Rain Gauge History: जानिए बारिश को मापने वाले वर्षा मापी यंत्र का इतिहास

Rain Gauge History: जानिए बारिश को मापने वाले वर्षा मापी यंत्र का इतिहास
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Rain Gauge History: मानसून के आते ही जहां गर्मी से राहत मिली तो, वहीं दूसरी तरफ बारिश के विनाशकारी रूप की वजह से लोगों का जीवन अस्त व्यस्त हो गया। बारिश के स्तर को नापने के लिए वर्षा यंत्र का उपयोग किया जाता है, लेकिन क्या आपको पता है कि वर्षा यंत्र कब और किसने बनाया था। जानिए इसका इतिहास...

Rain Gauge History: सावन के आने के पहले से ही मानसून की बहार ने प्रलय रूप धारण कर लिया। पहाड़ी क्षेत्रों के साथ ही बारिश का असर सतही क्षेत्रों में भी देखने को मिल रहा है। अधिक जल स्तर के होने के कारण मानव जीवन पूरी तरह से अस्त व्यस्त हो गया है। हम सभी खबरों के जरिए जगह-जगह पर होने वाली बारिश की घटना के बारे में सुनते हैं। खबर में यह भी बताया जाता है कि इस जगह पर इतनी मिली मीटर बारिश हुई, लेकिन क्या आपको पता है कि बारिश को किस प्रकार नापा जाता है और जानिए कब किया गया इसका अविष्कार।

बारिश के जल स्तर को नापने के लिए वर्षामापी यंत्र का उपयोग किया जाता है। वर्षा मापी यंत्र एक प्रकार का उपकरण है। वर्षा यंत्र का इतिहास बहुत पुराना है। इस यंत्र के साक्ष्य ईसाई युग से पहले के हैं।1600 के दशक के मध्य में क्रिस्टोफर व्रेन और रॉबर्ट हूक द्वारा बनाया गया, एक उपकरण अभी भी आधुनिक बारिश गेज का आधार है।

प्रारंभिक वर्षा गेज

ईसाई युग के पहले से वर्षा गेज का उपयोग किया जाता रहा है। पहली बार इस यंत्र का उपयोग चौथी शताब्दी ई.पू. भारत में किया गया था। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, उस समय दिया गया निर्देश यह था कि एक वर्षा गेज 45.72 सेंटीमीटर (18 इंच) व्यास में उपयोग किया जाना था।

मध्य वर्षा गेज

1200 के दशक में शुरू किया यह यंत्र पूरे एशिया में फैल गया। प्रचलित खबर के अनुसार, कहा जाता है कि चीनी लोग विशेष रूप से वर्षा के होने का इंतजार करते थे, क्योंकि इन्होंने कुछ प्रमुख शहरों में वर्षा मापी यंत्रो को लगाया था। इन जगहों पर होने वाली बारिश की मात्रा के अनुसार, पूरे देश में होने वाली बारिश का अनुमान लगाया जाता था।

कोरिया ने भी इस यंत्र का उपयोग किया। जिसकी संरचना 15वीं शताब्दी से 20वीं शताब्दी के बीच कुछ खास नहीं बदला। रॉयल मौसम विज्ञान सोसायटी के शोधकर्ता के हिसाब से ये यंत्र बहुत उन्नत किस्म के थे।

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1600 के दशक में यूरोप में वर्षा गेज

रॉबर्ट हूक द्वारा बनाया गया रेन गेज आज भी यूज में है। यह शीर्ष फनल के आकार का यंत्र है। यह यंत्र अपने अंदर पानी को एक एकत्रित बेसिन के लिए निर्देशित किया जाता है। इस यंत्र को लंदन में एक साल के लिए उपयोग किया गया और 74 सेंटीमीटर (29 इंच) पानी एकत्र किया।

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