हरियाणा विधानसभा चुनाव : जाट नेताओं के ऊपर कम हुआ भाजपा का भरोसा, इसबार 17 ही उम्मीदवार

हरियाणा विधानसभा चुनाव (Haryana Assembly Election) में किसी भी पार्टी की जीत जाट लैंड के वोटरों पर टिकी होती है। इसके लिए हर पार्टी अपने चुनावी टिकटों का बटवारा 'जाट फैक्टर' को ध्यान में रख कर करती है। लेकिन सत्ताधारी भाजपा सरकार का होने वाले विधानसभा चुनाव में जाट उम्मीदवारों पर से भरोसा उठता हुआ नज़र आ रहा है। चूंकि सोमवार को जारी हुई बीजेपी प्रत्याशियों की लिस्ट में मात्र 17 जाट उम्मीदवारों को ही चुनावी टिकट मिला है।
जबकि 2014 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 27 जाट उम्मीदवारों पर जीत का भरोसा जताया था। और पार्टी ने भारी बहुमत से जीत हासिल की थी। लेकिन मोदी लहर के बावजूद 2014 में भी भाजपा को जाट वर्ग के वोटरों से ज्यादा तवज्जों मिलती नजर नही आई। जिसकी वजह से पार्टी ने इस बार चुनावी मैदान में सिर्फ 17 जाट उम्मीदवारों को ही उतारा है।
हरियाणा सरकार द्वारा टिकटों के बटवारे से निराश हुए कई उम्मीदवारों की नाराज़गी और बग़ावत का सामना केन्द्रीय सरकार को करना पड़ सकता है। सूत्रों के मुताबिक लगभग 20 मंत्री और विधायक वल्लभगढ, होडल, फरीदाबाद, हथीन, पृथला, गुरुग्राम, पाटोदी और दादरी जैसी सीटों से अपना टिकट कटने से नाराज़ है। और पार्टी के खिलाफ बगावत का रुख अपना सकते है।
कुछ प्रमुख सीटों पर चुनावी टिकटों के बटवारें में पार्टी में आपसी सहमति नहीं बन पा रही है। खबर है कि पलवल विधानसभा सीट से सीएम मनोहर लाल खट्टर अपने करीबी और पसंदीदा राजनैतिक सचिव दीपक मंगला को टिकट दिलाना चाहते है। तो वहीँ पार्टी प्रभारी अनिल जैन अपने करीबी गौरव गौतम को चुनावी टिकट दिलाने पर अड़े हुए है। इसी तरह नारायणगढ़,गन्नौर और महम जैसी सीटों पर भी टिकटों के बटवारें पर पार्टी में आपसी सहमति ना बन पाने पर पेच फसें हुए है।
रिपोर्ट- सपना मौर्या
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