रेवाड़ी : सड़क दुर्घटना में घायलों को अस्पताल ले जाने वालों से नहीं होगी पूछताछ

अक्सर हादसे के बाद घायल सड़क पर पड़े जीवनदान की गुहार लगाते रहते हैं, लेकिन उसकी मदद करने कोई आगे नहीं आता। लोग पुलिसिया कार्रवाई के पचड़े में नहीं फंसना चाहते, जिस कारण वे घायलों को अस्पताल पहुंचाने से बचते हैं, जबकि भारत सरकार और सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक दुर्घटना में घायल हुए लोगों की मदद करने पर संबंधित को कानूनी प्रक्रिया से दूर रखा जाएगा। इस नियम की जानकारी देने के लिये जिला पुलिस अभियान चलाकर लोगो को जागरूक कर रही है।
जिस रफ्तार से जनसंख्या बढ़ रही है, उसी गति से वाहनों की संख्या में भी बढ़ोतरी हो रही है। ऐसे में जरा सी चूक सड़क दुर्घटना का कारण बन सकती है। बीते कुछ सालों की आंकड़ों पर गौर किया जाए तो यहां रोज सड़क दुर्घटनाओँ में लोग घायल होकर अस्पताल पहुंच रहे हैं, जबकि हर दूसरे दिन हादसे में किसी न किसी की जान जा रही है। इनमें से कई मामलों में घायल समय पर अस्पताल नहीं पहुंच पाते। दुर्घटना के बाद लोग लहूलुहान होकर सड़क पर मदद की गुहार लगाते रहते हैं,
लेकिन उसकी मदद करने के बजाय लोग मुंह फेरकर आगे निकल जाते हैं। अधिकांश लोग पुलिसिया कार्रवाई के पचड़े से दूर रहना चाहते हैं, जिस कारण लोग मदद करने आगे नहीं आते। जबकि मानवता के नाते थोड़ी सी मदद से किसी की जान बच सकती है। भारत सरकार और सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देश पर जिला पुलिस सड़क हादसे में घायल हुए लोगों की मदद करने के लिए नागरिकों को जागरूक कर रही है।
इन दिशा-निर्देश की जानकारी देते हुए आमजन को किया जा रहा है जागरूक
सुप्रीम कोर्ट ने अस्पताल, पुलिस सहित अन्य प्राधिकरण के लिए दिशा-निर्देश जारी किया है, जिसके अनुसार दुर्घटना में घायल व्यक्ति को प्रत्यक्षदर्शी या अन्य कोई भी समीप के अस्पताल में भर्ती करा सकता है। घायल को अस्पताल पहुंचाने के बाद संबंधित व्यक्ति को तुरंत जाने दिया जाएगा। जरूरत पडऩे पर उसका नाम व पता लिया जा सकता है। इसके अलावा हादसे में घायल व्यक्ति की मदद करने के उद्देश्य से कोई पुलिस या आपातकालीन सेवाओं के लिए फोन करता है, उसे फोन पर या व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर विवरण देने के लिए बाध्य नहीं किया जाएगा।
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