चांद की सतह पर तिरछा गिरा हुआ मिला विक्रम लैंडर, नासा से मांगी मदद

चांद की सतह पर तिरछा गिरा हुआ मिला विक्रम लैंडर, नासा से मांगी मदद
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इसरो के मुताबिक, लैंडर विक्रम की चांद की सतह पर कराई गई लैंडिंग की लोकेशन के बारे में पता चला है। जिसें लैंडर की तिरछी हार्ड लैंडिंग हुई है।जिसकी वजह से कम्युनिकेशन करने वाला एंटीना टूट गया है, हलांकि इसके अलावा अन्य भाग पूरी तरह सुरक्षित हैं।

भारत के अंतरिक्ष अभियान चंद्रयान-2 से इसरो की संपर्क करने की लगातार चल रही कोशिशों के बीच मिली ताजा जानकारी के मुताबिक लैंडर विक्रम की चांद की सतह होने वाली सॉफ्ट लैंडिग सफल नहीं रही जिसकी वजह से कम्युनिकेशन करने वाला लैंडर का एंटीना टूट गया और उसके साथ ही इसरो का संपर्क भी। इसके साथ ही

इसरो के मुताबिक लैंडर विक्रम की चांद की सतह पर कराई गई लैंडिग तिरछी हार्ड लैंडिग रही लेकिन ऑर्बिटर से मिली तस्वीरों के अनुसार लैडर सुरक्षित है और एंटीना के अलावा उसके अन्य भाग पूरी तरह सुरक्षित है। हलांकि लैंडर एक तरफ को पूरी तरह झुका हुआ है।

अब इसरो के पास विक्रम लैंडर से दोबारा संपर्क के लिए महज 11 दिन बचे हैं। ऐसे में इसरो विक्रम से फिर से संपर्क स्थापित करने के लिए हर संभव प्रयास करने में लगा है। इसके लिए अमेरिकन अंतरिक्ष एजेंसी नासा की मदद लेने पर भी विचार किया जा रहा है। बता दें कि नासा का मिशन लूनर रिकॉनिसेंस ऑर्बिटर (एलआरओ) चांद के काफी समीप चक्कर लगा रहा है, जिससे कुछ और अधिक जानकारी जुटाई जा सकती है।


लैंडर विक्रम के पास इतना वक्त

अगर आपको मिशन चंद्रयान के बारे मे जानकारी है तो आपने पहले भी सुना होगा कि विक्रम एक लूनर डे यानी कि धरती के 14 दिन तक काम करेगा। जिसमें से 3 दिन पहले ही संपर्क की कोशिशों में बीत चुके हैं अब सिर्फ 11 दिन का वक्त और शेष है ऐसे में इसरो को जल्द ही किसी तरह विक्रम से संपर्क स्थापित करना होगा।


ऐसे काम करेगा लैंडर का एंटीना

लैंडर विक्रम में नीचे की तरफ 5 थ्रस्टर्स को लगाया गया है जो लैंडर की स्पीड और दिशा को कंट्रोल करते हैं। अगर ऑर्बिटर की मदद से लैंडर के टूटे हुए भाग (एंटीना) को कमांड मिल जाती है। तो लैंडर फिर से काम करना शुरू कर देगा।

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