सुभाष बराला: हरियाणा भाजपा के वो जाट नेता जो मोदी के करीबी माने जाते हैं

सुभाष बराला का जन्म 5 दिसंबर 1967 को हरियाणा के टोहाना में हुआ था। इनके पिता का नाम रामनाथ है। इन्होंने बैंग्लुरू से सिविल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा किया है। शुरू से ही राजनीति में दिलचस्पी होने के कारण यह पढ़ाई पूरी करने के बाद से ही राजनीति से जुड़ गए। भाजपा के टोहाना से विधायक सुभाष बराला को 2012 में हरियाणा का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से नजदीकी के चलते उनको गुजरात में बनने वाले सरदार वल्लभ भाई पटेल की स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का हरियाणा प्रभारी भी बनाया गया।
राजनीतिक सफर
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सुभाष बराला का जीवन सादगी भरा है वह शुरू से ही आरएसएस से जुडे़ रहे हैं। छात्र राजनीति के दिनों में उन्होंने भाजपा ज्वाइन की। नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में राजनीति में प्रवेश किया और उन्हीं के नेतृत्व में प्रदेश की कमान संभाली।
सुभाष बराला ने 2000 में फतेहाबाद भाजपा युवा मोर्चा का सचिव बनकर अपने राजनीतिक जीवन की शुरूआत की। उनकी मेहनत को देखते हुए वर्ष 2002 में उनको भाजपा युवा मोर्चा का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया। उसके बाद वह भाजपा किसान मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष बने। वह लगातार तीन बार किसान मोर्चा के प्रदेशाध्यक्ष रहे। बाद में उनको भाजपा का प्रदेश सचिव नियुक्त किया गया।
भाजपा के टोहाना से विधायक सुभाष बराला को 2012 में हरियाणा का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया। भाजपा ने पहली बार किसी जाट नेता को यह जिम्मेदारी सौंपी थी। बराला को प्रदेश अध्यक्ष बनाने में सीएम मनोहर लाल खट्टर ने अहम भूमिका निभाई। पार्टी ने बराला को अध्यक्ष बनाकर प्रदेश के जाट समुदाय को जोड़ने का प्रयास किया।
वह पहली बार जिला फतेहाबाद के टोहाना से 2014 में चुनाव जीते। इस भूमिका ने उनकी अध्यक्ष पद पर दावेदारी और मजबूत कर दी। बराला ने ही संत रामपाल को सरेंडर करने के लिए राजी किया था। इन्हें 2016 में फिर से भाजपा ने प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी।
जब से गैर जाट मनोहर लाल खट्टर को मुख्यमंत्री बनाया गया, तभी से पार्टी हाईकमान पर किसी जाट को अध्यक्ष बनाने का दबाव लगातार रहा है। ऐसा करके पार्टी जाट वोट बैंक को अपनी तरफ करना चाहती है।
मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट से जुड़े
बराला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भी करीबी माने जाते हैं, पीएम ने अपने ड्रीम प्रोजेक्ट पटेल की प्रतिमा के लिए बराला को हरियाणा में लौह संग्रहण का संयोजक बनाया था। सिरसा लोकसभा क्षेत्र की नौ सीटों में से सिर्फ बराला ही ऐसे विधायक हैं जो भाजपा की टिकट से चुनाव जीते हैं। इस कारण भी उन्हें प्रदेश अध्यक्ष की अहम जिम्मेवारी सौंपी गई है। बराला ने टोहाना से पूर्व मंत्री परमवीर को 2014 में हराया था।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सुभाष बराला का जीवन सादगी भरा है वह शुरू से ही आरएसएस से जुडे़ रहे हैं। बराला कॉलेज में छात्र राजनीति के दिनों में उन्होंने भाजपा ज्वाइन की। नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में राजनीति में प्रवेश किया और उन्हीं के नेतृत्व में प्रदेश की कमान संभाली। सुभाष बराला सबसे पहले भूना शुगर मिल के डायरेक्टर बने। उसी समय वह मिल के वाइस चेयरमैन चुने गए। इसके पश्चात वह हरियाणा शुगर फेडरेशन के डायरेक्टर बने।
मोदी के हरियाणा प्रभारी रहते शुरू की राजनीति
नरेंद्र मोदी जब हरियाणा के प्रभारी थे तभी बराला ने भाजपा का दामन थामा। वर्ष 2000 में नरेंद्र मोदी जब हरियाणा के प्रभारी थे और मनोहर लाल खट्टर प्रदेश के महामंत्री थे। तब सुभाष बराला को फतेहाबाद भाजपा युवा मोर्चा का सचिव बनाया गया था। उनकी मेहनत को देखकर 2002 में उनको भाजपा युवा मोर्चा के प्रदेशाध्यक्ष का महत्वपूर्ण पद दिया गया। उसके बाद उनको भाजपा किसान मोर्चा का प्रदेशाध्यक्ष बनाया गया। बाद में उनको भाजपा का प्रदेश सचिव नियुक्त किया गया। 2012 में उनको प्रदेश भाजपा का महामंत्री नियुक्त किया गया। बराला 2016 में वह दोबारा प्रदेश अध्यक्ष बने।
सुभाष बराला ने 2004, 2009 में भी भाजपा की टिकट पर टोहाना विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा, लेकिन वे असफल रहे। 2014 के चुनाव में वह पहली बार विधायक बने। सुभाष बराला का सीधा संपर्क प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हैं। इसका अंदाजा इसी लगाया जा सकता है कि लोकसभा चुनाव 2014 में सुभाष बराला की प्रधानमंत्री के चुनाव क्षेत्र वाराणसी में इनकी ड्यूटी लगाई गई थी।
बेटे की वजह से रहे विवादों में
हरियाणा भाजपा अध्यक्ष बराला उस समय विवादों में आ गए। जब उनके बेटे विकास बराला का राज्य के एक आईएएस अफसर की बेटी से छेड़छाड़ करते वीडियो वायरल हो गया जिसके बाद विपक्षी पार्टियां उनके इस्तीफे की मांग करने लगीं। मिली जानकारी के अनुसार नशे में धुत विकास बराला और उनके दोस्त ने आईएएस अधिकारी वी एस कुंडू की बेटी को रास्ते में रोककर उससे छेड़खानी की थी। जिसके बाद पुलिस ने विकास को गिरफ्तार कर लिया था।
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