CRSU Jind: रजिस्ट्रार बने प्रोफेसर राजेश पूनिया की ये हैं योग्यताएं

हरिभूमि न्यूज। जींद/चंडीगढ़। जेएनयू और दिल्ली यूनिवर्सिटी से शिक्षा हासिल करने वाले भौतिकी विषय के विशेषज्ञ प्रो. राजेश पुनिया को सीआरएसयू यूनिवर्सिटी (CRSU) का रजिस्ट्रार नियुक्त कर दिया गया है। उनकी यह नियुक्ति तीन वर्ष के लिए की गई है।
प्रो. पुनिया को प्रशासनिक कार्यों में महारत हासिल है। इससे पहले भी डा. पुनिया इस यूनिवर्सिटी में कार्यवाहक रजिस्ट्रार का काम देख रहे थे। डा. पुनिया जम्भेश्वर यूनिवर्सिटी हिसार, आई.जी.यू. मीरपुर रेवाड़ी एवं एम. डी. यूनिवर्सिटी में भी अपनी सेवाएं दे चुके हैं। डा. पुनिया एम. डी.यूनिवर्सिटी से डेपूटेशन पर सी.आर. एस. यूनिवर्सिटी में हैं और जब से यहां आए हैं तब से यूनिवर्सिटी को
उचाइयों पर ले जाने के लिए दिन-रात परिश्रम कर रहे हैं। उनके इस सराहनीय कार्य को देखते हुए ही डा. पुनिया को यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार का कार्यभार सौंपा गया है।
डा. राजेश पुनिया के 80 से अधिक शोध पत्र अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर पब्लिश हुए हैं। उनका शिक्षा के क्षेत्र में 17 वर्ष का अनुभव रहा है। वर्तमान में डा. राजेश पुनिया का तीन शोध प्रोजक्ट पर कार्य चल रहा है, उनको यह प्रोजेक्ट महत्वपूर्ण सरकारी एजेंसियों द्वारा प्रदान किए गए हैं। इसके अलावा जहां तक प्रशासनिक अनुभव की बात करें तो प्रो. पुनिया को हॉस्टल वार्डन, डिप्टी डायरेक्टर डिस्टेंस एजुकेशन, सेक्रेटरी टू वाइस चांसलर से लेकर कार्यवाहक कुलसचिव का अनुभव रहा है।
इतना हीं नहीं प्रो. पुनिया हिसार के टीचर एसोशिएसन के दो बार प्रधान भी रहे। इस पद पर मात्र 27 साल की उम्र में दो बार चुने गये। इसके साथ ही एम. डी. यूनिवर्सिटी रोहतक में एक्जीक्यूटिव काउन्सिल के शिक्षक प्रतिनिधि के रूप में 2 साल तक कार्य किया। उनके मार्गदर्शन में ही यूनिवर्सिटी के एम.एस. सी. भौतिकी के छात्रों ने एक मॉडल डिजाइन किया जो कि सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ हरियाणा द्वारा आयोजित विज्ञान
प्रदर्शनी में प्रदर्शित किया गया। इस मॉडल को राज्य स्तर पर द्वितीय स्थान प्राप्त हुआ। सी. आर. एस. यूनिवर्सिटी के एम. एस. सी. भौतिकी विषय के सैलेबस की रूपरेखा बनाने में प्रोफेसर पुनिया का अहम रोल रहा है। उन्होंने एम. एस. सी. के तीसरे सैमेस्टर से ही शोध विषय को अनिवार्य बना दिया था। जिसके फलस्वरूप आज एम. एस. सी. के पहले सत्र के छात्राएं ही अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपना शोध कार्य प्रकाशित करने में सफल हुए हैं। जिसने सी. आर. यू. के नाम पर एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है।
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