अभय चौटाला : हरियाणा का वो नेता जिसने प्रदेश को खेलों का सुपर पॉवर बना दिया, अब पार्टी को एकजुट करने की चुनौती

प्रतिष्ठित खेलरत्न विजेता और अग्रणी राजनेता अभय सिंह चौटाला (Abhay Singh Chautala) हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और इंडियन नेशनल लोकदल प्रमुख ओम प्रकाश चौटाला के छोटे बेटे हैं। अभय वर्ष 2000 में उस समय राजनीतिक सुर्खियों में आए जब उन्होंने हरियाणा के रोरी विधानसभा क्षेत्र से इनेलो के टिकट पर रिकॉर्ड मतों से जीत दर्ज की।
राजनीतिक जानकार मानते हैं कि विधायक के रूप में अभय चौटाला ने अपने निर्वाचन क्षेत्र के सभी मुद्दों को सक्रिय रूप से हल करने का प्रयास किया है। और राज्य में बुनियादी ढाँचे के विकास पर जोर दिया। राज्य में लोगों की स्थिति बेहतर करने और उनमें कौशल विकास के लिए नए शैक्षणिक संस्थानों, व्यावसायिक और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के उद्घाटन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
अभय सिंह चौटाला का प्रारंभिक जीवन
अभय सिंह चौटाला का जन्म 14 फरवरी 1963 को सिरसा के चौटाला में हुआ था। उनके पिता ओम प्रकाश चौटाला व दादा चौधरी देवीलाल हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री रहे हैं। राजनीतिक परिवार से आने वाले अभय सिंह चौटाला अपने छात्र जीवन से ही राजनीति में सक्रिय रहे। वह हरियाणा विश्वविद्यालय से बी.ए. पूरा करने के बाद राज्य की राजनीति में पूरी तरह सक्रिय हो गए। गाँव पंचायत से पहला चुनाव लड़कर उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की।
खेलों को दिया प्रोत्साहन
खेलों में दिलचस्पी रखने वाले अभय चौटाला ने हरियाणा में खेलों की उन्नति की लिए कई काम किए और राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में इसे प्रोत्साहन दिया। हरियाणा राज्य सरकार द्वारा अपनाई गई नई खेल नीति के पीछे भी अभय चौटाला का ही हाथ है। नई खेल नीति का उद्देश्य बड़े पैमाने पर खेलों को बढ़ावा देना और राज्य के विभिन्न हिस्सों में ग्रामीण स्टेडियम स्थापित करना है। इसी के तहत खिलाड़ियों के लिए आहार भत्ता बढ़ाने का भी प्रावधान है।
खेल नीति के तहत सरकारी शैक्षणिक संस्थानों और सरकारी नौकरियों में खिलाड़ियो को आरक्षण प्रदान करती है। इसके अलावा ओलंपिक, एशियाई खेलों, राष्ट्रमंडल खेलों और अन्य अंतरराष्ट्रीय खेलों में पदक जीतने वाले खिलाड़ियों के लिए नकद पुरस्कार का प्रावधान है खेल और खेलों को बढ़ावा देने की दिशा में अपने प्रयासों के चलते अभय को हरियाणा ओलंपिक संघ का अध्यक्ष और भारतीय ओलंपिक संघ का अध्यक्ष भी चुना गया।
उन्होंने राज्य में महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए शिक्षा के क्षेत्र में भी सक्रिय रूप से काम किया है। इसी के तहत उन्होंने श्रीमती हरकी देवी मेमोरियल कॉलेज फॉर वीमेन खोला। जहाँ मेधावी लड़कियों को मुफ्त में आने जाने ठहरने में रियायत प्रदान की जाती है। इसके अलावा लड़कियों को शिक्षण संस्थानों में प्रोत्साहन देने के लिए नि: शुल्क परिवहन सुविधा प्रदान की।
हरियाणा विधानसभा चुनाव 2014 में अभय सिंह चौटाला
वर्तमान में अभय सिंह चौटाला हरियाणा में इनेलो के प्रमुख चेहरों में से हैं। उन्होंने अपनी पार्टी के बेसिक ट्रेनिंग टीचर्स भर्ती मामले में जेल में बंद नेताओं ओम प्रकाश चौटाला वरिष्ठ नेता शेर सिंह बडशामी की अनुपस्थिति से उत्पन्न चुनौती को संभालते हुए ऐलनाबाद विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा। उन्होंने 2009 में ऐलनाबाद निर्वाचन क्षेत्र से उप-चुनाव जीता।
उन्हें 2014 में विधायक के रूप में फिर से चुना गया और विधानसभा में विपक्ष के नेता बने। लोकसभा चुनावों 2014 के दौरान उन्हें मजबूत मोदी लहर के बावजूद 2 सीटें जीतने में सफलता मिली। इनेलो के नेतृत्व के लिए उनके नेतृत्व और संगठनात्मक कौशल की सराहना की गई। एक विधायक के रूप में वह अपने राज्य के बुनियादी ढांचागत, शैक्षिक और खेल विकास में सहायक रहे।
जब टूट गई इनेलो
हरियाणा की सियासत में एक वक्त इंडियन नेशनल लोकदल की तूती बोलती थी चौधरी देवीलाल ने इनेलो की नींव रखी थी। जिसे बेटे ओम प्रकाश चौटाला ने आगे बढ़ाया और हरियाणा के तीन बार मुख्यमंत्री बने।
किसी ने सोचा भी नहीं होगा कि एक दिन हरियाणा में इनेलो का अपना अस्तित्व भी संकट में आ जाएगा। देवीलाल की चौथी पीढ़ी के कदम रखते ही यह पार्टी टूटी। हरियाणा की राजनीति में सबसे बुरे दौर से गुजर रही इनेलो का वक्त अब खत्म होता दिख रहा है। लोकसभा चुनाव से पहले इनेलो टूटी और अब विधानसभा चुनाव से पहले विधायक टूटकर दूसरे दलों का दामन थाम रहे हैं।
विधान सभा चुनाव 2014 में इनेलो को 19 सीटें मिलने के चलते अभय चौटाला नेता विपक्ष बने थे। लेकिन 2019 आते-आते इनेलो के दो धड़ो में बंटने के बाद पार्टी में अब महज गिने -चुने विधायक बचे हैं। इसी का नतीजा है कि हरियाणा में दूसरे नंबर की पार्टी का विधानसभा में विपक्ष का पद भी छिन गया है।
बता दें कि ओम प्रकाश चौटाला इनेलो के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। वह और उनके बड़े बेटे अजय सिंह जूनियर बेसिक ट्रेनिंग टीचर्स भर्ती में घोटाला के लिए में 10 साल जेल की सजा काट रहे हैं। लेकिन लोकसभा चुनाव से पहले कुनबे में छिड़ी राजनीतिक वर्चस्व को नहीं टाल सके ओम प्रकाश चौटाला के छोटे बेटे अभय सिंह चौटाला के खिलाफ बड़े बेटे अजय सिंह चौटाला ने बगावत कर दी। जिसके चलते ओम प्रकाश चौटाला ने अजय चौटाला और उनके दोनों बेटे दुष्यंत और दिग्विजय को इनेलो से बाहर का रास्ता दिखा दिया।
अस्तित्व में आई जजपा
चौटाला कुनबे में राजनीतिक वर्चस्व की लड़ाई में इनेलो दो भागों में बंट गई। एक तरफ अजय चौटाला ने दोनों बेटों के साथ जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) बना ली तो दूसरी तरफ अभय चौटाला ने पिता के साथ इनेलो की कमान अपने हाथ में ले ली है।
लोकसभा चुनाव से ठीक पहले इनेलो के दो फाड़ का नतीजा था कि इनेलो और जेजेपी एक भी संसदीय सीट नहीं जीत सकी। मोदी लहर में अपनी दो सीट तक नहीं बचा सके और ऐसे ही अभय चौटाला के नेतृत्व में उतरी इनेलो अपना खाता नहीं खोल सकी।जबकि 2014 के लोकसभा चुनाव में इनेलो दो सीटें जीतने में कामयाब रही थी।
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