Breastfeeding Week 2022 : नवजात बच्चे के लिए बेहद फायदेमंद है मां का दूध, इन समस्याओं से मिलता है छुटकारा

Breastfeeding Week 2022 : नवजात बच्चे के लिए बेहद फायदेमंद है मां का दूध, इन समस्याओं से मिलता है छुटकारा
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क्या आप जानते है कि एक नवजात बच्चे के लिए मां का दूध किसी अमृत के कम नहीं होता। ये अमृत समान अमूल्य और दुनिया का सबसे अच्छा आहार है।

नवजात शिशु (Newborn Child) के लिए मां का दूध (Mother's Milk) किसी अमृत के कम नहीं होता। मां का दूध अमृत समान अमूल्य और दुनिया का सबसे अच्छा आहार है। मां का दूध ही शिशु के स्वस्थ जीवन का आधार है। वैज्ञानिकों ने मां के दूध में पाए जाने वाले पोषक और एंटीऑक्सीडेंट तत्वों की वजह से इसे 'फर्स्ट वैक्सीन' का दर्जा भी दिया है। दिल्ली के एमसीडी अस्पताल की शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. शारवरी गुप्ता का कहना है कि मां के शरीर में ब्रेस्टमिल्क बनना एक नेचुरल प्रोसेस है, जो डिलीवरी के बाद शुरू हो जाता है। एक बच्चे के जन्म के तुरंत बाद यह दूध गाढ़ा, पीले रंग का और कम मात्रा में होता है, जिसे 'कोलस्ट्रम' कहा जाता है। यह दूध डिलीवरी के 48 घंटे तक आता है, जो असल में 'मां का दूध' होता है और शिशु के लिए बहुत उपयोगी होता है। तो चलिए जानते है कि कैसे एक मां का दूध नवजात बच्चे के लिए फायदेमंद होता है।

बच्चों के लिए है संपूर्ण आहार

ब्रेस्टमिल्क (Breastfeeding) में बच्चे की जरूरत के हिसाब से पोषक तत्व होते हैं। यहां तक कि प्री-टर्म पैदा हुए शिशुओं के विकास के लिए विशिष्ठ होता है। इसमें बच्चे की जरूरत के हिसाब से पोषक तत्व सही मात्रा में होते हैं- कार्बोहाइड्रेट (लैक्टोस), प्रोटीन (सिस्टीन, टोरीन जैसे अमीनो एसिड, लैक्टाल्बूमिन, लैक्टाग्लोबूलिन), फैट (ओमेगा 2, ओमेगा 6 फैटी एसिड), मिनरल्स, विटामिन। ये तत्व शरीर में अवशोषित होकर बच्चे का वजन बढ़ाने और विकास में सहायक होता है। उनकी हड्डियां मजबूत होती हैं। फैटी एसिड बच्चे में हार्मोनल असंतुलन को रोकने में मदद करते हैं।

पेट संबंधी समस्याओं से करे बचाव

मां का दूध हल्का और सुपाच्य होता है, इससे शिशु को पेट संबंधी समस्याओं का कम खतरा रहता है। पाचन तंत्र को मजबूत बनाने में मदद करता है जिससे उन्हें पेट में इंफेक्शन कम होते हैं। उन्हें दस्त, कब्ज, डायरिया जैसे अपच होने की संभावना कम रहती है।

आसानी से उपलब्ध

ब्रेस्टमिल्क किसी भी समय आसानी से और सर्वसुलभ है। सबसे बड़ी बात है कि मां का दूध बच्चे के हिसाब से समुचित टेंपरेचर पर उपलब्ध होता है। इसे गर्म या ठंडा करने की जरूरत नही पड़ती। जन्म के तुरंत बाद बच्चा ब्रेस्टमिल्क पी सकता है। वर्किंग महिलाएं जरूरत हो तो ब्रेस्टपंप की मदद से दूध निकाल कर स्टोर भी कर सकती हैं जिसे बाद में बच्चे को जरूरतानुसार पिलाया भी जा सकता है।

मानसिक विकास में सहायक

ब्रेस्टमिल्क में मौजूद डीएचए कंपाउंड पर्याप्त मात्रा में होता है। यह डीएचए बच्चे के मानसिक विकास में सहायक होते हैं। ब्रेन की नर्व्स को मजबूत कर मानसिक स्वास्थ्य को इम्प्रूव करता है। रिसर्च से साबित हो गया है कि ब्रेस्ट फीड करने वाले बच्चे का ब्रेन वॉल्यूम ज्यादा बड़ा होता है। यानी उनका आईक्यू लेवल दूसरों की तुलना मं 8 पाइंट ज्यादा होता है। जिसकी वजह से वो अधिक होशियार और बुद्धिमान होते हैं।

प्रस्तुति- रजनी अरोड़ा

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