शू-क्लस्टर को लॉक डाउन से 5 हजार करोड़ का नुकसान

शू-क्लस्टर को लॉक डाउन से 5 हजार करोड़ का नुकसान
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प्रदेश के बहादुरगढ़ में करीब एक हजार जूता फैक्ट्रियां बंद पड़ी हैं। जिससे अब तक करीब 5 हजार करोड़ रुपए का नुकसान हो चुका है और हजारों कर्मचारियों के सामने रोजी रोटी को संकट खड़ा हो गया है। इस कारण अब फैक्ट्री मालिक भी सरकार से कई तरह की छूट और राहत पैकेज देने की मांग करने लगे हैं

रवींद्र राठी. बहादुरगढ़

हरियाणा का सबसे बड़ा शू-कलस्टर भी लॉक डाउन की मार झेल रहा है। लॉक डाउन पीरियड के दौरान बहादुरगढ़ की करीब एक हजार जूता फैक्ट्रियां बंद पड़ी हैं। जिससे अब तक करीब 5 हजार करोड़ रुपए का नुकसान हो चुका है। इन फैक्ट्रियों में प्रत्यक्ष व प्रत्यक्ष रूप से करीब दो लाख श्रमिक काम करते हैं। यहां देश के 50 प्रतिशत से ज्यादा नॉन-लेदर जूतों का निर्माण किया जाता है। कोविड-19 से बचने के लिए सरकार द्वारा लागू लॉक डाउन ने जूता उद्योग की कमर तोड़ कर रख दी है। फैक्ट्री मालिक लॉक डाउन पीरियड की सैलरी भी श्रमिकों को देने में असमर्थ दिखाई दे रहे हैं। ऐसे में उद्योगपति सरकार से बिजली सरचार्ज, चीन से आयात पर रोक, बैंक किश्त भरने में छूट समेत राहत पैकेज देने की मांग कर रहे हैं।

औद्योगिक नगरी बहादुरगढ़ देश का सबसे बड़ा शू-कलस्टर है। देश के अधिकांश नॉन लेदर जूतों का निर्माण बहादुरगढ़ में किया जाता है। यहां जूता बनाने वाली एक हजार से ज्यादा फैक्ट्रियां हैं। इन फैक्ट्रियों में दो लाख से ज्यादा श्रमिक अलग-अलग शिफ्टों में काम करते थे। लेकिन लॉक डाउन के कारण यह फैक्ट्रियां बंद पड़ी हैं। इनकी मशीनें धूल फांक रही हैं। लॉक डाउन की मार झेल रहे जूता उद्योग के अगर नुकसान का अनुमान लगाया जाए तो यह करीब 5 हजार करोड़ रुपए बैठता है। क्योंकि साल भर में बहादुरगढ़ की इन फैक्ट्रियों का टर्नओवर 20 से 22 हजार करोड़ रुपए के बीच रहता है।

फैक्ट्री बंद होने और माल की सप्लाई चैन टूटने के कारण फैक्ट्री मालिक अपने श्रमिकों की लोक डाउन पीरियड की सैलरी देने में भी असमर्थ हैं। वे सरकार से राहत पैकेज देने की मांग कर रहे हैं। उद्यमियों की मानें तो लॉक डाउन खुलने के बाद भी जूता बनाने वाली इन फैक्ट्रियों को वापिस ट्रेक पर आने में करीब ढाई महीने का समय लग जाएगा। जूता बनाने और बेचने के साथ-साथ इसकी सप्लाई चैन भी बिल्कुल टूट चुकी है। ऐसे में सरकार को इस ओर ध्यान देने की आवश्यकता है। ताकि फैक्ट्रियां लॉक डाउन खुलने के बाद सुचारू रूप से चल सकें और श्रमिकों को बेरोजगार होने से बचाया जा सके।

रियायतें देने की मांग की

लॉक डाउन के कारण सभी फैक्ट्रियां बंद हो गई थी। एसोसिएशन ने 3 मई तक सभी फैक्ट्रियां बंद करने का निर्णय लिया है और अगर लॉक डाउन आगे बढ़ता है। तो भी वे या तो अपनी फैक्ट्रियां बंद रखेंगे या फिर 33 प्रतिशत श्रमिक लगाकर फैक्ट्री में प्रॉडक्शन शुरू करेंगे। प्रदेश सरकार से जूता उद्योग को बर्बाद होने से बचाने के लिए दूसरे प्रदेश की सरकारों की तरह कुछ रियायतें देने की मांग की है। केंद्र सरकार से चीन से आयात होने वाले जूतों पर रोक लगाने की मांग की है। इतना ही नहीं बिजली बिल पर सरचार्ज माफ करने और लोन की किश्त पर ब्याज माफ करने की मांग की है। - नरेंद्र छिकारा, वरिष्ठ उपाध्यक्ष, फुटवियर एसोसिएशन बहादुरगढ़

लोन की किश्त देने में भी असमर्थ

अधिकांश उद्योगपति भारी भरकम ऋण लेकर वे अपनी फैक्ट्री चला रहे हैं। ऐसे में जब लॉकडाउन के कारण फैक्ट्रियां बंद पड़ी हैं, तो वह लोन की किश्त देने में भी असमर्थ हैं। अगर किश्त पर ब्याज माफ कर दिया जाए तो उद्योगपति राहत की सांस ले सकेंगे। इतना ही नहीं अगर सरकार एक साल तक बैंक की किश्त नहीं चुकाने वाले उद्योगपतियों को एनपीए होने से बचाने के लिए भी कोई रास्ता निकालती है, तो उद्योग जगत को बहुत राहत मिल सकती है। अनेक उद्यमी लॉक डाउन पीरियड की सैलरी श्रमिकों को देने में असमर्थ हैं। ऐसे में ईएसआई अथवा अन्य किसी फंड से श्रमिकों की सहायता करवाने की मांग की गई है। - सुभाष जग्गा, महासचिव, फुटवियर एसोसिएशन बहादुरगढ़


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