अगर कोविड में लिया है 'स्टेरॉयड' तो भूलकर भी न करें ये काम, बढ़ रहा एवैस्कुलर नेक्रोसिस का खतरा

कोरोना से रिकवर हुए ऐसे पेशेंट्स, जिन्होंने ज्यादा मात्रा में स्टेरॉयड (Steroids) का सेवन किया है या जो लगातार स्मोकिंग और एल्कोहल का सेवन करते हैं, उन्हें एवैस्कुलर नेक्रोसिस (Avascular necrosis) होने का रिस्क ज्यादा रहता है। इससे हड्डियों (Bones) को काफी नुकसान होता है। ऐसे में इनके बारे में आपको कुछ जरूरी बातें पता होनी चाहिए। बीते लगभग डेढ़ वर्ष में कोरोना संक्रमण (Covid infection) से जहां कई लोगों की जान गई है, वहीं इससे रिकवर हुए कुछ लोगों में कई तरह की बीमारियां देखने को मिल रही हैं। कुछ समय पहले तक कोरोना से रिकवर हुए पेशेंट्स में जहां ब्लैक फंगस के कई मामले दिखाई दे रहे थे, वहीं मुंबई में पिछले दिनों एवैस्कुलर नैक्रोसिस यानी बोन डेथ के कुछ मामले सामने आए हैं। यह उन मरीजों में देखा जा रहा है, जिन्हें लंबे समय तक हाई डोज स्टेरॉयड दिए गए थे। आने वाले समय में इसके मामले बढ़ सकते हैं।
क्या होता है एवैस्कुलर नैक्रोसिस (Avascular necrosis)
हर बोन की एक फिक्स ब्लड सप्लाई होती है, जिसके जरिए ऑक्सीजन और कैल्शियम जैसे पोषक तत्व हड्डी तक सप्लाई होते हैं। अगर किसी वजह से इस ब्लड सप्लाई में रुकावट आती है, तो बोन का वो हिस्सा धीरे-धीरे कमजोर होने लगता है और इसमें पैचेज की तरह जगह-जगह बोन टिश्यू की डेथ होने लगती है। इसे एवैस्कुलर नेक्रोसिस (Avascular necrosis) कहा जाता है।
रोग का कारण: बोन डेथ के 2 अहम कारण हो सकते हैं-
पहला, कोविड मरीजों के शरीर में खून के थक्के जमने का रिस्क रहता है, जिसकी वजह से हार्ट अटैक, ब्रेन अटैक, पैरालिसिस या किडनी और आंत में दिक्कत आती है। इन अंगों में खून की सप्लाई खत्म हो जाती है और ये अंग काम करना बंद कर देते हैं। सीरियस कोविड के मरीजों को ब्लड थिनर दिया जाता है, क्योंकि ये मरीज काफी दिन तक बेड पर रहते हैं। मूवमेंट के अभाव में उनकी ब्लड वैसेल्स और हार्ट आर्टरीज ब्लॉक होने और क्लॉट बनने की संभावना ज्यादा होती है।
दूसरा, कोविड के लगभग 70-80 प्रतिशत सीरियस मरीजो को स्टेरॉयड दिया जाता है। इससे सीवियर मरीजों के फेफड़ों में सूजन या इंफ्लेमेशन होने लगती है, जिसे कम करने के लिए मरीज को हाई डोज की कोर्टिको-स्टेरॉयड जैसी कुछ एंटी-इंफ्लेमेटरी दवाइयां दी जाती हैं, जो मरीजों को कोरोना से रिकवर होने में तो मदद करती हैं। लेकिन ये शरीर के इम्यून सिस्टम को कमजोर करती हैं और बोन टिश्यू को बनने नहीं देते हैं। मरीज के शरीर में एवैस्कुलर नैक्रोसिस जैसे कई साइड इफेक्ट भी होने लगते हैं। मुंबई के एक बीएमजी केस स्टडी मेडिकल जर्नल में प्रकाशित स्टडी के हिसाब से अगर किसी मरीज ने 2000 मिलीग्राम या 2 ग्राम से ज्यादा स्टेरॉयड की डोज ली है, तो उसे एवैस्कुलर नैक्रोसिस होने की संभावना बढ़ जाती है। स्टेरॉयड लेने के 6-8 महीने से 2 साल के अंदर इसके लक्षण मरीज में दिखाई दे सकते हैं।
रिस्क फैक्टर्स: स्टेरॉयड का इस्तेमाल करने वालों के साथ ही धूम्रपान करने या एल्कोहल लेने वालों को इसका रिस्क ज्यादा होता है।
कौन-सा पार्ट ज्यादा प्रभावित:
एवैस्कुलर नैक्रोसिस का खतरा शरीर की कुछ हड्डियों में ज्यादा होता है जैसे- हिप बॉल, शरीर की सबसे लंबी और मजबूत जांघ की फीमर बोन, अंगूठे के ठीक नीचे वाली हड्डी (स्केफॉइड) या पैर के नीचे का एक-तिहाई हिस्सा, कंधे की बॉल, एंकल ज्वाइंट और घुटने की हड्डी में हो सकता है। इनमें सबसे कॉमन है-जांघ की हड्डी या फीमर बोन। 50-60 प्रतिशत मामलों में एवैस्कुलर नैक्रोसिस हिप बॉल को ही प्रभावित करती है।
प्रमुख लक्षण: एवैस्कुलर नैक्रोसिस होने से प्रभावित जगह पर या उस हड्डी के आस-पास बहुत ज्यादा दर्द रहता है और सूजन भी आ सकती है। प्रभावित व्यक्ति को चलने में दिक्कत होने लगती है, जमीन पर बैठने या एक्सरसाइज करने में दिक्कत हो सकती है। ज्वाइंट में आर्थराइटिस हो जाता है यानी ज्वाइंट्स खराब हो जाते हैं।
डायगनोसिस: कोविड से रिकवर मरीजों को अगर हिप बोन या जांघ के आस-पास दर्द हो तो तुरंत डॉक्टर को कंसल्ट करना चाहिए। वे क्लीनिकल एग्जामिन, जरूरत हो तो एक्सरे या एमआरआई करके मरीज की स्थिति का पता लगाते हैं।
उपचार: एवैस्कुलर नैक्रोसिस किस स्टेज में है, उसी के आधार पर इलाज किया जाता है। ताकि मरीज की प्रभावित बोन को पोषण मिले और उसके ज्वाइंट पहले जैसे हो पाएं। शुरुआती स्टेज में सिर्फ ओरल मेडिसिन और स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज से फायदा हो सकता है। अगर मरीज की स्थिति में सुधार नहीं हो पाता, तो प्रभावित जगह की हड्डी की सर्जरी करनी पड़ती है। आस्टियोट्रॉमी, बोन ग्राफ्टिंग या फिर ज्वाइंट रिप्लेसमेंट जैसी सर्जरी की जरूरत पड़ सकती है।
बरतें सावधानी: हालांकि अभी एवैस्कुलर नैक्रोसिस के मामले बहुत कम हैं, लेकिन एक्सपर्ट कहते हैं कि इसके बारे में जागरूक रहना बहुत जरूरी है। स्टेरॉयड डॉक्टर को कंसल्ट करके ही लें, एल्कोहल-स्मोकिंग अवॉयड करें।
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