Knowledge News: चिट्ठी को कबूतर के अलावा दूसरे पक्षी क्यों नहीं ले जाते थे, जानिए कारण

Knowledge News: चिट्ठी को कबूतर के अलावा दूसरे पक्षी क्यों नहीं ले जाते थे, जानिए कारण
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तात्कालिक संचार (Communications), वैश्विक नेटवर्क, उपग्रह और इंटरनेट (Internet) के आगमन से पहले हजारों वर्षों तक संचार को बहुत धीमे तरीके से किया जाता था। पत्र लिखना और उन्हें हाथ से पहुंचाना शायद संचार का सबसे बुनियादी और लंबे समय तक चलने वाला साधन था, लेकिन कुछ लोग मानवीय तत्व को पूरी तरह से हटाना चाहते थे।

Knowledge News: जब आप इन दिनों किसी को संदेश (Mesasage) भेजना चाहते हैं, तो बस स्मार्टफोन पर आपकी उंगली के कुछ स्वाइप होते हैं। लेकिन हम सभी को इस बात से अवगत होना चाहिए कि यह क्षमता वास्तव में कितनी शांत, दुनिया बदलने वाली और आधुनिक है। तात्कालिक संचार (Communications), वैश्विक नेटवर्क, उपग्रह और इंटरनेट (Internet) के आगमन से पहले हजारों वर्षों तक संचार को बहुत धीमे तरीके से किया जाता था। पत्र लिखना और उन्हें हाथ से पहुंचाना शायद संचार का सबसे बुनियादी और लंबे समय तक चलने वाला साधन था, लेकिन कुछ लोग मानवीय तत्व को पूरी तरह से हटाना चाहते थे। जिस तरह अब हम अपने भारी भार उठाने के लिए वायरलेस नेटवर्क और माइक्रोचिप्स पर भरोसा करते हैं। उसी तरह पिछली पीढ़ियों ने अपने संदेश लंबी दूरी तक पहुंचाने के लिए घरेलू कबूतरों का इस्तेमाल किया था। फिल्मों और टेलीविजन में हम सभी ने कबूतरों को संदेश देते हुए देखा है, लेकिन इस विचित्र क्षमता के पीछे की कहानी क्या है? आप एक कबूतर को अपना डाक भेजने के लिए कैसे प्रशिक्षित कर सकते हैं। आइए जानें हैं....

घोड़े की पीठ पर या पैदल संदेश पहुंचाना संतोषजनक था। लेकिन इसमें कई परेशानियां सामने आईं जैसे बेईमान संदेशवाहक, दुर्घटनाएं, संदेशों का नुकसान, अप्रत्याशित देरी और गारंटीकृत गोपनीयता की कमी। इसलिए, न केवल एक तेज वितरण प्रणाली वांछित थी, बल्कि एक अधिक विश्वसनीय भी थी। 3000 से अधिक साल पहले संदेश पहुंचाने में इस तरह का पहला सुधार तब किया गया था जब घर में कबूतरों को पहली बार पेश किया गया था। कबूतरों के पैटर्न और चाल का अध्ययन करते समय ऐसा प्रतीत हुआ कि उनके पास दिशा की एक अद्भुत समझ थी। चारागाह, शिकार और मीलों तक हर दिशा में उड़ने के बाद भी वे अपने घर (घोंसले) का मार्गदर्शन करने में सक्षम थे।

दरअसल, कबूतर उन पक्षियों में से आते हैं जिनमें रास्तों को याद रखने की खूबी होती है। बताया जाता है कि कबूतरों के शरीर में एक तरह से जीपीएस सिस्टम होता है, जिस कारण वह कभी भी रास्ता नहीं भूलते हैं। कबूतर अपना रास्ता खुद तलाश लेते हैं। कबूतरों में रास्तों खोजने के लिए मैग्नेटोरिसेप्शन स्किल पाई जाती है। यह एक तरह से कबूतरों में गुण होता है। इन सब खूबियों के अलावा कबूतर के दिमाग में पाए जाने वाली 53 कोशिकाओं के एक समूह की पहचान की गई। जिनकी मदद से वे दिशा की पहचान और पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र का निर्धारण करते हैं। यह कोशिकाएं वैसे ही काम करती है, जैसे कोई दिशा सूचक दिशाओं को बताता है। इसके अलावा कबूतरों की आंखों के रेटिना में क्रिप्टोक्रोम नाम का प्रोटीन पाया जाता है। जिससे वह रास्ता जल्द ढूंढ लेते है। यहीं वजह से कि पत्र को एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंचे के लिए कबूतरों को चुना गया। घरेलू कबूतर पत्र को जल्दी पहुंचने में भी सक्षम थे।

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