Bakrid 2020: क्यों मनाई जाती है बकरीद, जानें क्या है जानवर की कुर्बानी के पीछे का कारण

बकरीद के त्योहार को ईद-उल- अजहा भी कहते हैं। इस साल यह त्योहार चांद दिखने के बाद 1 अगस्त को मनाया जाएगा। यह त्योहार मुसलमानों का बहुत ही खास त्योहार होता है। यह त्योहार कुर्बानी का त्योहार है। यह मीठी ईद के ढाई महीने बाद आता है। इस दिन लोग ईद की नमाज अदा करने के बाद करने के बाद जानवर की कुर्बानी देते हैं। इसी बीच आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि बकरीद क्यों मनाई जाती है।
एक तरफ बेटे की मुहब्बत थी और दूसरी तरफ अल्लाह का हुक्म
बकरीद पर कुर्बानी देने की परंपरा पैगेम्बर हजरत इब्राहिम अलैय सलाम से शुरू हुई थी। हजरत इब्राहिम अलैय सलाम अपने बेटे इस्माइल अलैय सलाम से बेहद प्यार करते थे। एक रात उन्हें सपने में अल्लाह का हुक्म आया कि वे अपने सबसे प्यारी चीज अल्लाह की राह में कुर्बान कर दें। यह हजरत इब्राहिम अलैय सलाम के लिए बहुत बड़ा इम्तिहान था। एक तरफ बेटे की मुहब्बत थी और दूसरी तरफ अल्लाह का हुक्म।
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वे अपने बेटे की कुर्बानी देने के लिए तैयार हो गए
लेकिन उन्होंने अल्लाह का हुक्म मानने का फैसला किया। वे अपने बेटे की कुर्बानी देने के लिए तैयार हो गए। हजरत इब्राहिम अलैय सलाम ने बेटे की कुर्बानी देते वक्त आंखों पर पट्टी बांधली। जैसे ही उन्होंने कुर्बानी देने के लिए छुरी उठा वैसे ही हजरत इस्माइल अलैय सलाम की जगह पर एक दुंबा ( भेड़ जैसे दिखने वाला जानवर) आ गया। हजरत इब्राहिम अलैय सलाम ने जैसे ही पट्टी हटाई उन्हें अपना बेटा जिंदा दिखाई दिया जिसके बाद वे काफी खुश हुए। इसके बाद से ही बकरीद पर कुर्बानी देने की परंपरा चली आ रही है। इस दिन लोग हजरत इब्राहिम अलैय सलाम की कुर्बानी को याद करते हैं।
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