Lockdown part-3 : विदेश में फंसे भारतीयों को ले आया रोहतक का पायलट , आबू-धाबी में गूंजा जय हिंद

रोहतक (Rohtak) के गांव भालौठ के रहने वाले पायलट अंशुल श्योराण विदेश में फंसे भारतीयों के लिए फरिश्ता बन गए। वंदे भारत मिशन को पूरा करने के लिए एअर इंडिया के पायलट अंशुल आबू-धाबी गए और वहां से 177 लोगों को लेकर वतन लौटे। जिन भारतीयों को वे लेकर आए थे उन्हें कोच्चि में ही क्वारांटीन किया गया है। खुद अंशुल भी होम क्वारांटीन हैं और उनकी पहली कोरोना जांच रिपोर्ट निगेटिव आ चुकी है।
बस स्टैंड के पास विशाल नगर में रहने वाले उनके पिता राजबीर सिंह और माता मालती का कहना है कि हमें अपने बेटे पर गर्व है। अंशुल श्योराण ने विशेष बातचीत में बताया कि आबू-धाबी से जब वे उड़ान भरने की तैयारी कर रहे थे तो पैसेंजर्स ने जय हिंद के नारे लगाए। कुछ लोगों की आंखों में आंसू थे, लेकिन सभी के चेहरे पर वतन लौटने की खुशी साफ झलक रही थी।
13 मई को दूसरा टेस्ट
एअर इंडिया में पायलट अंशुल बताते हैं कि इस तरह का मिशन पहली बार किया गया। मिशन कामयाब भी रहा। वहां से आते ही टीम के सदस्यों का टेस्ट किया गया। कोरोना वायरस संबंधित मेरी एक रिपोर्ट निगेटिव आ चुकी है, जबकि दूसरा टेस्ट 13 मई को होना है। जिस तरह सरकार और हमारी सेना के अधिकारियों ने प्लानिंग बनाकर इस मिशन को अंजाम दिया, उसकी जितनी तारीफ की जाए कम है।
आंसू छलक रहे थे, चेहरे पर खुशी
कैप्टन अंशुल श्योराण ने बताया कि जब हम आई-एक्स 452 विमान से कोच्चि से आबू धाबी पहुंचे तो वहां पहले से ही पैसेंजर तैयार थे। बड़ी संख्या में गर्भवती महिलाएं, कुछ बच्चे, व्हील चेयर पर बुजुर्ग, कुछ लोग बीमार भी थे। जब सभी विमान में बैठे तो जय हिंद के नारे लगाए गए। लोग वतन लौटने के लिए आतुर थे। आंखों में आंसू थे, चेहरे पर खुशी।
आप सभी को सुरक्षित पहुचाएंगे
जब विमान उड़ने की तैयारी में था कैप्टन अंशुल श्योराण ने यात्रियों का हौसला बढ़ाने के लिए संबोधन भी दिया। उन्होंने सभी को आश्वस्त किया कि कुछ ही घंटों में वे अपनी मातृभूमि पर होंगे। करीब 22 घंटे का यह सफर होगा और हम आप सभी को सुरक्षित पहुचाएंगे।
ऐसे पूरा किया मिशन
कैप्टन अंशुल श्योराण बताया कि 7 मई की रात 10.17 बजे हमारा विमान कोच्चि पहुंचा। टीम को दीपक लीड कर रहे थे। हमारे साथ कैप्टन रिजविन, रियांक, अंजना और ताशी भी थे। जैसे ही हमें वंदे भारत मिशन के लिए चुना गया तो पूरी टीम जोश से भर गई और आबू-धाबी में फंसे अपने लोगोें को लेकर भारत लौटे।
दादा वीर चक्र से सम्मानित
अंशुल के दादा कैप्टन प्रहलाद सिंह को भारत-पाक युद्ध में वीर चक्र से सम्मानित किया गया। पिता राजबीर नौसेना में थे और चाचा रामवीर थल सेना से रिटायर हैं। छोटा भाई भी वायुसेना में पायलट है। माता मालती देवी नौसेना विद्वालय में शिक्षिका हैं। अंशुल की पत्नी प्रियदर्शनी एक डिजाइनर और एथलीट हैं। उन्होंने पेरिस में 1200 किलामीटर साइकिल स्पर्धा में मेडल भी जीता।
बेटे पर गर्व है
कैप्टन अंशुल मूल रूप से गांव भालौठ के रहने वाले हैं। फिलहाल उनका परिवार बस स्टैंड के पास विशाल नगर में रहता है। शनिवार को उनकी माता मालती और पिता राजबीर ने बताया कि वंदे भारत मिशन के लिए उनके बेटे को चुना गया तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। हमारा बेटा मिशन पूरा करके भारत लौटा हमें अपने बेटे पर गर्व है। अंशुल ने हरियाणा का ही नहीं बल्कि देश का नाम ऊंचा किया।
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