Knowledge News : आखिर उल्टे हाथ में ही क्यों पहनी जाती है घड़ी, जानिए वजह

Knowledge News : आखिर उल्टे हाथ में ही क्यों पहनी जाती है घड़ी, जानिए वजह
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क्या आप जानते हैं कि उल्टे हाथ में ही घड़ी को क्यों पहना जाता है। अगर आप इसके पीछे का कारण नहीं जानते तो पढ़िये नॉलेज का यह आर्टिकल।

वॉच जिसे हिंदी भाषा में घड़ी (Watch) कहा जाता है, वो न सिर्फ हमें समय बताती है बल्कि कई बार हमारी पर्सनैलिटी को भी काफी बेहतर बना देती है। बहुत बार आपने देखा होगा कि घड़ी पहनने से हमारे अंदर आत्मविश्वास भी आ जाता है। अगर हम आपसे ये पूछें कि लोग किस हाथ में घड़ी को ज्यादा पहनते हैं, तो आपमें से ज्यादातर लोगों का जवाब होगा कि बाएं यानी उल्टे हाथ में। लेकिन, क्या आपने कभी ये सोचा है कि लोग घड़ी को उल्टे हाथ में ही क्यों पहनते हैं (why wear watch left hand)। अगर आप यह कारण जानना चाहते हैं तो यह आर्टिकल इसी सवाल का जवाब देने वाला है।

इसलिए पहनी जाती है उल्टे हाथ में घड़ी

बहुत से लोग ऐसे होते हैं, जो दाएं यानी सीधे हाथ से काम करते हैं। इसलिए सीधे हाथ से काम करने पर वो अक्सर व्यस्त रहता है, तो ऐसे में बाएं हाथ यानी उल्टे हाथ में घड़ी बांधकर बार-बार समय देखने में काफी दिक्कत नहीं होती है। इसके अलावा एक बात यह भी है कि सीधे हाथ के बजाय उल्टे हाथ में घड़ी बांधने से वो सुरक्षित भी रहती है, क्योंकि ज्यादातर लोग अपने काम को सीधे हाथ से करते हैं। ऐसे में उसका खराब होने या फिर टूटने का खतरा ज्यादा बना रहता है। इसलिए ज्यादातर घड़ी बनाने वाली कंपनियां उल्टे हाथ को ध्यान में रखकर ही घड़ियां बनाती हैं।

सीधे हाथ में भी पहनते हैं घड़ी

हालांकि आपको बता दें कि ऐसा नहीं है कि लोग सीधे हाथ में बिल्कुल भी घड़ी नहीं पहनते हैं। आपको ऐसे भी बहुत से लोग देखने को मिल जाएंगे, जो सीधे हाथ में घड़ी पहनते हैं। इनमें से ज्यादतर ऐसे लोग होंगे जो उल्टे हाथ से काम करते हैं, वो लोग सीधे हाथ में घड़ी पहन लेते हैं। हालांकि यह आमतौर पर बहुत कम ही होता है। यहां तक एक चलन तो ये भी है कि लोग दोनों हाथों की कलाई में घड़ी पहन सकते हैं। कई बार ये अपने कम्फर्ट लेवल पर भी होता है कि कौन किस हाथ में घड़ी पहन कर सहज महसूस कर रहा है।

पहले ऐसे रखी जाती थी घड़ी

अगर आपने कभी अपने दादा या परदादा के समय की घड़ियां देखी होंगी, तो आप जानते होंगे कि उस समय ने ज्यादातर घड़ियां ऐसी होती थी, जो हाथ की कलाई में ना बांधकर जेब में रखी जाती थी। बाद में वक्त बदलने के साथ-साथ घड़ी को कलाई पर बांधने का चलन आ गया।

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