Lightning Knowledge: जानिए आकाशीय बिजली में कितना होता है करंट, और कैसे बनती है ये

Lightning Knowledge: बारिश होने के साथ जहां एक तरफ इसके फायदे हैं, वहीं एक तरफ नुकसान भी हैं। हम सभी बारिश के मौसम को इन्जॉय करते है। कभी आकाशीय बिजली के चपेट में आकर व्यक्ति घायल, तो कई बार जान तक चली जाती है। जिसकी वजह से बारिश में भी डर लगता है। आकाशीय बिजली का खतरा खुले आसमान के नीचे, हरे पेड़ या बिजली, मोबाइल के टावर के पास अधिक रहता है।
अक्सर बारिश के मौसम में आकाशीय बिजली की वजह से लोगों की मौत जैसी खबर के बारे में सुनते हैं। बीते 4 जून को यू.पी, बिहार में आकाशीय बिजली के गिरने से 15 लोगों की मौत की खबर सामने आई थी। तो आज हम आपको बताते है कि आकाश में चमकने वाली बिजली कैसे बनती है और क्यों गिरती है।
कैसे बनती है आकाशीय बिजली
बेंजामिन फ्रेंकलिन नामक वैज्ञानिक ने सन् 1872 में बिजली चमकने के कारण के बारे में जानकारी दी थी। जब बारिश के समय आसमान में पानी वाले मॉलिक्यूल्स बादल में एकत्र हो जाते हैं, तो बादलों में उपस्थित क्रिस्टलीय आकार के छोटे-छोटे बर्फ के कण आपस में जब टकराते हैं, तो उनके बीच घर्षण की क्रिया होती है। जिसके कारण इसमें दो तरह के चॉर्ज उत्पन्न होते हैं। पहला पॉजिटिव दूसरा निगेटिव।
बारिश के समय ही क्यों ज्यादा गिरती है बिजली
बारिश के बीच जब आसमान में पॉजिटिव और नेगेटिव दोनों तरह के चॉर्ज वाले बादल एक दूसरे से टकराते हैं, तो उनके बीच लाखों वोल्ट का करंट यानी बिजली का उत्पादन होता है। जब दोनों चॉर्ज के टकराने से अधिक मात्रा में बिजली उत्पन्न हो जाती है, तो बिजली सीधे धरती पर पहुंचती है जिसकी वजह से घटनाएं घटित होती हैं। आकाशीय बिजली के पृथ्वी पर पहुंचने की क्रिया को बिजली का गिरना कहते हैं।
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आकाशीय बिजली में कितने वोल्ट का करंट
बारिश के मौसम में एक मिनट में औसतन 28 बार आकाशीय बिजली चमकती है। धरती पर गिरने वाली आकाशीय बिजली लगभग 4 से 5 किमी लम्बी होती है। आकाशीय बिजली में 10 करोड़ वोल्ट के साथ 10000 एम्पियर का करंट शामिल होता है।
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