लॉकडाउन का असर: अस्थियां भी विसर्जन का कर रही इंतजार

हरिभूमि न्यूज। रेवाडी। लॉकडाउन के चलते जो सबसे ज्यादा परेशान करने वाली तस्वीर सामने आई है, वो यह है कि जिन लोगों की पिछले कुछ दिनों में मौत हुई है, उनकी अस्थियां अभी तक परिजन विसर्जित नहीं कर पाए है। जबकि कुछ लोग 12 दिन पूरे होने पर उनका भोज जरूर कर चुके है। शहर के कई श्मशान घाट में दर्जनों अस्थियां रखी हुई है। लोग किसी तरह परमिशन लेकर अस्थियां विसर्जित स्थल हरिद्वार या गढ़ मुक्तेश्वर तो पहुंच जाते है, लेकिन दोनों ही स्थानों पर पिंडदान के समय पंडित नहीं मिलने का कारण वापस लौटना पड़ा। कुछ ने हालांकि अस्थियां अपने स्तर पर पूजा-पाठ करके विसर्जित कर भी दी, लेकिन ज्यादातर लोग वापस ही अस्थियों को लेकर आ गए।
बता दें की रेवाड़ी में 22 मार्च जनता कर्फ्यू के दिन से ही सबकुछ बंद है। इसके अगले ही दिन 23 मार्च को रेवाड़ी को लॉकडाउन कर गया था। बाद में 25 मार्च को पूरे देश में लॉकडाउन की घोषणा हो गई थी। कोरोना वायरस का तो रेवाड़ी में अभी तक भी कोई केस सामने नहीं आया है, लेकिन इस दौरान शहर में विभिन्न कारणों से दर्जनों लोगों की मौत भी हुई। मौत के बाद लोगों ने अस्थियां तो श्मशान में जाकर एकत्रित कर ली, लेकिन उन्हें विसर्जित करने के लिए कुछ लोगों के सामने साधन का संकट है तो बहुत से लोगों को हरिद्वार व गढ मुक्तेश्वर में पिंडदान के लिए पंडित नहीं मिले।
लॉकडाउन हटने के इंतजार में परिजन
कुछ लोगों ने अस्थियां विसर्जित करने के लिए बकायदा प्रशासन से परमिशन भी ले ली थी। इसके लिए गाड़ी का एमरजैंसी पास भी बन गया था, लेकिन फोन पर जब गढ़ मुक्तेश्वर व हरिद्वार में बैठे पंडितों से पिंडदान के लिए बात की तो लॉकडाउन का हवाला देकर उन्हें आने से साफ इंकार कर दिया। जिसके चलते उन्होंने श्मशान घाट में जाकर मौत के दो दिन बाद अस्थियां तो एकत्रित कर ली, लेकिन विसर्जित करने की बजाए अस्थियों को वहीं लॉकर में रखवा दिया। उन्हें अब लॉकडाउन हटने का इंतजार है।
श्मशान घाट के लॉकर फुल
श्मशान घाट में कार्यरत लोगों का कहना है कि ऐसा पहली बार हुआ है कि श्मशान घाट के लॉकर ही अस्थियों से फुल हो चुके है, क्योंकि लोग मौत के बाद सोरनी करते है तो फिर अस्थियां एकत्रित कर लॉकर में ही रख देते है। कुछ श्मशान घाट में तो लॉकर में रखने की अब जगह भी नहीं बची है।yk
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