भाजपा न देखे 75 का सपना, कांग्रेस मिलकर लड़ेगी विधानसभा का चुनाव: कुमारी शैलजा

हरियाणा विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कुमारी शैलजा ने लोकसभा परिणाणों के लिए राष्ट्रीय मुद्दों को जिम्मेदार ठहराया है। जबकि विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के बेहतर प्रदर्शन का दावा किया है। इसके साथ ही मनोहर सरकार में निचले स्तर पर बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है। पेश हैं हरिभूमि समूह के प्रधान संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी के साथ साक्षात्कार के प्रमुख अंश-ः
हरियाणा में चुनावों की घोषणा से दो सप्ताह पहले आपने प्रदेश कांग्रेस की कमान संभाली है। क्या आपको नहीं लगता कि बहुत देर होगी पार्टी को ये फैसला लेने में?
कोई बात नहीं। देर आए दुरूस्त आए। पार्टी तो कार्य कर ही रही थी, बस ऊपर का सेनापति बदला है। हमारे वर्कर और हमारी सेना जमीन पर लगी हुई थी। अब समय आ गया है जिन्होंने कांग्रेस की विचारधारा को फैलाया है वो सब अब मिलकर-जुड़कर लड़ाई के अंतिम चरण को पार करें।
आप कह रहे हैं कि लोग कार्य कर रहे थे। लेकिन जिस तरह के परिणाम पिछले दिनों आए हैं उससे लगता है कि. कार्य कर नहीं रहे थे, काम लगा रहे थे?
नहीं, ऐसा नहीं है। कभी-कभी कुछ मुद्दे ऐसे हो जाते हैं। लोकसभा चुनाव में जिनका हम सभी शिकार हुए। ऐसे मुद्दे आ गए जिनको लेकर राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में एक लोगों की मनोभावना से खेला गया। वो एक अलग दौर था। अब चंद ही महीनों में फर्क आ गया है। उस समय कुछ और मुद्दे थे। अब हरियाणा के लोगों की जो मूल बाते हैं वो उन्हें छू रही हैं। वो बातें उभरकर सामने आएंगी।
आप कह रही हैं कि राष्ट्रीय मुद्दों के कारण ऐसा परिणाम आया। तो फिर सेनापति को बदलने की पार्टी को जरुरत क्या पड़ी?
पार्टी का सिस्टम होता है। समय-समय पर अध्यक्ष बदले जाते हैं। केवल हरियाणा ही नहीं दूसरे राज्यों में भी बदला। जब भी बदलाव आता है उसके तहत सभी लोग कार्य करते हैं।
आप जो दावा कर रही हैं वो दिखाई तो नहीं देता। पांच साल तक पार्टी के जो सिपाही थे उनका नए सेनापति के कार्य संभालने के दौरान अता-पता ही नहीं था?
पांच साल उन्होंने भी कार्य किया। अब चुनाव है। चुनाव में सभी लोग जिन्हें टिकट मिलेगा वो लड़ेंगे। उनके लिए सभी को मिलकर कार्य करना होगा। हम कांग्रेस पार्टी में हैं तो कांग्रेस के लिए कार्य करना होगा। किसी व्यक्ति विशेष के लिए कोई कार्य नहीं करता। पूरा विश्वास है कि वो कांग्रेस पार्टी के लिए पूरा कार्य करेंगे।
क्या आपको नहीं लगता कि इस दिशा में कदम उठाने की जरुरत है। ताकि एक संदेश आम कार्यकर्ता तक जाए कि पार्टी के लिए कार्य नहीं करेंगे तो ठीक नहीं रहेगा?
लोकसभा चुनावों में बेशक नतीजा कुछ भी रहा हो। लेकिन उस वक्त सभी ने कार्य किया था। ऐसे में जो बनवाटी गुटबाजी कही जा रही है ऐसी उस समय कोई बात-मुद्दा नहीं थी। सभी ने मेहनत से कार्य किया था। हार जीत अलग मुद्दों पर भी होती है। मिसाल के तौर पर भाजपा के 24-25 विधायक थे जो मुख्यमंत्री के खिलाफ खड़े हो गए थे। भाजपा अपने आप को अनुशासित पार्टी कहती है, ये उनके साथ हुआ था। क्यों उनके विधायक बगावत पर आ गए थे।
साफ सुथरी छवि का व्यक्ति मुख्यमंत्री बना। जिसका लेने-देने में यकीन नहीं है। क्या आप इसे उनकी उपलब्धि नहीं मानतीं?
आजकल आम बात क्या नजर नहीं आ रही है। हरियाणा में इतना अवैध खनन हो रहा है। अवैध माफिया चरम सीमा पर है। नौकरियां में कौनसा पेपर ऐसा है जो लीक नहीं हो रहा। नायब तहसीलदार सहित अन्य नौकरियों में धांधली चल रही है। नशे का कारोबार लगातार बढ़ रहा है। मुख्यमंत्री का क्या कोई लेना-देना नहीं है। उनका राज्य से कोई लेना-देना नहीं है इसके कारण उन्हें नीचे भ्रष्टाचार नजर नहीं आ रहा है।
इसके बावजूद भाजपा उनके नेतृत्व में चुनाव लड़ रही है। 75 पार का दावा कर रही है। सर्वे भी कुछ ऐसा ही दिखा रहे हैं।
2009 में लोकसभा में कांग्रेस की 9 सीटें आयी थीं। लेकिन चंद दिन बाद 40 पर आ गए। लोकसभा का विधानसभा से कोई मतलब नहीं है। भले लोकसभा में 10 सीटें इनकी आयी हैं लेकिन भाजपा 75 का सपना न देखें।
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