Knowledge News: भारत छोड़ो आंदोलन जिसने पूरे देश को ब्रिटिश राज के खिलाफ एकजुट कर दिया था

Knowledge News: भारत छोड़ो आंदोलन जिसने पूरे देश को ब्रिटिश राज के खिलाफ एकजुट कर दिया था
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Knowledge News: भारत छोड़ो आंदोलन (Quit India Movement) ने हमारे देश को आजादी दिलाने में एक बहुत महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इसे अगस्त क्रांति आंदोलन (August Kranti Movement) के नाम से भी जाना जाता है। अपनी इस स्टोरी में हम आपको इस आंदोलन के बारे में विस्तार से बताने की कोशिस करेंगे...

Knowledge News: भारत छोड़ो आंदोलन (Quit India Movement) ने हमारे देश को आजादी दिलाने में एक बहुत महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इसे अगस्त क्रांति आंदोलन (August Kranti Movement) के नाम से भी जाना जाता है। 8 अगस्त साल 1942 में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (All India Congress Committee) के बॉम्बे में ब्रिटिश राज (British Rule) के अंत के लिए महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) ने एक नारा दिया जिसका नाम था भारत छोड़ो आंदोलन। यह आंदोलन एक सामूहिक सविनय अवज्ञा था जो पूरे देश में शुरु हो चुका था।

द्वितीय विश्व युद्ध और भारत की आजादी

उस समय ब्रिटेन द्वितीय विश्व युद्ध के बीच में था और जापानियों के भारत की सीमा के निकट आने के साथ भारत की भविष्य की स्थिति तय करने के लिए अंग्रेजो पर दबाव बढ़ रहा था। कांग्रेस के नेता ब्रिटिश सरकार पर उनकी मांग को मानने के लिए दबाव बनाने के लिए इस अवसर को हथियाने की प्रतीक्षा कर रहे थे। अप्रैल 1942 में सर स्टैफोर्ड क्रिप्स जो युद्ध मंत्रिमंडल के सदस्य थे के नेतृत्व में किया गया क्रिप्स मिशन फेल हो गया था। उधर चार महीने से भी कम समय के अंदर, स्वतंत्रता के लिए भारतीय लोगों का तीसरा महान जन संघर्ष शुरू हो चुका था।

कब पारित हुआ भारत छोड़ो आंदोलन

द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान महात्मा गांधी ने भारत छोड़ो आंदोलन का प्रस्ताव पारित किया था। आंदोलन की शुरुआत के दौरान, महात्मा गांधी ने गोवालिया टैंक मैदान में कांग्रेस के बॉम्बे अधिवेशन में एक भाषण दिया और 'करो या मरो' का आह्वान किया। उन्होंने अंग्रेजों को तुरंत भारत छोड़ने या गंभीर परिणाम भुगतने की चेतावनी दी। इस आंदोलन के एक हिस्से के रूप में, बड़े पैमाने पर आंदोलन का आह्वान किया गया, जिसके बाद देश में हिंसा हुई और फिर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया।

गांधी ने अपने भाषण में कहा, "एक मंत्र है, एक छोटा मंत्र जो मैं आपको देता हूं। आप इसे अपने दिल में उतार लीजिए और अपनी हर सांस को इसकी अभिव्यक्ति दीजिए। ये करो या मरो का मंत्र है। हम या तो आज़ाद हो जाएंगे या कोशिश में मर जाएंगे"। भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान "भारत छोड़ो" और "करो या मरो" भारतीय लोगों की लड़ाई बन गए।

क्या थी ब्रिटिश सरकार की प्रतिक्रिया

कांग्रेस नेताओं की गिरफ्तारी के बाद देश के हर हिस्से में हड़ताल और जुलूस निकाले गए। सरकार ने इस दौरान पूरे देश में गोलीबारी, लाठीचार्ज और गिरफ्तारियां करवाई। लोगों ने गुस्से में आकर हिंसक गतिविधियां भी शुरू कर दीं। लोगों ने सरकारी संपत्ति पर हमला किया, रेलवे लाइनों को क्षतिग्रस्त कर दिया, और चौकियों और टेलीग्राफ को बाधित कर दिया। कई जगहों पर पुलिस से झड़प की खबरें भी सामने आने लगी। सरकार ने आंदोलन के बारे में समाचारों में छापने पर प्रतिबंध लगा दिया। कई समाचार पत्रों ने प्रतिबंधों के साथ चलने के बजाय उन्हें बंद करने का निर्णय लिया।

क्यों शुरु किया गया था भारत छोड़ो आंदोलन

इस आंदोलन के शुरु होने के पीछे का मुख्य कारण था भारतीयों को जबरदस्ती दूसरे विश्व युद्ध में घसीटना। दरअसल बिना यूनाइटेड किंगडम (यूके) की सहमति लिए अंग्रेज देश को द्वितीय विश्व युद्ध में ब्रिटिश की ओर से घसीटने की योजना बना रहे थे। उस दौरान, द्वितीय विश्व युद्ध में पाकिस्तान, नेपाल और बांग्लादेश के लोगों सहित 87,000 से अधिक भारतीय सैनिक शहीद हुए थे। आंदोलन में साल 1942 के अंत तक लगभग 60,000 लोगों को जेल में डाल दिया गया था और सैकड़ों लोग मौत के घाट उतार दिए गए थे। मरने वालों में कई छोटे बच्चे और बूढ़ी महिलाएं भी शामिल थी।

आंदोलन ने भारतवासियों को किया था एकजुट

इसमें कोई दो राय नहीं है कि "भारत छोड़ो आंदोलन" ने समस्त भारतवासियों को ब्रिटिश शासन के खिलाफ एकजुट कर दिया था। हालांकि अधिकांश प्रदर्शनों को 1944 तक दबा दिया गया। लेकिन 1944 में जेल से गांधीजी की रिहाई के बाद, उन्होंने अपना विरोध जारी रखा और 21 दिनों के उपवास पर चले गए। द्वितीय विश्व युद्ध के अंत तक, दुनिया में ब्रिटेन की स्थिति नाटकीय रूप से बदल गई थी और स्वतंत्रता की मांग को अब नजरअंदाज नहीं किया जा सकता था। हर साल 8 अगस्त को, भारत छोड़ो आंदोलन की वर्षगांठ को स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि देकर मनाया जाता है, जिन्होंने बिना किसी संदेह के देश और उसके लोगों के लिए अपना जीवन त्याग दिया।

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