Knowledge News : आखिर क्यों ठंड लगने पर छूटती है कंपकंपी, जानिए इसके पीछे का साइंस

सर्दियों (winter) का सीजन शुरू हो चुका है। धीरे-धीरे मौसम भी ठंडा होने लग गया है। अक्सर आपने देखा होगा कि ठंड लगने पर रोएं खड़े हो जाते हैं, वहीं खुले अंग सुन्न पड़ जाते हैं। कान ठंडे हो जाते हैं, लेकिन ऐसा होता क्यों हैं। क्यों कभी बहुत ज्यादा सर्दी लगती है, तो कभी बहुत कम। इसके पीछे आखिर वजह क्या है। चलिए आज हम आपको अपने इस आर्टिकल में बताते हैं, इसके पीछे का साइंस क्या है?
सबसे पहले तो हम आपको ये बता दें कि हर किसी को ठंड एक बराबर नहीं लगती। किसी इंसान को ठंड कम लगती है, तो वहीं किसी को बहुत ज्यादा लगती है। दरअसल, हर इंसान को ठंड उसके शरीर की आंतरिक क्षमता, खान-पान, रहन-सहन के हिसाब से लगती है। अब हम आपको बताते हैं शरीर का वो हिस्सा जिसपर सबसे पहले हमे ठंड का पता चलता है, वो हिस्सा है त्वचा यानि हमारी स्किन।
जब भी पारा नीचे गिरता है तो सबसे पहले त्वचा को महसूस होता है। हमारी त्वचा के ठीक नीचे थर्मो-रिसेप्टर नर्व्स (Thermo-receptors Nerves) होती है। ये हमारे दिमाग को तरंगों के रूप में मैसेज भेजती हैं। ये मैसेज होता है कि हमें ठंड लग रही है या नहीं। बता दें ये बहुत ही सामान्य सी फीलिंग होती है, जो हर इंसान के शरीर में अलग-अलग स्तर और तीव्रता पर बनती और बिगड़ती है।
जब हमे ठंड लगती है तो पूरा शरीर खुद को संभालने में लग जाता है। इसका मतलब यह है कि त्वचा से निकलने वाली तरंगें दिमाग के हाइपोथैलेमस में पहुंचती हैं, इसके बाद वह शरीर की अंदरूनी गर्मी और पर्यावरण का संतुलन बनाना शुरू करता है। इसी संतुलन को बनाने की पहली प्रतिक्रिया होती है रोएं का खड़ा होना। हमारे शरीर पर मौजूद बाल की परत हमेशा हमको ठंड से बचाने में मदद करती है।
हमारे दिमाग में मौजूद हाइपोथैलेमस नर्वस सिस्टम को यह बताता है कि शरीर का पारा गिर रहा है। यह एक काफी महत्वपूर्ण सूचना होती है। हमारे दिमाग को यह पता है कि हमारा शरीर तापमान गिरना बर्दाश्त नहीं कर सकता। अगर पारा नीचे गिरा तो बहुत से अंग काम करना बंद कर देंगे। इससे इंसान की मौत भी हो सकती है। ज्यादा ठंड लगने की वजह से हाइपोथर्मिया हो जाता है, जिससे मौत हो सकती है।
भले ही हमारी स्किन पर ठंड महसूस हो रही हो, लेकिन दिमाग शरीर का तापमान गिरने से रोकता है। दिमाग पूरे शरीर को यह निर्देश देता है कि पारा गिर रहा है, इसे संतुलित करो। तब सारे अंग और मांसपेशियां अपने काम की गति को धीमा कर देते हैं। इसके बाद गति धीमी करने से मेटाबॉलिक हीट पैदा होती है। यह गर्मी शरीर के अन्य हिस्सों में न जाकर अपने आसपास के ही इलाकों को गर्म रखती है। इसलिए ठंड लगने पर जब आपको कंपकंपी होती है, तब आप समझ सकते हैं कि शरीर के अंगों ने अपना काम धीमा कर दिया है।
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