Measure Rain Knowledge: जानिए कैसे मापी जाती है बारिश, कैसा होता है इसका उपयोग

Measure Rain Knowledge: सावन आते ही मानसून का आना भी तो शत-प्रतिशत तय होता है, लेकिन मानसून ने सावन से पहले दस्तक दे दी थी। बारिश के होने से लोगों को गर्मी की चपेट से राहत तो मिली, लेकिन बारिश के विकराल रूप की मार भी लोगों को झेलनी पड़ रही है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, इस साल की बारिश ने पिछले सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। बीते दिनों राजधानी दिल्ली में सुबह 8.30 बजे से शाम 5.30 बजे तक 126.3 मिली मीटर बारिश हुई, लेकिन क्या आपको पता है कि इसे कैसे नापा गया, तो जानिए बारिश कब कितनी होगी यह कैसे पता चलता है।
वर्षा मापी से नापा जाता है बारिश का स्तर
किसी भी शहर, देश, जगह पर बारिश को मापने के लिए वर्षा मापी (Rain Gauge) यंत्र का इस्तेमाल किया जाता है। प्रत्येक देश के मौसम विभाग के पास यह यंत्र होता है। वर्षा मापी (rain gauge) का प्रयोग करके बारिश को इंच (Inch), मिली मीटर (Milli meter) में मापा जाताहै। आधुनिकता के दौर में तरह-तरह से वर्षा मापी यंत्र बना दिए गए है, लेकिन आज भी पहले बने हुए वर्षा मापी यंत्र को सही माना जाता है और इसका ही उपयोग किया जाता है। इस यंत्र को हेटोमीटर भी कहते हैं।
कैसी होती है इसकी संरचना
वर्षा मापी यंत्र की बनावट इस यंत्र में पैमाना (नाप करने वाला) कांच के बोतल में बना होता है। वह कांच की बोतल लोहे के बने बेलनाकार डिब्बे में रखा होता है। कीप का व्यास बोतल के व्यास से 10 गुना अधिक होता है। इस यंत्र को खुली जगह पर रखा जाता है।
वर्षा यंत्र कैसे करता है काम
मानसून के मौसम में बारिश के पानी की बूंदे इस कीप में गिरती है। धीरे-धीरे पानी एस बोतल में एकत्र हो जाता है। 24 घंटे के बाद मौसम विभाग के वर्कर बोतल के अंदर एकत्र पानी को बोतल में लगे पैमाने से मापते है।
आप सोच रहे होंगे कि यह तो पहले हो चुकी बारिश का पानी है, तो इससे कैसे पता चलेगा, लेकिन आपकी जानकारी के लिए बता दें कि आने वाले समय में होने वाली बारिश इस माप का 10 वां भाग होता है, क्योंकि इस यंत्र (Machine) के कीप का व्यास (Diameter) बोतल व्यास से 10 गुना ज्यादा होता है।
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