मेडिकल कॉलेजों में 87 प्रतिशत सीटें आरक्षित करने पर हरियाणा सरकार को नोटिस, काउंसलिंग पर रोक

चंडीगढ़। हरियाणा के मेडिकल कॉलेजों में एमडी और एमएस कोर्स की 87 प्रतिशत सीटों को आरक्षित किए जाने के खिलाफ दायर एक याचिका पर हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार को 6 मई के लिए नोटिस जारी कर जवाब तलब कर लिया है और साथ ही इन सीटों पर दाखिले के लिए 4 और 5 मई को होने जा रही काउंसलिंग पर भी हाई कोर्ट ने रोक लगा दी है।
जस्टिस आर.के. जैन एवं जस्टिस जसवंत सिंह की खंडपीठ ने शुक्रवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिए हैं। इस मामले को लेकर डॉ विक्रम पाल सहित अन्य कई डॉक्टरों ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर बताया है कि राज्य के मेडिकल कॉलेजों में सत्र 2020 -21 में एम.डी. और एम.एस. कोर्स की 156 सीटों पर दाखिले के लिए गत वर्ष नवंबर में प्रक्रिया शुरू की गई थी जनवरी में नीट की परीक्षा हुई और गत माह 15 अप्रैल को इन सेटों पर दाखिले के लिए आवेदन मांगे गए आवेदन की अंतिम तिथि 24 अप्रैल थी और उसके बाद 26 अप्रैल को स्क्रूटनी होनी थी और 4 और 5 मई को काउंसलिंग तय की गई है ।
याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि सरकार ने इस दाखिलों में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का उल्लंघन कर कही अधिक सीटों अरेखित कर दी है इंदिरा साहनी के केस में सुप्रीम कोर्ट तय कर चुका है कि किसी भी सूरत में 50 प्रतिशत से अधिक आरक्षण नहीं होगा लेकिन सरकार ने इन 156 सीटों में से 87 प्रतिशत सीटें आरक्षित कर दी है और सिर्फ 31 सीटें सामान्य वर्ग के लिए छोड़ी हैं। अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग सहित अन्य पिछड़े वर्ग के साथ 25 प्रतिशत सीटें इंस्टिट्यूशनल प्रेफरेंस, 5 प्रतिशत सीट दिव्यांगों और 10 प्रतिशत सीट ई.डब्लयू.एस. वर्ग के लिए आरक्षित कर दी है इस लिहाज से 87 प्रतिशत सीटें आरक्षित कर दी गई हैं जोकि सीधे तौर पर सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का उल्लंघन है।
हाई कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए हरियाणा सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांग लिया है और साथ ही 4 और 5 मई को इन सीटों पर होने जा रही काउंसलिंग पर 6 मई को मामले की अगली सुनवाई तक रोक लगाए जाने के आदेश दे दिए हैं।
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