सावधान! कहीं स्विमिंग का आंनद लेते हुए अमीबा ना खा ले आपका दिमाग, यहां जानिए क्या है Brain Eating Amoeba

Brain eating amoeba: कोरोना वायरस महामारी के आतंक ने एक बार फिर पूरी दुनिया को खौफ के घेरे में लाकर खड़ा कर दिया है। दुनिया के कई हिस्सों में ओमिक्रोण के सब वेरिएंट BF.7 ने कहर बरपाना शुरू कर दिया है। वहीं, इन सब चिंताओं के बीच एक दूसरी बीमारी और उभर कर आई है। दरअसल, दक्षिण कोरिया में ब्रेन ईटिंग अमीबा से पहली मौत हो चुकी है। बता दें कि यह बीमारी नेगलेरिया फाउलेरी (Naegleria fowleri) नाम के अमीबा से होती है, जो सीधे दिमाग को खाना शुरू कर देता है। जी हां, ये अमीबा सीधा आपके दिमाग को खाता है, इसलिए इसे ब्रेन ईटिंग अमीबा कहा जाता है। अमेरिकी सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के मुताबिक नेगलेरिया फाउलेरी एककोशीय अमीबा (unicellular amoeba) है, जो मिट्टी और साफ गर्म पानी में पनपता या रहता है।
इंसान कैसे आता है इस जानलेवा अमीबा के संपर्क में?
अब सवाल ये उठता है कि यह इंसानों के शरीर में किस तरह प्रवेश करता है? तो आपको बता दे कि नेगलेरिया फाउलेरी अमीबा इंसान की नाक के जरिए दिमाग में घुसता है। कोरिया में सामने आया यह कोई पहला मामला नहीं है, लेकिन इस बीमारी के बहुत कम ही मामले आते हैं। इस अमीबा से संक्रमण का पहला मामला 1937 में अमेरिका में सामने आया था। नेगलेरिया फाउलेरी अमीबा दिमाग में पहुंचकर टिशूज को खाना शुरू करता है। इसलिए इसका इन्फेक्शन जानलेवा भी साबित हो सकता है, यह अमीबा तेजी से अपना फॉर्म भी बदलता रहता है। अब सवाल उठता है कि कोई भी व्यक्ति कब इस घातक अमीबा के संपर्क में आता है? तो कोई भी इंसान नेलगेरिया फाउलेरी अमीबा के संपर्क में तब आता है, जब वह ऐसी जगहों पर नहाता है, जहां इस अमीबा की मौजूदगी होती है।
संक्रमण के शुरूआती लक्षण क्या है?
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक जैसे ही नेलगेरिया फाउलेरी अमीबा इंसान के शरीर में घुसता है। इसके 1 से 12 दिनों के अंदर लक्षण दिखने शुरू होते जाते हैं। ये लक्षण वैसे ही दिखते हैं, जैसे बैक्टीरियल इंफेक्शन मिनीनजाइटिस के होते हैं।
शुरुआती लक्षण:-
सिरदर्द
बुखार
जी मिचलाना
गर्दन में अकड़न
मरीज के कोमा में जाने की भी संभावना है।
क्या यह बीमारी एक-दूसरे से फैलती है?
सीडीसी के मुताबिक नेगलेरिया फाउलेरी अमीबा को एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में जाते हुए अब तक नहीं देखा गया है। हालांकि इस बात का अभी कोई पुख्ता प्रमाण नहीं है क्योंकि वैज्ञानिक इसके फैलने के जोखिम से इनकार भी नहीं कर रहे हैं। वहीं, अगर बात इस संक्रमण से बचाव की करें तो डॉक्टर कई दवाइयों को साथ मिलाकर मरीज को देते हैं। कुछ मामले ऐसे भी होते हैं, जिसमें इंसान के बचने की संभावना ना के बराबर होती है। इसलिए एक्सपर्ट का कहना है कि जहां यह बीमारी फैली है, वहां के सार्वजनिक पानी में तैरना या इस्तेमाल करना बंद कर दें।
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