Shatrunjaya Mountain Temple: दुनिया का एक ऐसा पर्वत, जिस पर बने हैं 900 मंदिर, जानें इसका इतिहास

Shatrunjaya Mountain Temple: दुनिया का एक ऐसा पर्वत, जिस पर बने हैं 900 मंदिर, जानें इसका इतिहास
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Shatrunjaya Mountain Temple:: हमारा भारत तरह-तरह की विविधताओं से भरा हुआ है। विशेषकर हमारे देश में कई अनोखे रहस्यमय मंदिर भी भरे पड़े हैं। आज हम जानते हैं, एक ऐसे ही पर्वत के बारे में, जिस पर 900 मंदिर मौजूद हैं। जानें कौन सा है वो मंदिर...

Shatrunjaya Mountain Temple: देश-दुनिया में ऐसे कई स्थान हैं, जो अनेक रहस्यों से घिरे हुए हैं। इनके रहस्य को समझ पाना किसी के लिए भी आसान काम नही हैं, लेकिन यहीं रहस्य मानव को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। इनमें नदी, झील, समुद्र, जंगल, पर्वत और पहाड़ शामिल हैं। आज हम बात करने जा रहे हैं एक ऐसे इकलौते पर्वत के बारे में, जिस पर एक-दो नहीं, बल्कि पूरे 900 मंदिर स्थित हैं।

आज हम बात करने जा रहे हैं शत्रुंजय पर्वत (Shatrunjaya mountain) के बारे में, जो अपने आप में एक अनोखा स्थान है। यह दुनिया का एकमात्र ऐसा पर्वत है, जिसके ऊपर 900 मंदिर मौजूद हैं। बता दें कि यह खास पर्वत कहीं और नहीं, बल्कि भारत में ही है। इस जगह पर घूमने के लिए लाखों की संख्या में जैन धर्म के अनुयायी आते हैं। जानिए, 900 मंदिरों वाला यह पर्वत कहां स्थित है और इसके पीछे का क्या है इतिहास...

मंदिर का इतिहास

दुनिया का यह खास पर्वत पालीताना (Palitana) में शत्रुंजय नदी के किनारे मौजूद है, जिसकी वजह से इस पर्वत को शत्रुंजय पर्वत हैं। पूरे विश्व में यहीं एक ऐसा इकलौता पर्वत है, जिस पर 900 मंदिर विराजमान हैं। इस पर्वत पर स्थित मंदिरों का निर्माण 11 वीं शताब्दी में किया गया था। यह मंदिर गुजरात के भावनगर जिले के पालीताना में अवस्थित हैं।

भावनगर (Bhavnagar) से इस मंदिर की दूरी लगभग 50 किमी है। इस मंदिर की खास नक्कशी संगमरमर के पत्थर पर इस तरीके से की गई है कि सूर्य की रोशनी सीधे मंदिर के अंदर पड़े। साथ ही जब मंदिर पर रात में चांद की रोशनी पड़ती है, तो यह मोतियों जैसा चमकने लगता है। इससे उसकी सुदंरता में चार चांद लग जाते हैं। मंदिर की बनावट इतनी खास है कि श्रद्धालु देखने मात्र के उद्देश्य से इसकी ओर खिंचे चले आते हैं।

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जैन धर्म के लिए खास है यह स्थल

गौरतलब है कि यहां पर जैन धर्म के लोग अधिक मात्रा में आते हैं, क्योंकि यहां सबसे पहले जैन तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव ने ध्यान लगाया और पहला उपदेश भी यहीं पर दिया था। इस मंदिर में जैन धर्म के 23 तीर्थंकर भी आ चुके हैं। इस मंदिर के शीर्ष तक पहुंचने के लिए 3000 सीढ़ियों को पार करना पड़ता है।

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