Knowledge News : कुतुब मीनार में शूटिंग करना चाहते थे देवानंद, जानिए इस ऐतिहासिक स्मारक से जुड़े कुछ दिलचस्प फैक्ट्स

अगर आप दिल्ली (Delhi) में घूमे हैं तो आपने यहां पर स्थित कुतुब मीनार (Qutub Minar) तो देखी ही होगी। अगर नहीं देखी है तो आपको ये जरुर देखनी चाहिए। क्योंकि यह ऐतिहासिक इमारत इंडो-इस्लामिक आर्किटेक्चर का एक बेहतरीन नमूना है। ईंट की बनी यह इमारत दुनिया की सबसे ऊंची इमारतों में से एक है। क्या आप जानते हैं कि कुतुब मीनार का यह नाम कैसे पड़ा, अगर नहीं तो हम आपको बता दें कि इसके पीछे इतिहासकार कई तर्क देते हैं। कुछ इतिहासकारों का मानना है कि इसका नाम कुतुबुद्दीन ऐबक के नाम पर पड़ा। तो वहीं कुछ इतिहासकार मानते हैं इसका नाम ख्वाजा कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी के सम्मान में पड़ा था। आज हम आपको अपनी इस खबर में कुतुब मीनार से जुड़े कुछ ऐसे रोचक तथ्यों के बारे में बताने वाले हैं जिनके बारे में शायद बहुत से लोग नहीं जानते होंगे।
सबसे ऊंची ईंट की इमारत
कुतुब मीनार की ऊंचाई लगभग 72.5 मीटर है। इसमें 379 सीढ़ियां हैं, जो मीनार के शिखर तक जाती हैं। इस इमारत का आर्किटेक्चर देखने में काफी भव्य लगता है। कुतुब मीनार के कुतुब कॉम्प्लेक्स में घूमने पर वहां 10 मिनट की एक फिल्म भी दिखाई जाती है, जिसमें आपको कुतुब मीनार और कुतुब कॉम्प्लेक्स में स्थित अन्य इमारतों के बारे में बहुत सी दिलचस्प बातें जानने को मिलती हैं।
कुतुब कॉम्प्लेक्स में कई ऐतिहासिक इमारतें
बता दें कि क़ुतुब मीनार कई बड़ी ऐतिहासिक इमारतों से घिरा हुआ है और यह सभी कुतुब कंपलेक्स के अंतर्गत ही आती हैं। इस कांप्लेक्स में दिल्ली का लौह स्तंभ, अलाई दरवाजा, कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद, इल्तुतमिश की कब्र, अलाई मीनार जैसी कई इमारतें हैं। जिन्हें देखने के लिए पर्यटक यहां आते रहते हैं।
इस वजह से बंद हुई कुतुब मीनार के अंदर एंट्री
आज शायद बहुत से लोगो ने कुतुब मीनार को अंदर से नहीं देखा होगा। हालांकि, साल 1974 से पहले कुतुब मीनार आम लोगों के लिए खुला हुआ था। लेकिन 4 दिसंबर 1981 में यहां पर आए लोगों के साथ एक भयानक हादसा हो गया। जिसमें भगदड़ के दौरान लगभग 45 लोगों की मौत हो गई। इसके बाद से इस इमारत के अंदर वाले हिस्से में प्रवेश पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई।
शूटिंग करना चाहते थे देवानंद
बॉलीवुड के स्टार एक्टर और डायरेक्टर देवानंद यहां अपनी फिल्म के गाने दिल का भंवर करे पुकार की शूटिंग की करना चाहते थे। लेकिन कैमरे मीनार के छोटे रास्तों में फिट नहीं हो पाए। जिसकी वजह से यह शूटिंग नहीं हो सकी। लेकिन इसका फील लाने के लिए कुतुब मीनार की रेप्लिका में शूटिंग की गई।
लौह के स्तंभ में नहीं लगा जंग
कुतुब कॉम्प्लेक्स में स्थित लौह के स्तंभ को देखने के लिए सैलानी यहां पर बड़ी तादाद में आते हैं। यह इमारत लगभग 2000 साल से भी ज्यादा पुरानी है। लेकिन इसमें आज भी जंग नहीं लगा है और यही चीज इसे सबसे ज्यादा खास बनाती है।
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