Rajiv Gandhi Death Anniversary: राजीव गांधी के 5 ऐसे विवाद, जिन्होंने नहीं छोड़ा कभी कांग्रेस का साथ

Rajiv Gandhi Death Anniversary: राजीव गांधी के 5 ऐसे विवाद, जिन्होंने नहीं छोड़ा कभी कांग्रेस का साथ
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आज देश के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की 28वीं पुष्यतिथि है। 21 मई को ही तमिलनाडु के लिट्टे में चुनाव प्रचार के दौरान उनकी हत्या कर दी गई थी। राजीव गांधी पर आत्मघाती हमला कर उन्हें बम से उड़ा दिया गया था। लेकिन उनकी सरकार में कुछ ऐसे भी विवाद रहे जो आज भी कांग्रेस का पीछा नहीं छोड़ते हैं। आइए जानते हैं कुछ ऐसे 5 विवादों के बारे में, जिनके बारे में आज भी होती है चर्चा...

आज देश के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की 28वीं पुष्यतिथि है। 21 मई को ही तमिलनाडु के लिट्टे में चुनाव प्रचार के दौरान उनकी हत्या कर दी गई थी। राजीव गांधी पर आत्मघाती हमला कर उन्हें बम से उड़ा दिया गया था। उनकी पुण्यतिथि पर दिल्ली के राजघाट के पास वीरभूमि पर कांग्रेस नेताओं ने पहुंचकर उन्हें श्रद्धांजलि दी। वीरभूमि पर यूपीए चेयरमैन सोनिया गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी, पूर्व पीएम मनमोहन सिंह और पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी पहुचे और उनके याद किया। लेकिन उनकी सरकार में कुछ ऐसे भी विवाद रहे जो आज भी कांग्रेस का पीछा नहीं छोड़ते हैं। आइए जानते हैं कुछ ऐसे 5 विवादों के बारे में, जिनके बारे में आज भी होती है चर्चा...

राजीव गांधी से जुड़े वो 5 विवाद, जिन्होंने आज तक नहीं छोड़ा कांग्रेस का पीछा

1. 1984 के सिख दंगों पर बयानबाजी

साल 1984 में कांग्रेस की सबसे ताकतवर महिला इंदिरा गांधी की मौत के बाद देश में दंगे भड़क गए। इस दौरान कांग्रेस और पूर्व पीएम राजीव गांधी के बयानों से उनकी बहुत किरकिरी हुई। उन्होंने कहा था कि जब कोई बड़ा पेड़ गिरता है तो धरती हिलती है। यह बयान सिखों के विरोध में था।

2. शाह बानो केस

इंदौर का शाह बानो केस राजीव गांधी की सरकार के लिए सबसे बड़ा विवाद बना। राजीव गांधी ने मुस्लिमों को खुश करने के लिए एक कानून बनाया, जो हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ था। जिममें कहा गया कि तलाक लेने वाली महिला अपने पति से सिर्फ तीन महीने तक ही भत्ता ले सकती है। एक वकील ने अपने पत्नी शाह बानो को तलाक दिया तो वो कोर्ट पहुंच गई। जिसके बाद कोर्ट का फैसला आया कि पति को अपनी पत्नी को गुजारा भत्ता देना होगा।

3. भोपाल गैस कांड

सिंख दगों के बाद भोपाल में हुए गैस कांड ने भी कांग्रेस सरकार की नाक में दम कर दिया। इस दौरान राजीव गांधी पर आरोप लगा कि उन्होंने मुख्य आरोपी और कारखाने के मालिक वारेन एंडरसन को सुरक्षित भगाया दिया। तत्कालीन कलेक्टर मोती सिंह ने अपनी किताब में जिक्र किया था कि कैसे एंडरसन के मदद मांगने पर राजीव गांधी ने उनको भगाने में मदद की।

4. बोफोर्स घोटाला

आज भी बोफोर्स घोटाला हमेशा कांग्रेस के लिए मुसीबत बना रहता है। हर चुनावी रैली में बोफोर्स घोटाले पर बयानबाजी होती है। 1986 में भारत और स्वीडिश कंपनी के बीच डील हुई। जिसमें भारतीय सेना नई 400 होवित्जर तोपें मिलनी थी। लेकिन स्वीडन रेडियो ने राजीव गांधी सरकार पर रिश्वत का आरोप लगाया। जिसके बाद भारतीय राजनीति में इसकी चर्चा तेज हो गई। इस घोटाले के चलते राजीव गांधी की सरकार चली गई।

5. राम मंदिर और श्रीलंका के साथ शांति समझौता

भाजपा से पहले राम मंदिर का मुद्दा कांग्रेस ने उठाया और इसको वोट बैंक बनाकर राजीव गांधी ने 1989 के चुनावों में मंदिर का ताला खुलवाकर अपने चुनाव प्रचार की शुरुआत की। ऐसे इसलिए क्योंकि शाह बानो केस की वजह से मुस्लिम समुदाय राजीव गांधी से नाराज हो गया था। लेकिन कांग्रेस ने राम मंदिर का मुद्दा भाजपा से छीन लिया।

वहीं दूसरी तरफ श्रीलंका और लिट्टे के बीच उन्होंने शांति समझौते की पहल की। उन्होंने लिट्टे सरगना प्रभाकरण से मुलाकात की और वहीं श्रीलंकाई प्रधानमंत्री से भी मुलाकात की लेकिन वो डील नहीं करना चाहते थे। लेकिन फिर भी शांति समझौते पर हस्ताक्षर हुए। इसी बीच राजीव गांधी श्रीलंका पहुंचे और उनका गार्ड ऑफ ओनर के साथ स्वागत हुए लेकिन उसी वक्त एक सैनिक ने उनपर हमला कर दिया। जो इस शांति वार्ता के नाराज था। इस बीच राजीव 1989 का चुनाव हार गए। लेकिन वो शांति की पहल करते रहे। 1991 में चुनाव प्रचार के दौरान तमिलनाडु के लिट्टे में उन पर आत्मघाती हमला किया गया और उनकी हत्या कर दी गई।

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