Knowledge News : मुगल गार्डन बनवाया अंग्रेजों ने, नाम फिर भी मुगल का, जानिये इसके पीछे का कारण

Mughal Garden Fact : अभी तक आपने राष्ट्रपति भवन (Rashtrapati Bhavan) के अंदर बने मुगल गार्डन को तो बहुत बार देखा होगा, लेकिन अब इस 100 साल से भी ज्यादा पुराने मुगल गार्डन का नाम बदलकर अमृत उद्यान कर दिया गया है। केंद्र सरकार ने आजादी के अमृत महोत्सव के मद्देनजर मुगल गार्डन का नाम बदलकर अमृत उद्यान (Amrit Udyan) किया है। हर साल लाखों लोग राष्ट्रपति भवन के मुगल गार्डन (Mughal Garden) खुलने का इंतजार करते हैं। यहां पर विदेशों से भी लोग मुगल गार्डन देखने दिल्ली आते हैं, लेकिन क्या आप इस मुगल गार्डन के इतिहास के बारे में जानते हैं? इस गार्डन को अंग्रेजों ने बनवाया था, फिर भी इसका नाम मुगलों पर रखा गया। आइये इस नॉलेज के आर्टिकल (Knowledge news) में बताते हैं कि आखिर अंंग्रेजों ने इस गार्डन का नाम मुगल गार्डन क्यों रखा, जबक
क्या है मुगल गार्डन का इतिहास
सबसे पहले तो हम आपको इसके इतिहास के बारे में बता देते हैं। साल 1911 में जब देश पर ब्रिटिशों का राज हुआ करता था, उस समय अंग्रेजों ने कोलकाता को छोड़कर दिल्ली को अपनी राजधानी बना लिया था। तब उन्होंने रायसीन की पहाड़ी को काटकर वायसराय हाउस यानि मौजूदा राष्ट्रपति भवन बनाने का फैसला किया। वायसराय हाउस को बनाने के लिए ब्रिटिश वास्तुकार सर एडविन लुटियंस को खासतौर पर बुलाया गया था। उन्होंने ही इस का डिजाइन किया था। सर लुटियंस ने साल 1917 में इसे बनाने की शुरुआत की थी। उन्होंने इस वायसराय हाउस की सुंदरता को बढ़ाने के लिए एक खास बाग बनाया, जहां पर कई बहुत से फूल-पौधे और पेड़ों की प्रजातियां लगाई गईं थी। हालांकि इसके लिए ऐसा भी कहा जाता है कि उस समय वायसराय लॉर्ड हार्डिंग की पत्नी लेडी हार्डिंग को यह पसंद नहीं आया था। ये पूरा बाग यानि मुगल गार्डन साल 1928 में बनकर तैयार हुआ, उसके बाद एक साल तक यानि 1928 से 1929 तक इसमें प्लांटिंग का काम चला।
क्यों मुगलों के नाम पर रखा नाम
ऐसा कहा जाता है कि 16वीं शताब्दी में बाबर के हमले के बाद दिल्ली में मुगल साम्राज्य शुरू हुआ था। इसके बाद बाकि मुगल बादशाह हुमायूं, अकबर, शाहजहां और औरंगजेब ने इस दिल्ली की गद्दी को संभाला। इस दौरान मुगलों ने पूरे देशभर में बाग-बगीचों का निर्माण करवाया था। उन्होंने दिल्ली में हजार से ज्यादा बाग बनवाए। जिसमें शालीमार बाग, साहिबाबाद, बेगम बाग जैसे कई नाम शामिल हैं। ये बाग वनस्पतियों के साथ मुगलों के शासन के प्रतीक हैं।
राष्ट्रपति भवन की वेबसाइट के अनुसार, लुटियंस ने इस बगीचे को डिजाइन करते समय इस्लामी विरासत के साथ-साथ ब्रिटिश कौशल को भी ध्यान में रखा था। बता दें कि मुगल गार्डन की डिजाइन ताजमहल के बगीचों, जम्मू-कश्मीर के बाग और भारत और पर्शिया की पेंटिंग्स से प्रेरित है। कुछ मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, उस समय में मुगलों के नाम पर गार्डन का नाम रखने का चलन था और उसी विरासत को ध्यान में रखते हुए इसे मुगल गार्डन का नाम दिया गया था। मुगल गार्डन को चार भागों में बांटा गया- चतुर्भुजकार बाग, लंबा बाग, पर्दा बाग और वृत्ताकार बाग।
पहली बार कब लोगों के लिए खुला मुगल गार्डन
ब्रिटिश राज में जब ये गार्डन बना था उस समय उस समय इसे सिर्फ खास लोग ही देख सकते थे। लेकिन जब भारत आजाद हुआ तब डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने इसे आम लोगों के लिए खोल दिया और वायसराय हाउस का नाम बदलकर भी राष्ट्रपति भवन कर दिया। तब से लेकर अब तक हर साल इसे आम लोगों के लिए बसंत ऋतु में खोला जाता है। बता दें कि मुगल गार्डन यानि अमृत उद्यान में 138 तरह के गुलाबों के साथ, 10,000 से ज्यादा ट्यूलिप और 70 विभिन्न प्रजातियों के लगभग 5,000 मौसमी फूल देखने को मिलेंगे।
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