भूपेंद्र सिंह हुड्डा: हरियाणा में जाटों का वह नेता जिसने खत्म किया चौधरी देवी लाल का वर्चस्व

भूपेंद्र सिंह हुड्डा: हरियाणा में जाटों का वह नेता जिसने खत्म किया चौधरी देवी लाल का वर्चस्व
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भूपेंद्र सिंह हुड्डा (Bhupinder Singh Hooda ) हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री हैं जिनके नेतृत्व में कांग्रेस राज्य में 2005 से 2014 तक करीब दस वर्षों तक सत्ता में रही। 2014 के विधानसभा चुनावों (Haryana Vidhan Sabha Election) में पार्टी के हारने पर हुड्डा को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा।

वरिष्ठ कांग्रेसी नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा हरियाणा (Bhupinder Singh Hooda ) राजनीति में जाटों के बड़े नेता माने जाते हैं। हरियाणा में कई किसान आंदोलनो का नेतृत्व करने वाले हुड्डा को जाटों के एक और बड़े नेता चौधरी देवी लाल को हराने का श्रेय दिया जाता है। भूपेंद्र सिंह हुड्डा हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री हैं जिनके नेतृत्व में कांग्रेस राज्य में 2005 से 2014 तक करीब दस वर्षों तक सत्ता में रही। 2014 के विधानसभा चुनावों में भाजपा के जीतने के बाद नए सीएम के रूप में मनोहर लाल खट्टर ने इनकी जगह ली और हुड्डा को मुख्यमंत्री कार्यालय खाली करना पड़ा।

प्रारंभिक जीवन


बीएस हुड्डा का जन्म 15 सितंबर, 1947 को हरियाणा के रोहतक जिले के सांघी गाँव में एक जाट परिवार में हुआ था। उनके पिता चौधरी रणबीर सिंह एक स्वतंत्रता सेनानी थे। कुंजपुरा में सैनिक स्कूल से अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद, भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने पंजाब विश्वविद्यालय से बीए किया। इसके बाद उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय कानून की पढ़ाई की। पेशे से वकील हुड्डा ने आशा हुड्डा से शादी की जिनका एक बेटा है दीपेंद्र सिंह हुड्डा। बीएस हुड्डा हरियाणा के साथ ही पंजाब के बार काउंसिल के सदस्य हैं। वह कृषि उत्पादन पर कार्य समूह के अध्यक्ष भी थे। जिसने कृषि उत्पादकता और उत्पादन बढ़ाने के लिए योजनाओं और रणनीतियों की सिफारिश की थी।

राजनीतिक सफर


हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ने एक युवा कांग्रेस कार्यकर्ता के रूप में अपना करियर शुरू किया। वह 1972 में राजनीति में शामिल हो गए। 1972 से 1977 तक किलाई ब्लॉक कांग्रेस समिति के अध्यक्ष बने। पार्टी में उनका कद 1980 से बढ़ना शुरू हुआ। जब उन्हें वरिष्ठ उपाध्यक्ष और हरियाणा प्रदेश युवा कांग्रेस अध्यक्ष की जिम्मेदारियां सौंपी गईं।1980-87 के दौरान हुड्डा ने सफलतापूर्वक इन जिम्मेदारियों को निभाया।

उन्हें 1991, 1996, 1998, 2004 में चार कार्यकालों के लिए रोहतक लोकसभा क्षेत्र से सांसद चुना गया। किलोई विधानसभा क्षेत्र से, वह 2000 में विधायक के रूप में चुने गए और 2002 से 2004 तक विपक्ष के नेता के रूप में कार्य किया। 5 मार्च को 2004 को वह हरियाणा के मुख्यमंत्री बने। 25 अक्टूबर 2009 को दूसरे कार्यकाल के लिए हरियाणा के सीएम बने। कांग्रेस को उम्मीद थी कि हुड्डा को फिर से 2014 के विधानसभा चुनावों में शासन करने का जनादेश मिलेगा। लेकिन उनकी पार्टी को विधानसभा में केवल 15 सीटों से संतोष करना पड़ा। भाजपा ने 47 सीटों के साथ बहुमत हासिल किया और राज्य में अपनी सरकार बनाई।

डीएलएफ-रॉबर्ट वाड्रा भूमि सौदे में विवादों में रहे हुड्डा




पूरे हरियाणा के बजाय संसदीय क्षेत्र रोहतक के विकास पर अधिक ध्यान देने पर भूपेंद्र सिंह हुड्डा की आलोचना की गई। उनकी सरकार पर भूमि घोटाले, विशेष रूप से डीएलएफ-रॉबर्ट वाड्रा भूमि सौदे के आरोप लगे। उन पर उद्योगपतियों का समर्थन करने की विपक्ष ने आलोचना की। हालांकि हुड्डा के खिलाफ अब तक कोई आरोप साबित नहीं हुआ है।

कांग्रेस पार्टी से नाराज हुड्डा


हाल ही में कांग्रेस पार्टी से नाराज हुड्डा के अलग पार्टी बनाने को लेकर अटकलें तेज हो गई थीं लेकिन प्रदेश नेतृत्व ने नाराज हुड्डा की मांग को मानते हुए कांग्रेस आलाकमान ने पार्टी का नेतृत्व कुमारी शैलजा को सौंपा।

370 पर कर चुके हैं मोदी की तारीफ

जम्मू कश्मीर में धारा 370 हटाने को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने तारीफ की थी। रोहतक की एक रैली में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने को लेकर मोदी सरकार की तारीफ की थी।। अनुच्छेद 370 के फैसले का विरोध करने पर कांग्रेस नेताओं से नाराज होकर कहा था कि कांग्रेस अपने रास्ते से भटक गई है। यह अब पुरानी कांग्रेस नहीं रही।

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