Manipur History: धधकते हुए मणिपुर का कांग्लेइपाक से क्या है रिश्ता, जानें इसका इतिहास

Manipur History: भारत अपनी विभिन्नता की वजह से विश्व भर में प्रसिद्ध हैं। यहां की सुंदरता पर्यटकों को अपनी ओर काफी आकर्षित करती है। भारत में कई ऐसे राज्य हैं, जो अपनी एक अलग पहचान बनाए हुए हैं। मणिपुर को अलग-अलग नाम, जैसे सोने की नगरी और रत्नों का देश भी कहा जाता है।
मणिपुर नाम से ही नहीं, अपितु प्राकृतिक रुप से भी सुंदर और मनोरम है। यहां पर भारत की सबसे मीठे पानी की झील पाई जाती है। इसके साथ ही संगाई जाति का हिरण भी केवल मणिपुर में ही पाया जाता है। सिरोय लिली नाम का फूल यहां की सिरोय पहाड़ी पर देखने को मिलता है, जो केवल मणिपुर में खिलता है। फिलहाल यह राज्य हिंसा से ग्रस्त है, जिसे देखकर यहां के लोगों का दर्द बंया कर पाना मुश्किल है।
मणिपुर राज्य का कांग्लेइपाक से रिश्ता
मणिपुर का इतिहास आज का नहीं, बल्कि सदियों पुराना है। यहां के राजा मिति का इतिहास पुयास में मिलते हैं, जिसे उस समय के विद्वानों द्वारा लिखा गया था। पुयास में मिति लिपि में लिखा गया है। इसमें निंगथौ कंगबलोन, चिथारोल कुमबाबा, निंगथौरोल लम्बुबा, पोरेटन खूनथोकपा, पनथोईबी खोंगकुल के बारे में जानकारी दी गई है। मणिपुर को एक समय तिल्ली कोकतोंग, पोरी लाम, सन्ना लीपक, मित्रबक नाम से बुलाया जाता था।
मणिपुर का नाम कभी कांग्लेइपाक हुआ करता था। लेकिन 18वीं शताब्दी के करीब एक ऐसा समय आया, जब यहां पर पामहेयीबा नाम के एक राजा हुए, जिन्हें गरीब नवाज के नाम से भी जाना जाता है। गरीब नवाज के शासन काल का यह सबसे महत्तवपूर्ण सफर रहा, क्योंकि यह वो दौर था, जब इस राज्य का नाम कांग्लेइपाक से मणिपुर कर दिया गया।
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गौरतलब है कि जब 18वीं सदी के बाद भारत पर अंग्रेजों ने पकड़ बनानी शुरू की, उस समय पूर्वोत्तर भी उनकी नजर में आया। 1891 में ब्रिटिश फौज ने मणिपुर पर हमला कर दिया। इसके बाद कई राजाओं ने मणिपुर की बागडोर संभाली। 1947 में जब भारत को आजादी मिली, तब इस राज्य की सत्ता महाराजा बुधाचंद्र को सौंप दी गई। 28 अगस्त को मणिपुर को आजादी मिली। 15 अक्टूबर 1949 को इस राज्य को भारत में एक राज्य के रुप में विलय कर लिया गया।
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