ड्यूटी पर तैनात जवान के हस्ताक्षर कर पेक्स कर्मियों ने लगाया हजारों का चूना

ड्यूटी पर तैनात जवान के हस्ताक्षर कर पेक्स कर्मियों ने लगाया हजारों का चूना
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गांव संडील में खाद तथा नकदी के मामले में 'यों-'यों मामले की जांच आगे बढ़ रही है, त्यों-त्यों किसानों के अलावा सीमा पर डयूटी पर तैनात जवान तक भी कर्मचारियों के चक्रव्यूह में उलझते जा रहे हैं।

गांव संडील में खाद तथा नकदी के मामले में 'यों-'यों मामले की जांच आगे बढ़ रही है, त्यों-त्यों किसानों के अलावा सीमा पर डयूटी पर तैनात जवान तक भी कर्मचारियों के चक्रव्यूह में उलझते जा रहे हैं। कर्मचारियों ने लालसा वश जवान के डयूटी पर तैनात होने के बावजूद भी पेक्स कर्मचारियों ने स्वयं हस्ताक्षर कर जवान को हजारों रूपयों का डिफाल्टर बना दिया। यहीं नहीं जांच में ऐसे किसान भी मिले। जिन्होंने आज तक पेगां पेक्स का मुंह तक नहीं देखा, लेकिन पेक्स कर्मचारियों ने कारनामा रच हजारों रूपये डकारने का काम किया है।

मामले को लेकर जैसे-जैसे किसानों के घर-घर डिफाल्टर के रूप में नोटिस पहुंच रहे हैं तो उनकी तरफ हजारों रूपये का लोन देखकर लोगों के हौंसले पस्त हो रहे हैं। हालांकि नाम न बताने की शर्त पर कुछ कर्मचारियों द्वारा मामले की बड़ी पोल खुलते देखकर संडील गांव के डिफाल्टर लोगों के मामले में उच्च अधिकारियों द्वारा फिलहाल नोटिसों पर ब्रेक लगाने की बात कही जा रही है। संडील गांव में मंगलवार को जैसे ही किसान सोनू तथा फौजी सलिंद्र के घर डिफाल्टर मामले में पेक्स के नोटिस पहुंचे तो उनके नाम लोन खड़ा देखकर उनके हौंसले पस्त हो गए। मामले को लेकर फौजी मां खुजानी ने बताया कि उसके बेटे की तरफ 28 फरवरी 2018 को 28 हजार का ण दिखाया गया, लेकिन उसके बेटे को गांव में सलिंद्र कहने के चलते पेक्स कर्मचारियों ने संलिद्र के नाम से ही 28 फरवरी को पेक्स में लेने-देन दिखाया गया है। जबकि कागजातों में उसका असली नाम सुरेंद्र तथा 28 फरवरी को वह गांव में न होकर डयूटी पर तैनात था।

ऐसे मे उसके बेटे को पेक्स का कर्जदार बताकर उनकी छवि का खराब करने का काम पेक्स कर्मचारियों द्वारा किया गया। संडील निवासी सोनू नामक किसान ने विभाग के उच्च अधिकारियों को दी शिकायत में बताया कि उसको 2015 से पेक्स का 76 हजार से 'यादा का डिफाल्टर बनाया है, लेकिन उन्हें आज तक पेगां पेक्स का मुंह तक नहीं देखा कि बैंक कैसा है। मामले को लेकर मंगलवार को विभाग के निरीक्षक सतपाल हुडडा के सामने जांच की तो न तोे उसके हस्ताक्षर ही मेल खा रहे और न ही उसी चैक बुक मिली। ऐसे में मामले को लेकर स्वतंत्र एजेंसी से जांच कराने की मांग की है।

गांव संडील निवासी किसान सोनू ने बताया कि विभाग द्वारा जिन कर्मचारियों को गांव संडील मंे खाद तथा नकदी मामले में घोटाले की जांच सौंपी गई है। उक्त जांच अधिकारी ही उनके सामने कर्मचारियों से किसानों के बाकी बचे नोटिसों को पड़वाने की बात कह रहे हैं। उनके द्वारा कहा जा रहा है कि अगर गांव मे नोटिस पहुंच गए तो तुम्हारा और 'यादा फंसना तय है। ऐसे मे उक्त जांच कर्ता से मामले को लेकर कहां निष्पक्ष जांच की आस की जा सकती है।

आरपार की होगी लड़ाई

ग्रामीण बलजीत, श्रीपाल, रामफल, सोनू आदि ने बताया कि जांच टीम द्वारा बार-बार गांव में पहुंचकर ब्यानों को कभी हस्ताक्षर तो कभी अगूंठे के नाम पर बदलवाने के मामले में टीम पहले ही सदेंह के घेरे में है। फिलहाल गांव के लोगांे को टीम द्वारा तैयार जांच रिपार्ेट का इंतजार है। रिपार्ेट में अगर कहीं ब्यानों के साथ छेड़छाड़ की गई तो गांव के लोग फिर आर-पार की लड़ाई करने से बाज नहीं आएगें।

किसान द्वारा लगाए आरोप निराधार

निरीक्षक सतपाल हुडडा ने बताया कि किसान द्वारा बाकी बचे नोटिसों को कर्मचारियों द्वारा पड़वाने के आरोप निराधार है। भला उनके द्वारा ऐसा क्यों करवाया जाएगा। मामले को लेकर निष्पक्ष जांच हुई है और कई कर्मचारियों के फंसने की संभावना है। एक महिला समेत दो लोग मंगलवार को उनके साथ जांच के लिए पेक्स में पहुचें, लेकिन उनका रिकार्ड से किसी प्रकार का मेल नहीं खाया है। मामले को लेकर जांच होगी।


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