Knowledge: तरबूज के लिए दो रियासत में खूनी जंग, यहां पढ़ें कहानी

Knowledge: इतिहास के गुजरे वक्त में सैकड़ों ऐसे युद्धों के नाम दर्ज है, जो अजीबोगरीब वजह से लड़े गए। लेकिन एक युद्ध ऐसा भी है जो एक फल यानी तरबूज की वजह से हुआ था। आपने कई युद्ध के बारे में सुना होगा जिनके पीछे का कारण अक्सर एक ही मकसद होता था, अपने राज्य को बढ़ाना। यह अकेला युद्ध है जो किसी फल के कारण हुआ था। राजस्थान के कुछ हिस्सों में तरबूज को मतीरा कहा जाता है और राड़ का मतलब झगड़ा होता हैं। इतिहास में इस जंग को 'मतीरे की राड़' के नाम से दर्ज है।
आज से करीब 376 साल पहले हुई इस जंग में हजारों सैनिकों की मौत हुई थी। यह लड़ाई 1644 ईस्वी में लड़ी गई थी। बताया जाता है कि बीकानेर रियासत का आखिर गांव सीलवा में एक मतीरे की बेल लगी हुई थी लेकिन यह बेल नागौर रियासत के आखिरी गांव जाखणियां में उगा। दरअसल ये दोनों गांव अपने-अपने रियासतों की आखिरी सीमा पर मौजूद थे। जिस कारण सीलवा गांव के लोगों का कहना था कि ये बेल उनके यहां का है इसलिए ये फल उनका है। लेकिन नागौर रियासत के लोगों का कहना था कि क्योंकि फल उनके यहां पर उगा है इसलिए इस फल पर उनका अधिकार है।
यह भी पढ़े: इन देशों में नहीं दिखेगा एक भी पेड़, ये है इसकी वजह
बेखबर रहे दोनों रियासत के सम्राट
तरबूज को लेकर दोनों रियासतों में झगड़ा हो गया और धीरे-धीरे झगड़ा खूनी लड़ाई में तब्दील हो गया। इस युद्ध में बीकानेर की सेना की पहल रामचंद्र मुखिया ने की जबकि नागौर की अगुवाई सिंघवी सुखमल ने की थी। लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि दोनों रियासतों के राजाओं को इसके बारे में कोई जानकारी नहीं थी। जब इस युद्ध के बारे में दोनों राजाओं को पता चला, तो उन्होंने मुगल दरबार से इसमें हस्तक्षेप करने की मांग की लेकिन तब तक बहुत देर हो गई थी। इस युद्ध की बात जब तक मुगल दरबार तक पहुंची, उससे पहले युद्ध छिड़ चुका था। युद्ध में नागौर रियासत की हार हुई, लेकिन कहते हैं कि इसमें दोनों तरफ के हजारों सैनिक मारे गए।
© Copyright 2025 : Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS
-
Home
-
Menu
© Copyright 2025: Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS