशकों तक राज्य की सियासत में इनकी धाक रही है। अब इनके परिवार की राज्य के अलग अलग इलाकों में पकड़ कायम है और इनकी अगली पीढ़ी विधानसभा चुनाव 2019 में कांग्रेस से एक बार फिर से किस्मत आजमा रही है। देश की 'आया राम गया राम' राजनीति के जनक माने जाने वाले भजन लाल हरियाणा के तीन बार मुख्यमंत्री रहे हैं।

भजनलाल का जन्म 6 अक्टूबर 1930 में कोटवाली गांव में हुआ था, जो अब पाकिस्तान का हिस्सा है। भजनलाल का परिवार विभाजन के बाद हिसार आ गया। इनका विवाह जसमादेवी से हुआ। इनके दो बेटे हैं चंद्रमोहन बिश्नोई और कुलदीप बिश्नोई दोनों हरियाणा राजनीति में सक्रिय हैं। गरीब किसान परिवार में पैदा होने वाले भजनलाल ने अपने शुरुआती दिनों में ओढणी बेचने का काम करते थे। इसके बाद भजनलाल ने हिसार की अनाज मंडी में व्यापारी के तौर पर भी काम किया।

सरपंच से मुख्यमंत्री का सफर


राजनीति में भजनलाल ने अपने करियर की शुरुआत ब्लॉक लेवल के चुनाव से की। कुछ समय बाद इन्होंने कांग्रेस ज्वाइन की इसके बाद भजनलाल ने राजनीति में कभी वापस मुड़कर नहीं देखा और वह 1968 में पहली बार हरियाणा की आदमपुर सीट से कांग्रेस के टिकट पर विधायक बने। इसके बाद 1972 में वह फिर इसी सीट से चुने गए। यहीं से भजनलाल का कद हरियाणा राजनीति में बढ़ना शुरू हो गया। इमरजेंसी के वक्त 1977 में भजनलाल कांग्रेस छोड़कर जनता पार्टी में शामिल हो गए और हिसार से चुनाव जीता। इनके बाद 1978 उन्हें देवी लाल सरकार में डेयरी व पशुपालन मंत्री बनाया गया।

आया राम गया राम राजनीति के जनक

लेकिन भजनलाल ने राजनीति का असली दांव साल 1979 में चला जब वह देवीलाल के बाद हरियाणा के सीएम बने। और इंदिरा गांधी के सत्ता में आने पर सीएम रहते हुए भजनलाल जनता पार्टी के अधिकतर विधायकों के साथ कांग्रेस में शामिल हो गए। कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव 1982 में भजनलाल को चेहरा बनाया और जीत हासिल की।

हरियाणा में बंसीलाल और भजनलाल के बीच की लड़ाई को देखते हुए 1985 में भजनलाल को राजीव गांधी ने केंद्र में बुला लिया। राजीव गांधी सरकार में उन्हें कृषि मंत्री बनाया गया लेकिन केंद्रीय मंत्री रहते हुए भी भजनलाल राज्य की सियासत में सक्रिय रहे और 1991 में दोबारा मुख्यमंत्री बने। आया राम–गया राम' जुमले को प्रसिद्ध कराने वाले विधायक गया लाल को दो प्लॉट दिए जाने के आरोप थे। गया लाल ने एक ही दिन में तीन बार पार्टी बदल ली थी।

बनाई हरियाणा जनहित कांग्रेस पार्टी


विधान सभा चुनाव 1996 में भजनलाल को उस समय झटका लगा जब उनके नेतृत्व में पार्टी बुरी हार गई और राज्य की सियासत बंसीलाल और चौटाला परिवार के हाथ में आ गई। हालांकि 2005 में भजनलाल की अगुवाई में कांग्रेस की सत्ता में वापसी हुई। लेकिन इस बार कांग्रेस पार्टी ने भजन लाल की जगह भूपेंद्र सिंह हुड्डा को सीएम बनाने का फैसला किया। हलांकि उनको संतुष्ट करने के लिए बड़े बेटे चंद्रमोहन को हुड्डा सरकार में उपमुख्यमंत्री बनाया गया। लेकिन इस फैसले से नाराज छोटे बेटे कुलदीप बिश्नोई ने कांग्रेस से बगावत शुरु कर दी। इसके बाद 2007 में भजनलाल ने कांग्रेस के साथ अपना 30 साल पुराना संबंध कर लिया और हरियाणा जनहित कांग्रेस नामक एक अलग पार्टी बनाई।

2009 में भजनलाल ने हिसार सीट से लोकसभा चुनाव लड़ा और जीतने में कामयाब हुए। इसके बाद हुए विधानसभा चुनाव में भजनलाल की पार्टी के 6 विधायक चुने गए। पर कुछ दिन बाद ही उनमें से 5 विधायक कांग्रेस में शामिल हो गए। कुलदीप बिश्नोई पार्टी में अकेले विधायक बचे। इसके बाद 3 जून 2011 को इनका निधन हो गया। इससे पहले यह तीन बार प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे।

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