Haryana Assembly Election : बागियों से निपटना कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती, सत्ता की राह आसान नहीं

Haryana Assembly Election : बागियों से निपटना कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती, सत्ता की राह आसान नहीं
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हरियाणा विधानसभा चुनाव (Haryana Assembly Elections) से पहले कांग्रेस (Congress) के पूर्व अध्यक्ष अशोक तंवर (Ashok Tanwar) के साथ ही कई अन्य बागी नेता पार्टी के लिए बड़ी मुसीबत बन सकते हैं। तंवर ने इस्तीफा देने के बाद पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है और खुलकर मैदान में आ गए हैं।

विधानसभा चुनाव (Haryana Assembly Election) के बीच हरियाणा में कांग्रेस (Congress) की सत्ता में वापसी की राह आसान नहीं दिखाई देती है। पार्टी में टिकट वितरण को मचे घमासान के बाद पूर्व अध्यक्ष अशोक तंवर (Ashok Tanwar) के साथ ही कई अन्य बागी नेता पार्टी के लिए बड़ी मुसीबत बन सकते हैं। तंवर ने इस्तीफा देने के बाद पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है और खुलकर मैदान में आ गए हैं। उन्होंने पार्टी के खिलाफ चुनाव मैदान में उतरे में अपने कई समर्थकों के लिए प्रचार भी शुरु कर दिया है।

बता दें कि तंवर ने गुरुग्राम में रविवार को इसकी शुरुआत की इस दौरान वह अपने कई साथियों की जनसभाओं मे पहुंचे थे। उन्होंने कांग्रेस पर टिकट बेचने का आरोप लगाते हुए भूपेंद्र सिंह हुड्डा सहित कई नेताओं पर हमला बोला था। तंवर और उनके समर्थक राहुल ब्रगेड की युवा कांग्रेस के उन नेताओं के लिए प्रचार कर रहे हैं। जिनका टिकट वितरण में अनदेखी के चलते पत्ता कट गया था। और टिकट न मिलने पर वह कांग्रेस को अलविदा कहकर अपने बलबूते पर मैदान में उतरे हैं।

पहले से ही सत्ता से बाहर कांग्रेस के लिए ये नेता बड़ी चुनौती बन सकते हैं। और पार्टी को काफी नुकसान पहुंचा सकते हैं। तंवर के एक के बाद एक कार्यक्रम से प्रदेश में कांग्रेस के खिलाफ माहौल बनेगा। उनके निशाने पर भी पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और कांग्रेस पार्टी है। हलांकि वह पार्टी आलाकमान पर सीधा हमला करने से बचते रहे हैं। लेकिन पार्टी में पुराने विराधियों पर वह भारी पड़ सकते हैं। जिसके बाद चुनाव प्रचार के समय में कांग्रेस की स्थिति असहज हो सकती है।

एससी वोट में लग सकती है सेंध

एससी वोट जो सूबे में कांग्रेस का पारंपरिक वोट माना जाता है छिटकने की आशंका जताई जा रही है। तंवर के पार्टी छोड़ने से माना जा रहा है कि इस वर्ग में पार्टी को नुकसान होगा। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष तंवर दलित वर्ग के बड़े नेता माने जाते हैं। उनकी पैठ इस वर्ग में शैलजा से अधिक मानी जाती है। ऐसे में राजनीतिक विश्लेषक अनुमान लगा रहे हैं कि तंवर के पार्टी छोड़ने पर कांग्रेस को एससी बाहुल सीटों पर भारी नुकसान हो सकता है। अब पार्टी छोड़ने के बाद उनका एक ही लक्ष्य है हुड्डा को रोकना जिसकी कीमत कांग्रेस को चुकानी पड़ सकती है। देखना दिलचस्प होगा कि पार्टी प्रदेश के बागी नेताओं से कैसे निपटती है अन्यथा एकजुट भाजपा के सामने पार्टी को बड़ा नुकसान होगा।

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