DU के सिलेबस से अल्लाम इकबाल बाहर, जिन्होंने लिखा था 'सारे जहां से अच्छा'

DU के सिलेबस से अल्लाम इकबाल बाहर, जिन्होंने लिखा था सारे जहां से अच्छा
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Knowledge: दिल्ली यूनिवर्सिटी के पॉलिटिकल साइंस के सिलेबस से अल्लाम इकबाल को हटाने का फैसला किया गया है। एकेडमिक काउंसिल ने विभाजन, हिंदू और आदिवासी स्टडी के लिए केंद्र स्थापित करने के प्रस्ताव को परमिशन दे दी है। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने भी इकबाल के हटाए जाने का स्वागत किया हैं।

Knowledge: दिल्ली यूनिवर्सिटी के बीए प्रोग्राम में अब मशहूर शायर मोहम्मद इकबाल को नहीं पढ़ाया जाएगा। अब डीयू में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स को इकबाल के बारे में नहीं पढ़ाया जाएगा। बीए पॉलिटिकल साइंस के सिलेबस में अब तक इकबाल को पढ़ाया रहा था। दिल्ली यूनिवर्सिटी एग्जीक्यूटिव काउंसिल के परमिशन के बाद इकबाल को सिलेबस से हटा दिया जाएगा। इसके अलावा एकेडमिक काउंसिल ने कुछ अन्य प्रस्तावों को भी मंजूरी दी है। उन्हें सिलेबस से हटाए जाने के मामले पर आखिरी फैसला एग्जीक्यूटिव काउंसिल को करना है, जिसकी मीटिंग 9 जून को निर्धारित की गई गई है।

अल्लाम इकबाल

इकबाल उर्दू और फारसी के मशहूर शायर हैं। आजादी दिवस के मौके पर इन्हे बड़े स्तर पर सुना जाता हैं। इकबाल को पाकिस्तान का नेशनल शायर कहा जाता है। भारत-पाकिस्तान के बीच हुए बंटवारे में मोहम्मद अली जिन्ना के अलावा एक दूसरा नाम अल्लामा मोहम्मद इकबाल का भी है। भारत के विभाजन और पाकिस्तान की स्थापना का विचार सबसे पहले इकबाल ने ही उठाया था। 1930 में इन्हीं के नेतृत्व में मुस्लिम लीग ने सबसे पहले भारत के विभाजन की मांग उठाई। एक ओर जहां इन्होंने सारे जहां से अच्छा हिंदोस्ता हमारा जैसा गीत लिखा। वहीं दूसरी ओर उन्होंने दोराष्ट्र के सिद्धांत की नींव भी डाली। स्कूलों में तमाम मौकों पर सारे जहां से अच्छा हिंदोस्ता हमारा गाना गाया जाता है, बच्चे इस गाने पर रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम तैयार करते हैं।

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मॉडर्न इंडियन पॉलिटिकल थाउट चैप्टर

बीए पॉलिटिकल साइंस के सिलेबस के ‘मॉडर्न इंडियन पॉलिटिकल थाउट’ चैप्टर में इकबाल के बारे में विस्तार से पढ़ाया जाता था। यह चैप्टर कोर्स के बीए छठे सेमेस्टर में पढ़ाया जाता था। पार्टिशन स्टडीज यानी विभाजन के बारे में एक केंद्र स्थापित करने का एकेडमिक काउंसिल के पांच सदस्यों ने विरोध किया। इस काउंसिल में 100 सदस्य हैं।

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने किया स्वागत

एक बयान में ABVP (अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद) ने पॉलिटिकल साइंस के सिलेबस से इकबाल को हटाने के फैसले का स्वागत किया है। एबीवीपी ने इकबाल को कट्टर धार्मिक विद्वान बताया, जिसे पाकिस्तान का ‘फिलिसोफिकल फादर’ कहा जाता है। मुस्लिम लीग में जिन्ना को खड़ा करने के पीछे इक़बाल का ही हाथ था। एबीवीपी ने कहा कि मोहम्मद अली जिन्ना की ही तरह मोहम्मद इक़बाल भी भारत के विभाजन के लिए जिम्मेदार है।

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